‘अजमेर की मस्जिद में फिर से गूँजेंगे मंत्र’: अब ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ की बारी, संस्कृत कॉलेज और मंदिर को इस्लामी आक्रांताओं ने किया था ध्वस्त

ढाई दिन का झोपड़ा को फिर से देवालय बनाने की माँग (फोटो साभार : X/Sanjay_Dixit)

अजमेर की ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद को फिर से देवालय बनाने की माँग ने जोर पकड़ लिया है। बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा ने कहा है कि जल्द ही इस जगह पर फिर से संस्कृत के मंत्र गूँजेंगे। उन्होंने इस जगह को मूल स्वरूप में लाने के लिए केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन व पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी जी को पत्र भी लिखा है।

इस्लामी आक्रांताओं ने सैकड़ों हिंदू देवस्थानों को ध्वस्त कर उन पर मस्जिदें खड़ी कर दी थी। इनमें से एक ढाई दिन का झोपड़ा भी है। आज जिसे ‘ढाई दिन का झोपड़ा‘ कहा जाता है, वह मूल रूप से विशालकाय संस्कृत महाविद्यालय (सरस्वती कंठभरन महाविद्यालय) हुआ करता था। यह ज्ञान और बुद्धि की हिंदू देवी माता सरस्वती को समर्पित मंदिर था।

1192 ई. में, मुहम्मद गोरी ने महाराजा पृथ्वीराज चौहान को हराकर अजमेर पर अधिकार कर लिया था। उसने अपने गुलाम सेनापति कुतुब-उद-दीन-ऐबक को शहर में मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया। ऐसा कहा जाता है कि उसने ऐबक को 60 घंटे के भीतर मंदिर स्थल पर मस्जिद के एक नमाज सेक्शन का निर्माण करने का आदेश दिया था ताकि वह नमाज अदा कर सके। चूँकि, इसका निर्माण ढाई दिन में हुआ था, इसीलिए इसे ‘अढाई दिन का झोपड़ा’ नाम दिया गया।

इस मस्जिद को दोबारा मूल स्वरूप में लाने की मांग ने ऐसे समय में जोर पकड़ा है, जब अयोध्या में भगवान रामलला की 22 जनवरी 2024 को प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। अयोध्या में भी रामजन्भूमि पर बाबर के नाम से इस्लामी आक्रांताओं ने ढाँचा खड़ा कर दिया था। करीब 500 साल के संघर्ष के बाद इस जगह पर अब भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है।

जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को लिखे पत्र में कहा है, “ढाई दिन का झोपड़ा जो कि 12वीं सदी में महाराज विग्रहराज चौहान द्वारा देवालय और संस्कृत शिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था, उसे 1294 ई. में मोहम्मद गौरी के कहने पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़ दिया था। यह केंद्र वेद पुराणों का प्रसारक होने के साथ ही संस्कृति शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।”

पत्र में उन्होंने लिखा है, “दासता का यह चिह्न आज भी भारतीय समाज के लिए कलंक है। अत: इसे मूल स्वरूप में परिवर्तित करने के लिए यह पत्र आपके विचारार्थ प्रस्तुत है। इससे महाराज विग्रहराज के लोकोत्तर व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ ही पुरातन एवं महात्वपूर्ण संस्कृत शिक्षण केंद्र पुन: स्थापित हो सकेगा, जोकि सनातन धर्म के संरक्षण एवं विस्तार में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।”‘

बोहरा ने यह पत्र 9 जनवरी 2024 को लिखा है। इस ठीक एक दिन पहले उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय के 78वें दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में भी इसका जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, “ढाई दिन के झोपड़ा को बनाने के लिए वहाँ मौजूद संस्कृत विद्यालय को तोड़ दिया गया। अब बो दिन दूर नहीं जब एक बार फिर से यहाँ संस्कृत भाषा में लिखे मंत्र गूँजेंगे।” इस दौरान मंच पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र भी मौजूद थे।

बता दें कि ये ढ़ाई दिन का झोपड़ा, मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से महज 500 मीटर की दूरी पर है। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग की तरफ से संरक्षित किया गया है। इसमें स्थित मस्जिद की देखरेख राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड करता है। ढाई दिन के झोपड़ा पर ऑपइंडिया का विस्तृत लेख आप यहाँ क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया