कश्मीर में सुरक्षाबलों के आतंकवाद विरोधी अभियान पर कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सवाल उठा दिया है। कश्मीर के राजौरी में शुक्रवार (3 दिसंबर) को बोलते हुए आजाद ने सैन्य अभियानों के दौरान सैनिकों को आम नागरिकों की जान बचाने की नसीहत दी। मुठभेड़ के दौरान नागरिकों की मौत को उन्होंने साँप-सीढ़ी जैसी स्थिति बताया है।
गुलाम नबी आज़ाद के मुताबिक, जब आम लोग मरते हैं तो उसी गुस्से में आतंकवाद और अधिक बढ़ता है। सैनिकों को हड़बड़ी नहीं दिखानी चाहिए। ये निश्चय न करें कि भाग रहे आतंकी को हर हाल में मारना ही है। जिस घर में आतंकी होते हैं, वहाँ जरूरी नहीं कि वह परिवार ने उन्हें शरण दिए हुए ही हो। बहुत कम मामलों में ही ऐसा होता है कि आतंकियों और घर वालों में साँठगाँठ हो। उन्होंने कहा कि भाग रहे आतंकी अकसर किसी बेगुनाह के घर में घुस जाते हैं। फिर सैनिक उस पूरे घर को उड़ा देते हैं, जिससे कुछ बेगुनाह भी मारे माते हैं। ऐसा होने से सेना की छवि पर गलत असर पड़ता है।
आजाद ने कहा, “आतंकवाद विरोधी अभियानों में हजारों सैनिकों की जान गई है। एक मुख्यमंत्री के तौर पर भी मैंने देखा है कि भागता हुआ आतंकी अक्सर खुले दरवाजे में घुस जाता है। उसे घरवालों के बारे में और घरवालों को उसके बारे में पता भी नहीं होता। मैं जब मुख्यमंत्री था, तब कहता था कि घर को घेर कर रखो। 2 दिन बाद निकलेगा तब मारना। किसी डॉक्टर ने नहीं कहा है कि उसे अभी मारना है। बाकी सुरक्षाबल अच्छा काम कर रहे हैं।”