बंगाल में इस बार दल-बल के साथ ED ने मारा छापा, फरार TMC नेता शाहजहाँ शेख के घर में ताला तोड़ घुसी: पिछली बार भीड़ ने किया था हमला

ईडी ने टीएमसी नेता के घर मारा छापा (तस्वीर साभार: tv9 बंग्ला)

पश्चिम बंगाल के राशन घोटाला मामले में बुधवार (24 जनवरी 2024) की सुबह ईडी ने एक बार फिर तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता शाहजहाँ के घर जाकर छापेमारी की। पिछली बार रेड के दौरान हुए हमले के कारण इस दफा जाँच एजेंसी अपने साथ भारी सुरक्षा का इंतजाम करके टीएमसी नेता के घर पहुँची। उनके साथ 24 गाड़ियाँ थीं जिसमें जाँच टीम के अलावा सुरक्षाकर्मी भी थे।

जब टीम जाँच के लिए शाहजहाँ के घर पर गई तो वहाँ ताला था। उन्होंने उस ताले को तुड़वाया और घर के बाहर 100 जवानों को तैनात रखा। इस दौरान कहा जा रहा है कि लोकल पुलिस भी आई और उन्होंने ईडी टीम से कहा कि छापेमारी की वीडियोग्राफी वो करेंगे। हालाँकि ईडी टीम ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।

बता दें कि इससे पहले 5 जनवरी 2024 को तृणमूल कॉन्ग्रेस नेता शाहजहाँ शेख के घर रेड मारने गई प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर और सीआरपीएफ के जवानों पर 250-300 लोगों की भीड़ ने जानलेवा हमला किया था। उस दौरान पत्रकारों पर भी अटैक हुआ था और कई गाड़ियों में तोड़फोड़ भी हुई थी।

हमले में ईंट-पत्थर का इस्तेमाल हुआ था। सामने आई तस्वीर में एक आदमी का सिर खून से लथपथ नजर आ आया था। वो कपड़ा बाँधकर सुरक्षाकर्मियों के साथ खड़ा था। वहीं सुरक्षाकर्मी भी भीड़ के आगे बेबस दिखाई पड़ रहे थे। हमला करने वाली भीड़ में पुरुषों के साथ महिलाएँ भी थीं। सबने ईडी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उन्हें गालियाँ दीं थी, फिर हमला किया था।

बंगाल पुलिस ने इस मामले में 3 एफआईआर दर्ज की थी। इनमें एक शिकायत स्थानीयों द्वारा भी कराई गई थी जिसमें था कि टीम इलाके में अशांति फैला रही थी। हालाँकि, कोर्ट ने पुलिस को ई़डी टीम पर कार्रवाई करने से लिए रोक दिया था।

शाहजहाँ शेख कौन है?

गौरतलब है कि टीएमसी के नेता शाहजहाँ शेख को संदेशखली का बेताज बादशाह बताते हैं। शेख का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है लेकिन फिर भी वह राजनीति में बड़ी तेजी से आगे बढ़ा। वह जन्मा गरीब घर में ही था, जिसके कारण शुरुआत में उसने ट्रक ड्राइवर का काम किया, तो कभी कंडक्टर का। कभी सब्जी बेची तो कभी कुछ और किया। लेकिन इन सबके साथ वो संदेशखली में बड़े नेताओं से संपर्क भी बनाता रहा।

धीरे-धीरे समय आया कि वो खुद एक रसूखदार आदमी बन गया। 2006 में वामपंथी सरकार के वक्त उसने मोस्लेम शेख के सबसे करीबी सहयोगी के रूप में पैसे उगाही जैसे काम करने की शुरूआत की। धीरे-धीरे वो रियल स्टेट में घुसा और फिर मछली पालन जैसे कामों में लग गया।

सत्ता परिवर्तन के साथ उसका पाला भी बदल गया। 2011 में वामपंथी सरकार गई तो 2013 में वो टीएमसी में आ गया। यहाँ वह खाद्य मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक का खास बन गया। भाजपा के साथ टीएमसी की झड़पों में भी शेख का नाम आता रहा। 

2020 में उसके ऊपर दो भाजपा नेताओं की हत्या का इल्जाम लगा, लेकिन वह उससे भी बच गया। उसकी नीति यही रही कि वो हमेशा से बड़े लोगों के ग्रुप में उठता-बैठता, जिससे जब उस पर कोई दोष लगे तो वह बच सके। यही वजह है कि उसपर कार्रवाई नहीं हुई। उसपर अपने चुनाव क्षेत्र में चुनाव के दौरान धांधली करने का आरोप भी लगता रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया