कॉन्ग्रेस के इशारे पर भारत के खिलाफ विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग, ‘दोस्त पत्रकारों’ का मिला साथ: टूलकिट से खुलासा

राहुल गाँधी पहले भी भारत के आंतरिक मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप के पक्षधर रहे हैं (फाइल फोटो)

सोशल मीडिया पर एक टूलकिट कॉन्ग्रेस के नाम से वायरल हो रहा है, जिसके बारे में भाजपा नेताओं का कहना है कि ये वो दस्तावेज है, जिसके माध्यम से कॉन्ग्रेस ने अपने नेताओं को कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुम्भ मेला को बदनाम करने के तरीके समझाए हैं। ये टूलकिट दिखाता है कि कॉन्ग्रेस पार्टी किस तरह एक महामारी के वक़्त भी राजनीति का घिनौना खेल खेलने से बाज़ नहीं आती है।

जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस पार्टी इसे फेक बताते हुए इसे फ़ैलाने वालों के खिलाफ केस करने की बात कह रही है, वहीं इसके कंटेंट कुछ और ही कहानी कहते हैं। ऑपइंडिया भी इस टूलकिट के कॉन्ग्रेस द्वारा बनाए जाने की पुष्टि नहीं करता, लेकिन जो आरोप लगे हैं और चीजें सामने आई हैं उनका विश्लेषण आवश्यक है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि हिन्दुओं के एक ऐसे पवित्र त्यौहार को बदनाम करने की कोशिश कीगई, जिसका समय पूर्व समापन कर दिया गया और प्रतीकात्मक ही रखा गया।

वहाँ सारे नियम-कानून का पालन करते हुए श्रद्धालु जुटे थे, लेकिन उसे बदनाम करने के लिए ‘सुपर स्प्रेडर’ का नाम दिया गया। जबकि ईद को लेकर चुप्पी साध लेने और उसमें जुटी अव्यवस्थित भीड़ को ‘सुखद मिलन समारोह’ बता प्रचारित किया गया। एक और बड़ी बात ये है कि नैरेटिव बनाने, बिगाड़ने और मोड़ने का ये सारा खेल ‘दोस्त पत्रकारों’ की मदद से किया जा रहा था, खासकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ साँठगाँठ कर के।

इस ‘टूलकिट’ में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया पहले ही कुम्भ को ‘सुपर स्प्रेडर’ घोषित कर चुकी है। साथ ही ‘सामान सोच वाले’ देशी/विदेशी पत्रकारों के साथ मिल कर इस नैरेटिव को आगे बढ़ाने की बात की गई है। कोरोना आपदा काल में मदद के नाम पर भी पहले पीड़ितों की गुहार को ‘दोस्त पत्रकारों’ की मदद से वायरल करवाना था, फिर उनसे कॉन्ग्रेस को टैग करवाना था। पत्रकारों और ‘प्रभावशाली लोगों’ की मदद को तरजीह देने की बात भी की गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बिगाड़ने के लिए किस तरह से विदेशी मीडिया के साथ हाथ मिलाया गया था, वो भी देखिए। भारत में विदेशी मीडिया संस्थानों के कॉरेस्पोंडेंट्स के माध्यम से पीएम मोदी को सभी समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। विदेशी मीडिया में लेख लिखने वाले भारतीय प्रोपेगंडा पत्रकारों को पॉइंट्स दिए गए, ताकि वो मोदी सरकार को बदनाम कर सकें। स्थानीय पत्रकारों को जलती चिताओं और लाशों की तस्वीरें देकर रिपोर्ट बनवा उसे वायरल करवाने की भी साजिश थी।

ये खतरनाक इसीलिए है क्योंकि इससे साफ़ हो गया है कि वैश्विक मीडिया में भारत को लेकर एकपक्षीय रिपोर्टिंग हो रही थी और कॉन्ग्रेस पार्टी के इशारे पर देश और प्रधानमंत्री को बदनाम किया जा रहा था। अंतरराष्ट्रीय मीडिया पहले से ही भाजपा के प्रति घृणा का भाव रखता रहा है। अब समझ में आ रहा है कि वो ‘निष्पक्ष रिपोर्टिंग’ के नाम पर कॉन्ग्रेस द्वारा दिए जाने वाले कंटेंट्स प्रकाशित कर रहे थे और सच्चाई से कोसों दूर थे।

https://twitter.com/JPNadda/status/1394578214371041280?ref_src=twsrc%5Etfw

इस ‘टूलकिट’ में जिस तरह आसानी से पूरी साजिश का ब्यौरा दिया गया है, उससे लगता नहीं कि कॉन्ग्रेस को किसी बात का भय था। वो आश्वस्त हैं कि मीडिया और प्रोपेगंडा पत्रकार उनकी तरफ से ही बैटिंग करेंगे। वहीं अंतरराष्ट्रीय मीडिया पहले से ही पश्चिमी जगह की विदेश नीतियों के हिसाब से लिखता रहा है। ये वही मीडिया है, जिसने झूठा नैरेटिव फैलाया था कि ईराक के पास मास डिस्ट्रक्शन वेपन हैं।

सीरिया में सिविल वॉर वाला झूठ फैला कर ये छिपा दिया गया कि किस तरह अमेरिका वहाँ असद सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए आतंकियों की ही मदद कर रहा था। आजकल तो अमेरिका का मीडिया वहाँ की डेमोक्रेट पार्टी का प्रोपेगंडा विंग बना हुआ है। डोनाल्ड ट्रम्प को हराने के लिए न जाने कितने प्रपंच रचे गए। कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भारत के आंतरिक मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप के पहले भी पक्षधर रहे हैं।

कॉन्ग्रेस के ‘डेटा एनालिटिक्स यूनिट’ के हेड प्रवीण चक्रवर्ती ने ‘द इकोनॉमिस्ट’ का एक झूठ फैलाया था कि भारत में कोरोना से 10 लाख लोग मर चुके हैं। जबकि भारत में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या 2,78,814 है। साफ़ है कि मोदी सरकार के खिलाफ वैश्विक मीडिया और कॉन्ग्रेस पार्टी गठबंधन बना कर चल रहे हैं। जनता का विश्वास जीतने में असफल रही पार्टी अब विदेशी ताकतों के सहारे नरेंद्र मोदी की सरकार को बदनाम करने में लगी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया