APMC एक्ट तक न लागू करने वाले केरल के CM ने भी दिया ‘किसान’ आंदोलन को खुला समर्थन

केरल के मुख्यमंत्री ने किसान आंदोलन को दिया खुला समर्थन

अब केरल ने भी मोदी सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा-दिल्ली सीमा पर कुछ कथित किसानों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों के समर्थन का फैसला किया है। बता दें कि केरल वही राज्य है जहाँ पर APMC एक्ट का कोई कानूनी फ्रेमवर्क नहीं है।

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बुधवार (दिसंबर 23, 2020) को, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने घोषणा की कि राज्य सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी किसानों के साथ एकजुटता से खड़ी है। केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को किसानों की ‘उचित माँगों’ को सुनना चाहिए क्योंकि विरोध दिन-प्रतिदिन सार्वजनिक समर्थन प्राप्त कर रहा है।

बता दें कि मोदी सरकार के खिलाफ कथित ‘किसान विरोध’ का समर्थन करने से पहले केरल में माकपा नेतृत्व वाली एलडीएफ (LDF) सरकार ने केन्द्र के नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने के लिए 23 दिसम्बर को विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया था। मंत्रिमंडल ने निर्धारित सत्र से पहले कृषि कानूनों पर चर्चा करने और उसे खारिज करने के लिए इस विशेष सत्र को बुलाने का फैसला किया था।

हालाँकि, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा एवं पारित करने के लिए राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी देने से मंगलवार (दिसंबर 22, 2020) को इनकार कर दिया

विडंबना यह है कि केरल सरकार द्वारा APMC सुधारों का विरोध कर रहे किसानों के लिए तथाकथित एकजुटता का कोई मतलब नहीं है क्योंकि केरल राज्य में कोई APMC स्ट्रक्चर नहीं है, जो कि तथाकथित विरोध प्रदर्शन का मुख्य आधार है।

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इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही वहाँ पर APMC स्ट्रक्चर नहीं है, मगर वे प्रदर्शनकारी किसानों की माँगों का समर्थन करेंगे क्योंकि केरल एक उपभोक्ता राज्य है और अगर देश में खाद्यान्न की कमी होगी तो इसका सबसे ज्यादा असर केरल पर होगा। इसलिए वह किसान आोदंलन का समर्थन कर रहे हैं।

केरल में कोई APMC एक्ट नहीं

पंजाब के कुछ असंतुष्ट किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए डेरा डाल रखा है, जिसकी वजह से वहाँ के नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस तथाकथित विरोध प्रदर्शन ने जल्द ही राजनीतिक रुप ले लिया। विपक्षी पार्टी, वामपंथी प्रदर्शनकारी और खालिस्तानियों ने अपने निजी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए इस आंदोलन को हाइजैक कर लिया है।

इसी तरह, केरल भी अब इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गया है ताकि कृषि क्षेत्रों, विशेषकर APMC में सुधार करने वाले कानूनों को निरस्त किया जा सके। हालाँकि, केरल में कोई APMC सिस्टम नहीं है क्योंकि इसने 2003 की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम को लागू नहीं किया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया