चुनाव से पहले संकट में बिहार कॉन्ग्रेस: अध्यक्ष समेत 107 नेताओं पर FIR, तेजस्वी यादव को अलग गठबंधन में जाने की धमकी

कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा (बाएँ) और तेजस्वी यादव (दाएँ)

बिहार विधानसभा चुनाव के तारीखों के ऐलान के बाद आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का पहला मामला भी आ गया है। ये मामला पटना के एयरपोर्ट थाने में दर्ज किया गया। इसमें कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा समेत 7 नामजद और 100 अज्ञात कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उधर कॉन्ग्रेस पार्टी ने राजद को भी सीट शेयरिंग का मसला जल्द तय कर के बिहार चुनाव में उतरने के लिए अल्टीमेटम दिया है।

पटना में कॉन्ग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ एयरपोर्ट के बाहरी परिसर में 100 से अधिक लोगों की भीड़ जुटाने, जुलूस निकालने, नारेबाजी करने, धारा-144 का उल्लंघन और कोरोना के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है। मदन मोहन झा के अलावा कांग्रेस स्क्रीनिंग कमिटी के अध्यक्ष अविनाश पांडेय, बिहार प्रभारी अजय कपूर, सचिव देवेंद्र यादव, मो. निजामुद्दीन, अखिलेश सिंह और दीपक नेगी नामजद आरोपित हैं।

‘हिंदुस्तान’ की खबर के अनुसार, इन सभी आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188, 269, 270 तथा महामारी एक्ट 1897 के अलावा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत कार्रवाई की जा रही है। एयरपोर्ट थानाधिकारी अरुण कुमार ने जानकारी दी है कि शनिवार (सितम्बर 26, 2020) को सुबह 11 बजे प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष एयरपोर्ट पर उतरे, जहाँ जमा भीड़ फूल-मालाओं से उनका स्वागत करने के बाद जुलूस की शक्ल में आगे बढ़ी।

मामला प्रकाश में आने के बाद डीएम खुद दल-बल के साथ एयरपोर्ट पहुँचे। उन्होंने एयरपोर्ट पर सुरक्षा-व्यवस्था का जायजा भी लिया। डीएम ने एयरपोर्ट अधिकारियों के साथ बैठक कर कोरोना का दिशा-निर्देश पालन कराने के लिए कहा। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि कहीं से भी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। साथ ही धारा-144 का भी उल्लंघन नहीं होना चाहिए। इसके बाद वहाँ सुरक्षा भी चुस्त कर दी गई है।

इधर कॉन्ग्रेस पार्टी ने राजद के तेजस्वी यादव का नेतृत्व तो स्वीकार कर लिया है लेकिन पार्टी का कहना है कि सीट शेयरिंग के मामले में अब सालों से चले आ रहे फॉर्मूले को हटा कर उसे कुछ फायदा मिलना चाहिए। कॉन्ग्रेस ने राजद को 75 सीटों की सूची भी सौंप दी है और उन सभी पर अपने उम्मीदवार उतारने की वकालत की है। मुद्दा संख्या नहीं है बल्कि कुछ ऐसी खास सीटें हैं, जिन पर कॉन्ग्रेस दावा ठोक रही है।

राजद को लगता है कि कॉन्ग्रेस द्वारा माँगी गई कुछ ऐसी सीटें भी हैं, जहाँ राजद काफी मजबूत है और वहाँ जीत भी सकता है। वहीं कॉन्ग्रेस का मानना है कि अगर उसे राजद की मजबूती से फायदा नहीं मिलता है तो फिर गठबंधन का क्या फायदा? कॉन्ग्रेस ने माँगें न मानी जाने पर अलग गठबंधन में जाने की धमकी दी है। सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकिन अंतिम नतीजे पर पहुँचने के लिए सितम्बर के अंत तक का समय तय किया गया है।

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उधर कॉन्ग्रेस पार्टी ने रालोसपा, मुकेश साहनी की वीआईपी, यशवंत सिन्हा और एनसीपी के साथ बातचीत शुरू कर दी है। एक और ध्यान देने वाले बात ये भी है कि अभी तक कॉन्ग्रेस-राजद का कोई साझा बयान भी जारी नहीं किया है। अब देखना ये है कि राजद ही उन सीटों को छोड़ता है या कॉन्ग्रेस समझौता करेगी। राजद को ये भी डर है कि कॉन्ग्रेस को ज्यादा सीटें देने पर महागठबंधन के बाकी दल भी ऐसी माँगें कर सकते हैं।

उधर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने इशारा कर दिया कि वो महागठबंधन से अलग होंगे। वहीं राजग से भाव न मिलने के बाद वो कह रहे हैं कि अगर राजद में नेतृत्व परिवर्तन होता है तो वो पुनर्विचार करने के लिए तैयार हो सकते हैं। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने यहाँ तक कह डाला कि राजग में जिन लोगों को दुत्कारा गया, उन्हें राजद ने सम्मान दिया, आज वही लोग तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया