असम की हिमंता सरकार लाने जा रही बहुविवाह पर रोक का कानून, भड़के बदरुद्दीन अजमल, कहा- ‘मुस्लिम नहीं, हिंदू करते हैं बहुविवाह’

असम की हिमंता सरकार लाने जा रही बहुविवाह पर रोक का कानून, भड़के बदरुद्दीन अजमल (साभार-आजतक)

अपनी विवादित टिप्पणियों के लिए बदनाम ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फंड (एआईयूडीएफ) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। ऐसे समय में जब हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार राज्य में बहुविवाह को गैरकानूनी घोषित करने पर विचार कर रही है, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने दावा किया है कि मुस्लिम आमतौर पर एक विवाह में विश्वास करते हैं और हिंदू ही बहुविवाह करते हैं। .

बदरुद्दीन अजमल ने शुक्रवार (8 सितम्बर, 2023) को मीडिया को दिए बयान में कहा, “बीजेपी और असम के मुख्यमंत्री ने राज्य में रहने वाले मुस्लिम लोगों से उनका सब कुछ छीन लिया है। उनके पास नौकरी या पैसा नहीं है और इसके अलावा, हिमंत बिस्वा सरमा मुस्लिम लोगों को अपने जीवन यापन के लिए सड़कों पर सब्जियाँ बेचने की भी अनुमति नहीं दे रहे हैं। इस प्रकार, मुस्लिम चाहें तो भी एक से अधिक शादी नहीं कर सकते।”

धुबरी लोकसभा सांसद ने अफसोस जताया कि असम में मुस्लिम चाहकर भी एक से अधिक शादी नहीं कर सकते क्योंकि वे बेरोजगार हैं। उन्होंने कहा कि आजकल हिंदू अक्सर कई पत्नियाँ रखते हैं।

अब यहाँ कायदे से एआईयूडीएफ प्रमुख को याद दिलाया जाना चाहिए कि शरिया या मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना भी दोबारा निकाह कर सकता है और उसे चार पत्नियाँ रखने की अनुमति है, हालाँकि, एक मुस्लिम महिला को ऐसा कोई अधिकार नहीं है। इस बीच, हिंदू कानून के तहत, जो हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों पर लागू होता है, बहुविवाह की प्रथा निषिद्ध है। दरअसल, हिंदू विवाह कानून के तहत उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 494 और 495 के तहत आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।

पिछले साल भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय और नाइसा हसन, शबनम, फरजाना, समीना बेगम और मोहसिन कथिरी सहित कुछ मुस्लिम महिलाओं ने बहुविवाह और निकाह हलाला की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाएँ दायर की थीं।

इन सभी याचिकाओं में माँग की गई है कि मुस्लिम समाज की इन प्रथाओं को असंवैधानिक और अवैध घोषित किया जाए। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि बहुविवाह और निकाह हलाला जैसी प्रथाएँ मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

जब AIMPLB ने निकाह हलाला और बहुविवाह की वकालत की

दरअसल, जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई, तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बहुविवाह और निकाह हलाला की बेहद दमनकारी प्रथा के पक्ष में बात की। एआईएमपीएलबी ने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिमों का कानून (शरिया) पवित्र कुरान और हदीस पर आधारित है’ और ऐसी प्रथाओं का मौलिक अधिकारों के साथ तुलना नहीं किया जा सकता है।

इस तथ्य के बावजूद कि ये साड़ी बाते पहले से ही पब्लिक में हैं एआईयूडीएफ प्रमुख की टिप्पणी इस तरह के अपमानजनक बयान देने के उनके इतिहास को देखते हुए कोई आश्चर्य की बात नहीं है। दरअसल इस साल जुलाई में एआईयूडीएफ प्रमुख ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय के भीतर बहुविवाह एक गैर-मुद्दा है।

यूसीसी के तहत पुरुषों और महिलाओं दोनों को पहननी होगी साड़ी: बदरुद्दीन अजमल

बता दें कि इसके पहले बदरुद्दीन अजमल की उपरोक्त टिप्पणी समान नागरिक संहिता को लेकर चल रही बहस के बीच आई थी। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के नेता बदरुद्दीन अजमल ने तब प्रस्तावित कानून को भोजन और पोशाक में एकरूपता के लिए गलत ठहराया था।

14 जुलाई, 2023 को असम के धुबरी जिले में इस मामले पर बोलते हुए उन्होंने दावा किया, ”समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर बहस छिड़ गई है. बिल जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा…यूसीसी लागू होने के बाद हम साड़ी पहनना शुरू कर देंगे और आपको भी ऐसा ही करना होगा…”

तब उन्होंने बयान दिया था, “यूसीसी लागू होने पर हर किसी को पुरुषों और महिलाओं दोनों को साड़ी पहननी होगी। हम साल भर तक लंबी दाढ़ी रखेंगे और आप भी एक साल तक ऐसा ही करें। ऐसी एकरूपता, ठीक है?”

असम सरकार बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का कर रही विचार

बदरुद्दीन अजमल का यह अजीब दावा कि हिंदू और मुस्लिम बहुविवाह में विश्वास नहीं करते हैं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के इस दावे की प्रतिक्रिया के रूप में आया है कि राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध के पक्ष में जनता का पूरा समर्थन है। 

यह जानकारी देते हुए कि राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून का मसौदा अगले 45 दिनों के भीतर तैयार हो जाएगा, असम के सीएम ने 2 सितंबर को कहा था कि राज्य सरकार को एक सार्वजनिक नोटिस के जवाब में 149 प्रस्ताव मिले हैं। प्रस्तावित कानून एक समय में एक से अधिक व्यक्तियों से विवाह करने की प्रथा पर रोक लगाएगा।

गौरतलब है कि बहुविवाह भारत, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में पहले से ही मुस्लिमों में स्वीकार्य और कानूनी है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, अल्जीरिया, मिस्र, ईरान, नाइजीरिया और कैमरून जैसे कई इस्लामी देशों में बहुविवाह अभी भी मान्यता प्राप्त और प्रचलित है। ये दुनिया के एकमात्र क्षेत्र हैं जहाँ बहुविवाह अभी भी कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है।

हालाँकि, भारत में सभी धर्मों और जनसांख्यिकी में बहुविवाह की घटनाओं में गिरावट देखी गई है, लेकिन मुस्लिम समुदाय में यह प्रथा अभी भी प्रचलित है। उदाहरण के लिए, पिछले साल एक 28 वर्षीय मुस्लिम महिला ने अदालत में याचिका दायर कर अपने शौहर को उसकी लिखित सहमति के बिना दूसरी पत्नी रखने से रोकने की माँग की थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया