2009 में सिविल सर्विस परीक्षा में भारत में पहला रैंक हासिल करने वाले शाह फ़ैसल ने ब्यूरोक्रेसी छोड़ कर राजनीति में कूदने का फैसला ले लिया है। शाह फ़ैसल इस कठिन परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करने वाले पहले कश्मीरी हैं। ख़बरों के अनुसार उन्होंने उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ़्रेन्स ज्वाइन करने का मन बना लिया है और कभी भी इसकी घोषणा की जा सकती है। उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है जिसके मंज़ूर होने के बाद वो NC में शामिल हो जाएँगे। कुपवाड़ा के रहने वाले शाह फ़ैसल के वहीं से लोकसभा चुनाव लड़ने के भी कयास लगाए जा रहे हैं।
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर उनके इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उनके राजनीति में शामिल होने से ब्यूरोक्रेसी का नुकसान है लेकिन राजनीति को उनकी उपस्थिति से फायदा मिलेगा।
https://twitter.com/OmarAbdullah/status/1082929581450018816?ref_src=twsrc%5Etfwवहीं फ़ैसल ने अपने इस्तीफ़े की जानकारी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी। उन्होंने केंद्र सरकार की कश्मीर नीति को अपने राजनीति में आने की वजह बताई।
https://twitter.com/shahfaesal/status/1082938765918785536?ref_src=twsrc%5Etfwउन्होंने अपने ट्वीट में कहा:
“कश्मीर में चल रही निर्बाध हत्याओं और केंद्र सरकार द्वारा किसी भी प्रकार के विश्वसनीय पहल के अभाव में, मैंने IAS से इस्तीफ़ा देने का निर्णय लिया है। कश्मीर की ज़िंदगियाँ मायने रखती है। मैं शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मलेन करूँगा।”
इसके अलावे उन्होंने फ़ेसबुक पर अपने विस्तृत बयान में कहा कि मेनलैंड भारत में हाइपर-नेशनलिज़्म के कारण असहिष्णुता और घृणा की भावना बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व ताकतों ने 20 करोड़ मुस्लिमों को हाशिये पर भेज दिया है और उन्हें दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह सीमित कर दिया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर NIA, CBI और RBI जैसी संस्थाओं को ध्वंस करने का आरोप भी मढ़ा और कहा कि ये सरकार देश की संवैधानिक सम्पदा को नष्ट करना चाहती है। साथ ही उन्होंने अपने बयान में दावा किया कि इस देश में ज्यादा दिन तक आवाज़ों को दबा कर नहीं रखा जा सकता।
बता दें कि शाह फ़ैसल काफी विवादित अधिकारी रहे हैं और अक्सर उलूल-जलूल बयानों के कारण सुर्ख़ियों में बने रहते हैं। इसी साल अप्रैल में उन्होंने भारत को रेपिस्तान कहा था जिसके कारण वो सोशल मीडिया पर लोगों के गुस्से का शिकार हुए थे।
https://twitter.com/shahfaesal/status/988043951767568385?ref_src=twsrc%5Etfwउनके इस बयान के बाद जनरल एडमिनिस्ट्रेशन विभाग (GAD) द्वारा उन्हें नोटिस जारी किया गया था। अपने नोटिस में GAD ने कहा था कि फ़ैसल आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन में पूर्ण ईमानदारी और अखंडता बनाए रखने में कथित रूप से विफल रहे हैं। इस नोटिस और लोगों के गुस्से का सामना करने के बावजूद उन्होंने अपने ट्वीट को डिलीट करने से इंकार कर दिया था और साथ ही कहा था कि वो भविष्य में फिर से ऐसे ट्वीट करने से नहीं हिचकेंगे। उस समय उन्होंने सरकार को बदल देने की बात भी कही थी। उस समय भी उमर अब्दुल्ला ने उनका समर्थन किया था और उनको नोटिस भेजे जाने की निंदा की थी।
इस से भी पहले 2016 में भी वो इस्तीफा देने की धमकी दे चुके हैं। विवादित अधिकारी फ़ैसल ने उस समय उन्होंने राष्ट्रीय मीडिया पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा था कि बुरहान वानी से उनकी उनकी तुलना कर उनके ख़िलाफ़ एक दुष्प्रचार चलाया जा रहा है।
इसके अलावे वह इस साल जुलाई में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भी समर्थन कर चुके हैं। इमरान ख़ान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा था कि वो तो शांति की प्रक्रिया स्थापित करना चाहते हैं लेकिन भारत में ही ऐसे लोग हैं जो ये होना नहीं देना चाहते। उन्होंने इमरान को बदलाव लाने वाला नेता भी बताया था।
अब देखना यह है कि शुक्रवार को होने वाले प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में फ़ैसल क्या करवट लेते हैं और राजनीति में आगे उनका क्या रुख रहेगा।