Thursday, April 25, 2024
Homeराजनीति'ज़रूर बनेगा भारत सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य, इस दिशा में तेजी से प्रगति...

‘ज़रूर बनेगा भारत सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य, इस दिशा में तेजी से प्रगति हो रही है’

दुनिया की सुरक्षा के बारे में फैसला लेते समय अन्य देश उस देश (भारत) को कैसे बाहर रख सकते हैं जो 15 सालों के भीतर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी का घर बनने जा रहा है और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पहले ही बन चुका है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की विदेश नीति के सबसे बड़े सपने को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्य सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए सतत रूप से प्रयासरत है, इसमें प्रगति भी लगातार हो रही है, और मोदी सरकार इस मामले को लेकर धैर्य, आकांक्षा और मेहनत में कोई कोताही नहीं कर रही है। “मैं इतना यथार्थवादी हूँ कि यह समझ सकूँ कि यह एक लम्बा और धैर्य वाला काम है… हम एक दिन वहाँ ज़रूर पहुँचेंगे।”

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनना भारतीय विदेश नीति की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण आकाँक्षाओं में से एक रहा है। संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना, आतंकवाद की परिभाषा, दूसरे देशों पर आतंकी गतिविधियों के लिए प्रतिबंध लगाने जैसे मामलों में निर्णय यही संस्था लेती है। इसमें मौजूदा 5 स्थाई सदस्य हैं- अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ़्रांस। इन्हें वीटो शक्ति मिली है- यानी इनमें से कोई एक चाहे तो सुरक्षा परिषद में बाकी सभी की सर्वसम्मति से लिए गए किसी भी फैसले को रोक सकता है।

पाँचों सदस्य देशों में से 4 भारत को इसका सदस्य बनाने के लिए राज़ी हैं, और अलग-अलग मौकों पर इसके लिए प्रतिबद्धता जता चुके हैं। केवल चीन हर महत्वपूर्ण मंच की तरह इस पर भी भारत का विरोध कर रहा है।

इसके पहले अक्टूबर में भी जयशंकर ने सुरक्षा परिषद के मामले पर इसके स्थाई सदस्यों को खरी-खरी नसीहत दोटूक दी थी। उन्होंने कहा था कि भारत का सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता में न होना इस संस्था की ही खुद की विश्वसनीयता को सवालिया घेरे में खड़ा कर देता है। उन्होंने तर्क दिया था कि दुनिया की सुरक्षा के बारे में फैसला लेते समय अन्य देश उस देश (भारत) को कैसे बाहर रख सकते हैं जो 15 सालों के भीतर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी का घर बनने जा रहा है और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पहले ही बन चुका है।

यही नहीं, जयशंकर अपने राजनयिक जीवन के दिनों से ही भारत की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के मुद्दे से जुड़े रहे हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इंदिरा गाँधी की 100% प्रॉपर्टी अपने बच्चों को दिलवाने के लिए राजीव गाँधी सरकार ने खत्म करवाया था ‘विरासत कर’… वरना सरकारी खजाने में...

विरासत कर देश में तीन दशकों तक था... मगर जब इंदिरा गाँधी की संपत्ति का हिस्सा बँटने की बारी आई तो इसे राजीव गाँधी सरकार में खत्म कर दिया गया।

जिस जज ने सुनाया ज्ञानवापी में सर्वे करने का फैसला, उन्हें फिर से धमकियाँ आनी शुरू: इस बार विदेशी नंबरों से आ रही कॉल,...

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को कुछ समय से विदेशों से कॉलें आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखकर कंप्लेन की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe