भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है और इसी के मद्देनजर पार्टी ने आज 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव प्रभारी तय कर दिया है। इन सभी राज्यों में चुनावी प्रभारियों कि नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई हैैं। बताया जा रहा है चुनाव का प्रभार सम्भालने वाले नेताओं में कई 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने के दावेदार भी थे लेकिन अब चूंकि इन्हें चुनाव लड़ाने के काम में लगाया गया है इसीलिए इन्हें टिकट मिलने की सम्भावना कम हैैं। आइये जानते हैं कि भाजपा ने किस नेता को कौन से राज्य की कमान दी हैैं।
आन्ध्र प्रदेश: वी मुरलीधरन– 2010 से 2015 तक दो बार लगातार केरल भाजपा के अध्यक्ष रहे वेल्लमवेल्ली मुरलीधरन को आंध्र प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 60 वर्षीय राज्यसभा सांसद मुरलीधरन भाजपा के केंद्रीय चुनाव नियंत्रण कक्ष में वेंकैया नायुडू के साथ काम कर चुके हैं। वाक्पटु मुरलीधरन को केरल में भाजपा को बूथ स्तर पर मजबूत करने का प्रयास करने के लिए जाना जाता है। वहीं सुनील दोधार सह-प्रभारी के रूप में आन्ध्र प्रदेश में पार्टी के चुनावी तैयारियों का हिस्सा होंगे।
असम: महेंद्र सिंह- 2012 से उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधान पार्षद हैं। महेंद्र सिंह को 2016 के असम विधानसभा चुनावों में भाजपा की महत्वपूर्ण जीत के लिए श्रेया दिया जाता है। इसके लिए इन्होने वहाँ तीन साल जी-तोड़ मेहनत की थी। कहा जाता है कि वह चुनावी तैयारियों के चलते एक साल में एक बार भी अपने घर नहीं गए थे। फिलहाल योगी आदित्यनाथ नीत सरकार में राज्यमंत्री हैं।
बिहार: भूपेंद्र यादव- राजस्थान के रहने वाले 49 वर्षीय भूपेंद्र यादव फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। 2014 के झारखण्ड विधानसभा चुनाव और यूपी के 2016 विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के लिए काम कर चुके हैं। इसके अलावा गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के चुनाव प्रभारी रह चुके हैं। चुनावी तैयारियों के दक्ष रणनीतिकार यादव को अमित शाह का ख़ास भी माना जाता है।
छत्तीसगढ़: डॉक्टर अनिल जैन- हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों भाजपा के प्रभारी थे। वहां करारी हार मिलने के बावजूद भाजपा ने इन पर भरोसा जताया है। भाजपा सूत्रों के अनुसार संगठन को बूथ स्तर तक पहुंचाने के अभियान में अनिल जैन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसीलिए पार्टी ने किसी नए प्रभारी की जगह फिर से डॉ जैन पर भी दांव खेला है।
गुजरात: ओम प्रकाश माथुर- भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और संघ के प्रचारक रह चुके हैं। राजस्थान में हुए तजा विधानसभा चुनावों के पहले माथुर का नाम भी भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में उछ्ला था लेकिन अंततः पार्टी राजे के नेतृत्व में चुनाव में उतरी थी। राज्यसभा सांसद ओपी माथुर उत्तराखंड, मध्यप्रदेश सहित गुजरात में भाजपा के प्रभारी रह चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश: तीरथ सिंह रावत- रावत उत्तर प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं और उत्तराखंड के गठन के बाद राज्य के पहले शिक्षा मंत्री बने। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान ये उत्ताराखंड में भाजपा के अध्यक्ष the और इनके नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में क्लीन स्वीप किया था।
झारखण्ड: मंगल पाण्डेय- 2013-17 के बीच बिहार भाजपा के अध्यक्ष रहे फिलहाल नीतीश सरकार में स्वास्थ मंत्री हैं। 2017 के हिमचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी ने इन्हें राज्य का प्रभारी बना कर भेजा था। भाजपा ने उस चुनाव में भरी जीत दर्ज की थी। संगठन के कार्य में निपुण माने जाते हैं।
मध्य प्रदेश: स्वतंत्र देव सिंह- फिलहाल यूपी की योगी सरकार में राज्यमंत्री हैं। ये उत्तर प्रदेश के दूसरे मंत्री हैं जिन्हें इस बार किसी राज्य का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान यूपी में मोदी की रैलियों के प्रबंधन में इन्होने अहम भूमिका निभाई थी। सतिश उपाध्याय को मध्य प्रदेश में सह-प्रभारी बनाया गया है।
मणिपुर, नागालैंड: नलिन कोहली- भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सेल के संयोजक रहे कोहली पार्टी के प्रवक्ता के रूप में समाचार चैनलों के राजनीतक बहसों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। वह पेशे से वकील हैं। इन्हें उत्तर-पूर्व के दो राज्यों की कमान सौंपी गई है।
उड़ीसा: अरुण सिंह- फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। इहे चुनावी प्रबंधन, संगठन संयोजन और प्रबंधन में दक्ष माना जाता है। इन्हें 2014 में भी उड़ीसा में पार्टी का प्रभारी बनाया गया था। वहां इनके लम्बे अनुभव को देखते हुए उन्हें पार्टी ने फिर से कमान सौंपी है। भाजपा ने इन्हें राष्ट्रीय सदस्यता अभियान का प्रमुख बनाया था। इनके इस पद पर रहते हुए भाजपा विश्व की सबसे ज्यादा सदस्यों वाली पार्टी बन कर उभरी।
पंजाब, चंडीगढ़: कैप्टेन अभिमन्यु सिन्धु- फिलहाल हरियाणा की खट्टर सरकार में मंत्री हैं। इन्हें पड़ोसी राज्य पंजाब और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की कमान सौंपी गई है। सेना में रह कर मैडल जीत चुके अभिमन्यु एक अफल उद्योगपति भी हैं। 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में पार्टी के सह-प्रभारी रह चुके हैं। 2012 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भी ये राज्य में पार्टी के सह-प्रभारी थे। उस चुनाव में राजग की जीत हुई थी।
राजस्थान: प्रकाश जावड़ेकर- भाजपा के बड़े नेताओं में से एक हैं और फिलहाल केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री के रूप में मोदी मंत्रिमंडल में एक अहम जिम्मा संभल रहे हैं। 90s के दौर में महाराष्ट्र में भाजपा के चुनाव प्रचार का नेतृत्व कर चुके हैं। इनके अलावा टीवी चैनलों में दिखने वाले भाजपा के प्रवक्ता सुधान्शु त्रिवेदी को भी राजस्थान में सह-प्रभारी बनाया गया है।
सिक्किम: नितिन नवीन- मंगल पाण्डेय के अलावा बिहार के दूसरे ऐसे नेता हैं जिन्हें इस बार चुनाव प्रभारी बनाया गया है। राज्य में पार्टी के फायरब्रांड युवा नेता माने जाते हैं और भाजयुमो के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं। फिलहाल पटना पश्चिम से विधायक हैं।
तेलंगाना: अरविन्द लिम्बावली: कर्नाटक के विधायक हैं और कर्नाटक की पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कर्नाटक में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक हैं और सोशल मीडिया पर सक्रियता के लिए भी जाने जाते हैं।
उत्तराखंड: थावरचंद गहलोत- भाजपा के वरिष्ठ नेता और मोदी अर्कर में केंद्रीय मंत्री हैं। दलित तबके से आने वाले डॉक्टर गहलोत मध्य प्रदेश में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक रहे हैं।
उत्तर प्रदेश: गोवर्धन झड़पिया- चुनावी तौर पर सबसे महत्वपूर्ण यूपी में भाजपा ने झड़पिया को चुनाव प्रभारी बना कर भेजा है। 2002 दंगों के वक्त गृह मंत्री रहे झड़पिया अक्सर सुर्ख़ियों में रहते हैं। उनके साथ दुष्यंत गौतम और नरोत्तम मिश्रा को भी प्रभारी बनाया गया है। प्रवीन तोगड़िया के करीबी रहे गोवर्धन को कभी मोदी का आलोचक माना जाता था। इन्होने भाजपा छोड़ी भी थी लेकिन 2014 लोक्सभाव चुनाव से पहले इन्होने पार्टी में वापसी की।