17 साल में वकील बने जेठमलानी नहीं रहे, नानावती से लेकर अफजल गुरु तक रहे मुवक्किल

स्मृति शेष: राम जेठमलानी

जाने-माने वकील राम जेठमलानी का रविवार को निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। नई दिल्ली के अपने आवास पर सुबह पौने आठ बजे उन्होंने अंतिम सॉंस ली। उनकी तबीयत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं थी। 14 सितंबर को उनका 96वां जन्मदिन आने वाला था।

वे क्रिमिनल मामलों के देश के सबसे बेहतरीन वकील में शुमार थे। वे देश के कानून मंत्री भी रहे। अविभाजित भारत के पाकिस्तान स्थित शिकारपुर में 14 सितंबर 1923 को जन्मे जेठमलानी के पिता और दादा भी वकील थे। लिहाजा वकालत के पेशे को लेकर आकर्षण बचपन से ही था। 17 साल की उम्र में उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की। उन दिनों प्रैक्टिस करने की न्यूनतम उम्र 21 साल थी। लेकिन, जेठमलानी की प्रतिभा को देख इस उम्र सीमा में छूट दी गई।

उन्होंने सात दशक तक वकालत की और साल 2017 में इससे संन्यास ले लिया था। एक वकील होने के नाते जेठमलानी ने देश के कई बहुचर्चित केस भी लड़े हैं। इनमें कई काफी विवादित भी रहे। 1959 में नानावती के पक्ष में अदालत में दलीलें पेश कर वे वकालत की दुनिया के सितारे बने। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्यारों के पक्ष में मद्रास हाई कोर्ट में 2011 में केस लड़ा। स्टॉक मार्केट घोटाला केस में उन्होंने हर्षद मेहता और केतन पारेख का केस भी लड़ा। उनका सबसे विवादित केस अफजल गुरु की फाँसी का बचाव करना था। बहुचर्चित जेसिका लाल हत्याकांड में उन्होंने मनु शर्मा का केस भी लड़ा था। राम जेठमलानी ने चारा घोटाला मामले में आरोपित लालू प्रसाद यादव के साथ ही आसाराम, जयललिता और जगन रेड्डी की भी पैरवी की थी।

https://twitter.com/ANI/status/1170540822938304512?ref_src=twsrc%5Etfw

इसके अलावा, दाऊद इब्राहिम ने भी मुंबई बम ब्लास्ट के बाद मदद के लिए राम जेठमलानी के पास फोन किया था। जेठमलानी ने 2015 में कहा था कि दाऊद को भारत लाया जा सकता था, लेकिन महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम शरद पवार की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने कहा था कि उनकी बात दाऊद से हुई है। दाऊद ने उन्हें बताया था कि उसने बम ब्लास्ट नहीं कराया है और वो भारत आने के लिए भी तैयार है, बशर्ते उसके साथ सही सलूक किया जाए।


ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया