राममंदिर को लेकर बैठक करने पर तत्कालीन CM अखिलेश यादव ने गृह सचिव को किया था सस्पेंड, आजम खान के दबाव में पंचकोसी परिक्रमा पर भी बैन

अखिलेश यादव अयोध्या मामले में बोलने वाले IAS को सस्पेंड कर चुके हैं (फाइल फोटो)

हाल ही में समाजवादी पार्टी प्रमुख और UP के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर उनकी सरकार होती तो अयोध्या में राम मंदिर 1 साल में बन जाता। हालाँकि उनका यह बयान सपा सरकार की कार्यशैली के बिल्कुल विपरीत है। राम मंदिर का निर्माण योगी आदित्यनाथ सरकार की देखरेख में हो रहा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने भाजपा सरकार पर मंदिर के नाम पर वोट लेने का आरोप लगाया है।

याद करते हैं उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी की सरकार के दिन। अक्टूबर 2013 का समय था। उस दौरान अखिलेश यादव की सरकार ने अपने गृह सचिव को इसलिए सस्पेंड कर दिया था, क्योंकि उन्होंने राम मंदिर पर एक मीटिंग आयोजित की थी। इस मीटिंग में राम मंदिर निर्माण के तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई थी। इस मीटिंग में इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि क्या राम मंदिर को सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बनवाया जा सकता है।

गृह सचिव का नाम सर्वेश चंद्र मिश्रा था, जो 1997 बैच के सीनियर IAS अधिकारी थे। सस्पेंड करने से पहले उनका ट्रांसफर किया गया था। उनके विरुद्ध विभागीय जाँच भी करवाई गई थी। उस समय सरकारी बयानों में कहा गया था, “गृह सचिव मिश्रा ने एक विवादित मुद्दे पर सभा कर के गलत किया है।” तब सपा सरकार ने इसको एक गलती माना था और कठोर करवाई का भरोसा दिया था। गृह विभाग के प्रमुख सचिव आरएम श्रीवास्तव ने तो इसे अपने जूनियर की भूल बताते हुए बाकायदा क्षमा-याचना भी की थी।

इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य विश्व हिन्दू परिषद् की 84 कोसी परिक्रमा को रोकना था। यह परिक्रमा हर हाल साल अगस्त के माह में होती है। साल 2013 में इसको आज़म खान के दबाव में बैन कर दिया गया था। यात्रा बैन करवाने से पहले पैरामिलिट्री फोर्स को भी तैनात किया गया था। उस समय विश्व हिन्दू परिषद संसद में कानून बना कर मंदिर निर्माण की माँग कर रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने नवम्बर 2019 में रामजन्मभूमि का फैसला हिन्दुओं के पक्ष में दिया था। इसी के बाद फरवरी 2020 में ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ का गठन किया गया था। इसी ट्रस्ट की जिम्मेदारी है कि वो राममंदिर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक बनवाए।

गौरतलब है कि 30 अक्टूबर 1990 में मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोलियाँ चलवाईं थी। इसमें कई कारसेवक मारे गए थे। इस पर दुःख प्रकट करने के बजाए बाद में मुलायम सिंह यादव ने कई मंचों से कहा था कि देश की एकता और अखंडता बचाने के लिए अगर और कारसेवकों को भी मारना पड़ता तो मारते।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया