प्रदर्शनकारी ‘किसानों’ के माओ​वादियों, कॉन्ग्रेस और केजरीवाल से लिंक, अर्बन नक्सलियों से सहानुभूति: रिपोर्ट्स

'किसान' विरोध-प्रदर्शन (साभार: Randeep Maddoke; randeepphotoartist@gmail.com)

‘किसान विरोध प्रदर्शन’ को शुरुआत से ही हाइजैक करने का प्रयास किया जाता रहा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि राजनीतिक दल अपने एजेंडों को पूरा करने के लिए इसे हाइजैक करने की कोशिश कर रही है। बता दें कि इन विरोध-प्रदर्शनों के दौरान खालिस्तानी ताकतें काफी सक्रिय और मुखर रही हैं।

अब इन तथाकथित प्रदर्शनकारियों का विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ संबंध उजागर हो रहा है। बहुत कम लोग जानते हैं कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के प्रमुख सरदार वीएम सिंह कॉन्ग्रेस नेता हैं और 8 अलग-अलग मामलों में आरोपित हैं। उनके पास करोड़ों की संपत्ति भी है। IANS ने उन रिपोर्टों की एक श्रृंखला प्रकाशित की है, जिसमें ‘किसान प्रदर्शनकारी’ नेताओं के राजनीतिक संबंधों का खुलासा किया गया है।

IANS ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां (BKU-Ekta Ugrahan) दिल्ली की सीमाओं पर सबसे बड़ा समूह है। बताया जा रहा है कि वहाँ जमा हुए लोगों में से लगभग दो-तिहाई इसी संगठन के सदस्य हैं। बता दें कि यह वही समूह है जो एलगार परिषद मामले में शामिल ‘अर्बन नक्सलियों’ और दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार इस्लामवादियों की रिहाई के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं।

बीकेयू (उगराहां) के वकील और समन्वयक एनके जीत ने कहा कि यह पहले दिन से ही उनकी माँग रही है कि जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए। उनका दावा है कि पूरे भारत में नक्सल आंदोलन हमेशा से किसानों का आंदोलन रहा है। इसके आरोपितों की रिहाई बीकेयू की एक माँग है। उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार को जो माँग-पत्र सौंपा था, उसमें भी यह शामिल था। उन्होंने यह भी दावा किया कि नक्सलवाद ने आदिवासियों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने में मदद की है।

ऐसे अन्य लोगों में सुरजीत सिंह फूल, दर्शील पाल, अजमेर सिंह लखोवाल और अन्य शामिल हैं। 70 वर्षीय पाल क्रांतिकारी किसान यूनियन के पंजाब अध्यक्ष हैं, जिन पर माओवादी समर्थक समूहों से संबंध होने का आरोप है। आईएएनएस की रिपोर्ट में कहा गया है, “उनका राज्य के विभिन्न एलडब्ल्यूई कार्यकर्ताओं के साथ घनिष्ठ संबंध है, जिसमें जोगिंदर सिंह उगराहा, झन्धा सिंह जेठुके, सुखदेव सिंह कोकरी कलां (बीकेयू-एकता उगराहां के राज्य महासचिव), सतवंत सिंह वाजिदपुर (इंकलाबी लोक मोर्चा, जो सीपीआई/माओवादी समर्थक है), सुरजीत सिंह फूल, बूटा सिंह बुर्जगिल (बीकेयू-डकौंडा के राज्य अध्यक्ष, जो सीपीआई/माओवादी समर्थक भी है) शामिल हैं।”

पाल कथित तौर पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PDFI) के संस्थापक सदस्य भी हैं। अन्य सदस्यों में वरवरा राव, कल्याण राव, मेधा पाटकर, नंदिता हक्सर, एसएआर गिलानी और बीडी सरमा हैं। हमने पहले बताया था कि हैदराबाद में डॉ. मैरिज चन्ना रेड्डी ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार किए गए एक अध्ययन के अनुसार, PDFI माओवादियों द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत और विस्तार करने के लिए गठित किए गए टैक्टिकल यूनाइटेड फ्रंट (टीयूएफ) का एक हिस्सा है।

फूल 75 साल के हैं और बीकेयू-क्रांतिकारी के अध्यक्ष हैं। 2009 में यूपीए शासन के दौरान उन्हें कथित तौर पर यूएपीए के तहत बुक किया गया था। उन पर माओवादियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया गया था और ‘गहन पूछताछ’ के लिए अमृतसर की जेल में रखा गया था।

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हरियाणा के किसान नेता और बीकेयू (गुरनाम) के संस्थापक गुरनाम सिंह चादुनी के साथ करीबी संबंध हैं। कीर्ति किसान यूनियन के निर्भय सिंह धुडिके (प्रदेश अध्यक्ष) के घर 2009 में जालंधर पुलिस ने छापा मारा था। यह छापेमारी गिरफ्तार भाकपा-माओवादी कैडर जय प्रकाश दुबे के साथ उनके संबंधों को जानने के लिए की गई थी।

स्पष्ट तौर पर विरोध-प्रदर्शनों में असामाजिक तत्वों की भारी भागीदारी देखी जा रही है। इन विरोध स्थलों पर मसाज पार्लर और जिम की व्यवस्था है। तथाकथित प्रदर्शनकारियों के लिए सड़क पर पिज्जा बनाकर उसे पिकनिक स्पॉट में बदल दिया गया है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया