राष्ट्रपति चुनाव पर CM ममता बनर्जी की बैठक को झटका, विपक्ष एकता फुस्स: फारूक अब्दुल्ला के लिए चला रहीं गोलबंदी?

ममता बनर्जी के नेतृत्व में ये तय हुआ है कि एक कॉमन उम्मीदवार को उतारा जाएगा (इंडिया टुडे)

देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। इसी क्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार (15 जून, 2022) को एक संयुक्त रणनीति तैयार करने के लिए विपक्ष की बैठक दिल्ली के ‘कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया’ में बुलाई। बैठक में पहले राष्ट्रपति चुनाव पद के लिए एनसीपी चीफ शरद पवार के नाम का प्रस्ताव रखा गया। हालाँकि, जब उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया तो विपक्ष ने एक कॉमन उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया।

बैठक के बाद ममता बनर्जी ने कहा, “आज कई दल यहाँ थे। हमने तय किया है कि हम केवल एक आम सहमति वाले उम्मीदवार को चुनेंगे। हर कोई इस उम्मीदवार को अपना समर्थन देगा। हम दूसरों के साथ परामर्श करेंगे। यह एक अच्छी शुरुआत है। कई महीनों के बाद हम एक साथ बैठे थे और हम इसे फिर से करेंगे।” सूत्रों के अनुसार, ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी उम्मीदवारों के रूप में फारूक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गाँधी के नामों का सुझाव दिया।

बैठक में कौन-कौन सी पार्टियाँ रहीं शामिल

इस बैठक में कम से कम 16 दलों के नेता शामिल रहे। इसमें कॉन्ग्रेस, समाजवादी पार्टी, एनसीपी, द्रमुक, राजद, शिवसेना, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले), नेशनल कॉन्फ्रेंस, PDP, JD (S), RSP, IUML, RLD और JMM शामिल थी। वहीं इस बैठक में पवार के अलावा NCP नेता प्रफुल्ल पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, कॉन्ग्रेस के जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला, JD (S) के एचडी देवेगौड़ा और एचडी कुमारस्वामी, SP के अखिलेश यादव, पीडीपी के महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला बैठक में प्रमुख नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस भी शामिल थी।

गौरतलब है कि इस बैठक में निमंत्रण मिलने के बावजूद AAP, चंद्रबाबू नाडू की तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) और ओडिशा की सत्तारूढ़ बीजेडी ने इस मीटिंग से किनारा बनाए रखा। इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल ने भी इस मीटिंग में नहीं शामिल होने का फैसला लिया। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, टीआरएस कॉन्ग्रेस के साथ एक मंच साझा नहीं करना चाहती। वहीं AAP ने कहा, “आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा के बाद ही इस मुद्दे पर विचार करेगी।”

ममता की मीटिंग हुई बेदम

उल्लेखनीय है कि इलेक्टोरल कॉलेज में एनडीए का वोट प्रतिशत आधे से अधिक है। इस चुनाव में किंग मेकर की भूमिका में बीजेडी, वाईएसआरसीपी, टीआरएस हैं। इन्ही पार्टियों ने ममता की मीटिंग से किनारा कर लिया है। ऐसे में एक बार फिर से भाजपा के खिलाफ एक मंच बनाने की ममता बनर्जी की कोशिश बेकार हो गई है। इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि पिछले सप्ताह ममता बनर्जी ने देशभर की 22 पार्टियों को बैठक के लिए निमंत्रण भेजा था, लेकिन इसमें शामिल केवल 16 पार्टियाँ ही हुईं।

इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव सहित कई विपक्षी नेताओं को फोन किया और उनसे राष्ट्रपति चुनाव के लिए नाम सुझाने का अनुरोध किया। सूत्रों ने बताया कि जब उनसे राष्ट्रपति चुनाव के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित नाम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और इसलिए विपक्षी नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया में कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई।

चुनाव आयोग के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए 18 जुलाई से वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके बाद वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। ऐसे में देश के नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को अपने पद की शपथ लेंगे। लेकिन ये चुनाव सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए भी किसी परीक्षा से कम नहीं होने वाला है।

याद हो कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले चंद्रबाबू नायडू भी विपक्ष को एकजुट करने निकले थे और बैठकें पर बैठकें कर रहे थे, लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उन्हें ऐसी हार मिली कि वो राष्ट्रीय के साथ-साथ राज्य की राजनीति से भी अप्रासंगिक हो गए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया