‘दिल्ली में 272 वार्ड, हर वार्ड में 3 दुकानें, प्रदेश को शराब की राजधानी बना रही केजरीवाल सरकार’: बीजेपी ने घेरा, कहा- गाँधी की बात करने वाला बना दारू का ‘ठेकेदार’

'दिल्ली में 272 वार्ड, हर वार्ड में 3 दुकानें, प्रदेश को शराब की राजधानी बना रही केजरीवाल सरकार'

दिल्ली सरकार की शराब नीति के खिलाफ भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। वहीं दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है जिसमें केजरीवाल सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में मादक पेय और दवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत पर रोक लगाने का निर्देश देने की माँग की गई है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, यह याचिका भारतीय जनता पार्टी के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है, जिन्होंने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने पिछले सात वर्षों में शराब और नशीले पदार्थों की खपत और उत्पादन को प्रतिबंधित / नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने के बजाय, दिल्ली को ‘भारत की शराब राजधानी’ बना दिया है। उनका कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि दिल्ली में कुल 280 नगरपालिका वार्ड हैं और 2015 तक, केवल 250 शराब की दुकानें थीं यानी औसतन हर नगरपालिका वार्ड में एक शराब की दुकान और 30 वार्ड में एक भी शराब की दुकान नहीं थी। जबकि, केजरीवाल सरकार ने नई शराब नीति के तहत, शराब की दुकानों की संख्या में भारी वृद्धि करने की योजना बना रही है और यह प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में लगभग तीन शराब की दुकानें होगी जो न केवल मनमाना और तर्कहीन है, बल्कि कानून के शासन के साथ-साथ अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत स्वास्थ्य के अधिकार का भी हनन है।

याचिका में कहा गया है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली को शराब की राजधानी बनाने पर तुली है। अपनी इसी नीति के तहत वह न सिर्फ रिहायशी इलाकों, राशन की दुकानों, मेन मार्किट बल्कि अस्पतालों, स्कूलों और यहाँ तक कि मंदिरों के पास भी शराब की दुकान खोलने का लाइसेंस बाँट रही है।

हाई कोर्ट में यह मामला जस्टिस DN पटेल और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच के पास लिस्टेड थी जिसे मौखिक रूप से सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई तक स्थगित कर दिया है। हालाँकि मामले में दिल्ली सरकार को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।

क्या है केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति में

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत राजधानी को 32 जोन में बाँट कर 849 लाइसेंस आवंटित किए गए। इसके तहत प्रत्येक जोन में 26-27 दुकानें संचालित हैं। हर इलाके में आसानी से शराब उपलब्ध हो, इसके लिए दिल्ली के 272 वार्ड को जोन में विभाजित किया गया है। एक जोन में आठ से नौ वार्ड शामिल हैं और हर वार्ड में अनिवार्य तौर पर तीन से चार दुकानें खुलेंगी।

कभी दिल्ली को शराब माफियाओं से मुक्त कराने का दम भरने वाले केजरीवाल के आज खुलेआम हर गली-नुक्कड़ पर शराब की दुकान खोलने से लेकर होम डिलीवरी तक की घोषणा के बाद बीजेपी दिल्ली के सभी वार्डों में आम आदमी पार्टी सरकार का विरोध कर रही है।

इसके लिए बाकायदा जनमत संग्रह कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिसमें जनता भी दिल्ली सरकार के विरोध में खुलकर बोल रही है।

बीजेपी के प्रवक्ता नवीन जिंदल ने ट्वीट कर सवाल पूछा, “मोहल्ला सभा का वादा करके सत्ता में आया महाठग केजरीवाल आज हर मोहल्ले में शराब के ठेके खोल रहा है। जिससे दिल्ली की जनता बहुत परेशान है स्वराज और गाँधी जी की बात करने वाला अब शराब का ‘ठेकेदार बन बैठा है।”

बता दें कि बीजेपी लगातार दिल्ली में केजरीवाल के शराब नीति का विरोध कर रही है। हाल ही में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और केजरीवाल सरकार को घेरते हुए सवाल पूछा था, “उप मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि दिल्ली के मुख्यमंत्री क्या बोलते हैं! अरविंद केजरीवाल ने अपनी पुस्तक ‘स्वराज’ में लिखा था कि शराब का एक ठेका खोलने पर नेताओं और अफसरों की जेब भरी जाती है। दिल्ली में हजारों की संख्या में ठेके खोले गए हैं, तो आप की सरकार ने कितनी घूस खाई है?”

वहीं आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास भी कई बार केजरीवाल की शराब नीति के लिए उन्हें लताड़ लगा चुके हैं। कुमार विश्वास ने तब ट्वीट करते हुए लिखा था, “पीनेवालों की उम्र 21 से 18 करने और 1000 नए ठेके खुलवाने की नीति लागू करने की सिफारिश लेकर 2016 में दिल्ली शराब माफिया, दारू जमाखोर विधायक के साथ मेरे पास आया था। मैंने दुत्कार कर भगाया था और दोनों नेताओं को चेताया था। अब छोटेवाले के साले ने 500 करोड़ की डील में मामला सेट कर लिया है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया