अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला: मिशेल ने रिश्वत में मिली रक़म को लंदन में ठिकाने लगाया

बिचौलिए मिशेल को इस बात की भनक लग गई थी कि भारतीय एजेंसियाँ उसके क़रीब है (फोटो साभार: जी न्यूज़)

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में नित नए ख़ुलासे हो रहे हैं। अब CBI ने नया ख़ुलासा करते हुए कहा है कि मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड में इस्तेमाल न होने वाले फ़ंड्स को लंदन स्थित बैंक एकाउंट्स में ट्रांसफ़र किए। ये उसने तब किया, जब भारत उसके प्रत्यर्पण के लिए प्रयास कर रहा था। सीबीआई के अनुसार बिचौलिया मिशेल ने प्रत्यर्पण से पहले रिश्वत में मिली रक़म को ठिकाने लगा दिया।

जाँच एजेंसी ने इस सम्बन्ध में ब्रिटिश अधिकारीयों से संपर्क किया है और उन्हें इन ट्रांसफ़र्स की जानकारी दे दी है। सीबीआई ने ब्रिटिश अधिकारीयों से इन ट्रांसफ़र्स के विवरण भी माँगे हैं और इसके लिए उन्हें जुडिशल रिक्वेस्ट (Judicial Request) भेज दिया गया है। जाँच एजेंसी के मुताबिक़ ₹3,700 करोड़ के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में मिशेल को ₹300 करोड़ रिश्वत के रूप में दिए गए थे। इन में से कई करोड़ रुपयों का अभी तक कोई हिसाब-किताब नहीं पता चल पाया है।

सीबीआई ने दावा किया कि मिशेल को ट्रांसफ़र किए गए रुपयों को उसे भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों और नेताओं तक पहुँचाना था ताकि डील पूरी की जा सके। टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार मिशेल ने कैश के रूप में काफ़ी रुपए भारत में पहुँचाए थे। बावजूद इसके, उसके बैंक खातों काफ़ी रुपए बचे हुए थे जिन्हे उसने ठिकाने लगा दिया। ये रुपए उसके दो कंपनियों के बैंक खातों में थे। उन कंपनियों के नाम हैं- ग्लोबल सर्विसेज FZE (दुबई) और गोबल ट्रेड एंड कॉमर्स सर्विसेज (लंदन)।

2017-18 के दौरान सीबीआई मिशेल के प्रत्यर्पण के लिए लगातार दुबई सरकार के संपर्क में थी। तब मिशेल दुबई में ही ज़मानत पर बाहर था। अधिकारियों का मानना है कि मिशेल को इस बात की भनक लग गई थी कि भारतीय जाँच एजेंसियाँ उसके नजदीक है और इसी कारण उसने रुपयों को ठिकाने लगाना बेहतर समझा।

मिशेल ने पिछले दो सालों में कई बार दुबई छोड़ने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाया। भारतीय एजेंसियों से बचने के लिए वो दुबई में अपना व्यापार समेटना चाहता था लेकिन सीबीआई ने उसे पहले ही अपने गिरफ़्त में ले लिया। जनवरी 10, 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि अगस्ता वेस्टलैंड के मामले में आरोपित बिचौलिया मिशेल को रक्षा मामले में कैबिनेट की मीटिंग और रक्षा से जुड़ी सरकार की गुप्त फ़ाइलों के बारे में कैसे पता चल जाता था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया