‘ज़रूर बनेगा भारत सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य, इस दिशा में तेजी से प्रगति हो रही है’

विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की विदेश नीति के सबसे बड़े सपने को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्य सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए सतत रूप से प्रयासरत है, इसमें प्रगति भी लगातार हो रही है, और मोदी सरकार इस मामले को लेकर धैर्य, आकांक्षा और मेहनत में कोई कोताही नहीं कर रही है। “मैं इतना यथार्थवादी हूँ कि यह समझ सकूँ कि यह एक लम्बा और धैर्य वाला काम है… हम एक दिन वहाँ ज़रूर पहुँचेंगे।”

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गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनना भारतीय विदेश नीति की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण आकाँक्षाओं में से एक रहा है। संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना, आतंकवाद की परिभाषा, दूसरे देशों पर आतंकी गतिविधियों के लिए प्रतिबंध लगाने जैसे मामलों में निर्णय यही संस्था लेती है। इसमें मौजूदा 5 स्थाई सदस्य हैं- अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ़्रांस। इन्हें वीटो शक्ति मिली है- यानी इनमें से कोई एक चाहे तो सुरक्षा परिषद में बाकी सभी की सर्वसम्मति से लिए गए किसी भी फैसले को रोक सकता है।

पाँचों सदस्य देशों में से 4 भारत को इसका सदस्य बनाने के लिए राज़ी हैं, और अलग-अलग मौकों पर इसके लिए प्रतिबद्धता जता चुके हैं। केवल चीन हर महत्वपूर्ण मंच की तरह इस पर भी भारत का विरोध कर रहा है।

इसके पहले अक्टूबर में भी जयशंकर ने सुरक्षा परिषद के मामले पर इसके स्थाई सदस्यों को खरी-खरी नसीहत दोटूक दी थी। उन्होंने कहा था कि भारत का सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता में न होना इस संस्था की ही खुद की विश्वसनीयता को सवालिया घेरे में खड़ा कर देता है। उन्होंने तर्क दिया था कि दुनिया की सुरक्षा के बारे में फैसला लेते समय अन्य देश उस देश (भारत) को कैसे बाहर रख सकते हैं जो 15 सालों के भीतर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी का घर बनने जा रहा है और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पहले ही बन चुका है।

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यही नहीं, जयशंकर अपने राजनयिक जीवन के दिनों से ही भारत की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के मुद्दे से जुड़े रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया