भतीजी मीसा भारती के हाथ काटने वाले बयान पर भावुक हुए रामकृपाल

रामकृपाल यादव ने 2014 आम चुनावों में मीसा भारती को 40,000 मतों से हराया था।

केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने मीसा भारती के विवादित बयान पर अपनी टिप्पणी दी है। बता दें कि राजद सुप्रीमो लालू यादव की बेटी मीसा भारती ने हाल ही में विवादित बयान देते हुए कहा था- “जब रामकृपाल बीजेपी में शामिल हो रहे थे, तब मेरा मन उनका हाथ गँड़ासे से काटने का हुआ था।” इस पर प्रतिक्रया देते हुए रामकृपाल ने कहा कि मीसा उनकी बेटी की तरह है और उनका कटा हुआ हाथ भी उसे आशीर्वाद देने के लिए ही उठेगा।

16 जनवरी को दिए बयान में मीसा भारती ने कहा था कि राम कृपाल यादव उनके घर में चारा काटते थे। उन्होंने कहा था कि रामकृपाल के लिए उनके मन में सम्मान तभी ख़त्म हो गया था जब उन्होंने सुशील मोदी से हाथ मिला लिया। मीसा ने रामकृपाल के बारे में आगे कहा था कि वे जिस दिन सुशील मोदी के साथ हाथ पकड़कर खड़े थे, उन्हें उस दिन इतनी ईर्ष्या हुई कि मन किया कि उसी कुट्टी काटने वाले गँड़ासे से हाथ काट दें।

बिहार के पाटलिपुत्र क्षेत्र से सांसद रामकृपाल यादव ने मीसा के विवादित बयान पर आगे कहा;

“मीसा भारती ने जैसा बयान दिया, वह लोकतंत्र में दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा बयान लोकतंत्र में विश्‍वास करने वाला नहीं दे सकता। ऐसा बयान कोई सेवक नहीं, शासक ही दे सकता है। मैं एक किसान ग़रीब परिवार का बेटा हूँ। पिताजी दूध बेचते थे, कुट्टी काटते थे। जब तक राजनीतिक-समाजिक जीवन में रहूँ गा, तब तक मेरा हाथ गरीबों की सेवा के लिए उठेगा।”

रामकृपाल यादव ने अपनी ग़रीब पारिवारिक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए मीसा के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि मीसा उनकी भतीजी है, बेटी के समान है और उनका आशीर्वाद हमेशा उसके साथ रहेगा।

ज्ञात हो कि राम कृपाल यादव को कभी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का ‘हनुमान’ कहा जाता था। मार्च 2014 में जब लालू ने पाटलिपुत्र सीट से रामकृपाल की जगह अपनी बेटी मीसा को टिकट देने का फ़ैसला लिया, तभी से दोनों के रिश्तों में खटास आ गई। इसके बाद रामकृपाल भाजपा में शामिल हो गए और पाटलिपुत्र सीट से ही चुनाव लड़ते हुए मीसा भारती को 40,000 से भी अधिक मतों से हराया।

हाल ही में तेज प्रताप यादव ने ये ऐलान कर दिया कि मीसा फिर से पाटलिपुत्र से ही चुनाव लड़ेगी और वो इसके लिए प्रचार शुरु करने जा रहे हैं। पाटलिपुत्र सीट पर आगामी चुनावों में फिर से चाचा-भतीजी की लड़ाई देखने को मिल सकती है। ऐसे में उम्मीद कम है कि बयानबाज़ी का ये दौर थमेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया