अयोध्या मामले पर दो धड़ों में बँटी कॉन्ग्रेस: वरिष्ठ नेताओं ने कहा- हमारी इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर बने

एक ऐसा अनूठा बैंक, जिसकी एकमात्र मुद्रा है, राम का नाम (प्रतीकात्मक तस्वीर)

अयोध्या विवाद पर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाने वाला है। कॉन्ग्रेस के नेता अभी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं और संभलकर बयान दे रहे हैं। इस बीच कॉन्ग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा के राजनीति विचारों और सिद्धांतों से सुर मिलाना शुरू कर दिया है। 

कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी के सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जतिन प्रसाद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर बने। उन्होंने कहा कि वे अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होते देखना चाहते हैं। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही सर्वोपरि है और वह सब के लिए मान्य होगा।

दिलचस्प बात यह है कि शुक्रवार (अक्टूबर 25, 2019) को दिल्ली में पार्टी अध्यक्षा सोनिया गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस की बैठक हुई थी। बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि एनआरसी, अनुच्छेद 370 और अयोध्या रामजन्म भूमि मसले पर पार्टी की राय एकमत हो। लेकिन लगता है कि पार्टी नेता अब कॉन्ग्रेस के पॉलिटिकल लाइन से अलग जा कर निजी विचारों को प्राथमिकता देने का फैसला कर बैठे हैं।

हालाँकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब नेताओं के विचार अपनी ही पार्टी के मूल विचारों से इतर हो। इससे पहले भी कॉन्ग्रेस नेता व असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने अयोध्या विवाद को लेकर अलग सुर में बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि इसमें कोई संशय नहीं कि अयोध्या विवाद का मामला वाकई बहुत संवेदनशील है जिस पर किसी भी फैसले पर पहुँचने से पहले एक स्वस्थ बातचीत की जरूरत है।

कॉन्ग्रेस के बदले तेवर लोकसभा चुनाव के बाद से ही लगातार देखे जा रहे हैं। पार्टी अनुच्छेद 370 को और एनआरसी जैसे विषयों को लेकर यू टर्न लेने से भी नहीं चुकी है। अब अयोध्या मामले पर पार्टी के नेताओं के सुर बदले-बदले दिखाई दे रहे हैं।

कॉन्ग्रेस नेता जतिन प्रसाद ने द संडे एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि एक हिंदू होने के नाते, वह चाहते हैं कि वहाँ मंदिर बने। लेकिन उस भूमि पर कोई भी फैसला तो कानूनी तौर पर ही निकलेगा। सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह सभी के लिए मान्य होगा। इस पर फैसला जितनी जल्दी संभव हो सके, आ जाए ताकि सभी वाद-विवाद और बातों पर विराम लग जाए। उन्होंने कहा कि यह समय है कि सभी समुदाय एक साथ शांति से रहें।

वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी जितिन प्रसाद के बयान से इतेफाक रखते हुए सुर में सुर मिलाया। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस का पक्ष बिल्कुल साफ है। यह एक भूमि विवाद से जुड़ा मसला है और इस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही अंतिम फैसला मानना होगा। इस पर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ खड़ी रहे। 

मगर जब उनसे उनके निजी विचार के बारे में पूछा गया तो रावत ने कहा कि सभी भारतीय चाहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में हो। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप किसी मुस्लिम भाई से भी पूछेंगे तो वह भी अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर कहेगा कि राम मंदिर अयोध्या में नहीं बनेगा तो कहाँ बनेगा?

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया