बजट 9 गुना, 51 वंदे भारत, मेघालय ने पहली बार देखी रेल… मोदी राज में सरपट भाग रही रेलवे: मुट्ठी में ‘बुलेट’ रफ्तार का स्वप्न, यात्रा सुगम भी-सुरक्षित भी

वन्दे भारत मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है (चित्र साभार: NDTV)

रेलवे भारत में आवागमन का सबसे सुगम और सस्ता साधन है। भारतीय रेल रोज 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपने गंतव्य तक पहुँचाती है। रेलवे देश के उत्तर को दक्षिण और पूर्व को पश्चिम से जोड़ती है। मोदी सरकार के बीते कुछ सालों में भारतीय रेलवे का नया अवतार सामने आया है। वन्दे भारत ट्रेनें, बिना धुएँ वाले इंजन, बिजली से दौड़ती गाड़ियाँ और शानदार नए रेलवे स्टेशन आज भारतीय रेलवे की पहचान हैं। आज कश्मीर भी बाकी देश से रेलवे से जुड़ा है। हालाँकि, यह स्थिति हमेशा से नहीं थी।

2014 से पहले तक रेलवे सुस्त रूप से बदल रही थी। अधिकाँश रेल नेटवर्क वही था जो कि अंग्रेज इस देश में छोड़ गए थे। रेलवे का बड़ा हिस्सा डीजल पर चलता था। इससे प्रदूषण और विदेशों पर निर्भरता दोनों बढ़ते थे। जहाँ बाकी विश्व तेज रफ्तार ट्रेन चला रहा था तो वहीं भारत लम्बे समय तक उन्हीं धीमी गति की गाड़ियों में चल रहा था। प्रीमियम ट्रेनों, जैसे कि शताब्दी और राजधानी की सँख्या भी सीमित थी। ऐसे में मोदी सरकार को रेलवे के चहुमुखी परिवर्तन के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी है।

UPA सरकार से 72% ज्यादा बिछी पटरियाँ, कई शहरों को मिलीं बड़ी लाइन

मोदी सरकार देश में नई रेल लाइन बिछाने, पुरानी रेल लाइन के दोहरीकरण और साथ ही उनके नवीनीकरण को लेकर काम करती रही है। मोदी सरकार से पहले UPA के 10 वर्षों के शासनकाल में देश में 14,985 रेल किलोमीटर(RKM) रेल लाइन बिछाई गईं थी। मोदी सरकार ने 2023 के अंत तक देश में 25,871 किलोमीटर से अधिक रेल लाइन बिछा दी थीं। इसके अलावा रेलवे पटरियों पर दबाव कम करने और दुर्घटनाओं को घटाने के लिए आवश्यक रेलवे के दोहरीकरण को भी रफ्तार मिली।

(चित्र BG साभार: Trainwalebhaiya/X)

मोदी सरकार के अंतर्गत देश के 14 हजार किलोमीटर से अधिक नेटवर्क को दोहरीकृत किया गया। इसके अलावा 5,750 किलोमीटर से अधिक छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदला गया। एक आँकड़े के अनुसार, मोदी सरकार ने 2022-23 में 14 किलोमीटर/प्रतिदिन रेलवे लाइन बिछाई गई, 2023-24 में इसे 16 किलोमीटर/प्रतिदिन करने का लक्ष्य है। यानी यह इलाके भी बाकी देश से सीधे जुड़ गए। मोदी सरकार मेघालय में पहली बार रेल पहुँची। नागालैंड को 100 वर्षों के बाद दूसरा स्टेशन मिला।

डीजल का धुआँ पीछे, अब रेल में बिजली की रफ़्तार

रेलवे क्षेत्र में मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रेलवे का बिजलीकरण है। मोदी सरकार ने रेलवे के बिजलीकरण को युद्धस्तर पर किया है। इस प्रयास के चलते अब देश का 94% रेलवे रूट बिजलीकृत हो गया है। देश के 14 राज्यों में तो 100% रेलवे रूट बिजलीकृत किया जा चुका है। देश की आजादी के बाद जितना रेलवे रूट बिजलीकृत किया गया था, उससे दोगुना रूट मोदी सरकार ने अकेले 10 वर्षों में कर दिया है।

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मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले देश का 21,801 किलोमीटर रेलवे रूट बिजलीकृत था। वर्तमान में यह सँख्या 61,813 किलोमीटर है। यानी अब पहले की सरकारों के मुकाबले तीन गुना अधिक रूट बिजलीकृत है। रेलवे के बिजलीकरण से काफी फायदे हुए हैं।

सबसे बड़ा फायदा डीजल की खपत में हुआ है, जिसके आयात के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है। रेलवे द्वारा दिए गए एक आँकड़े के अनुसार, 2014-15 में देश में रेलवे द्वारा 285 करोड़ लीटर डीजल खर्च होता था। यह 2020-21 में घट कर 95 करोड़ लीटर रह गया। यानी यह एक तिहाई से हो गया। इससे विदेशों से तेल खरीदने के लिए जाने वाली विदेशी मुद्रा में भी कमी आई और साथ ही रेलवे के कारण होने वाले प्रदूषण पर भी लगाम लगी।

नई ट्रेने लाने में भी मोदी सरकार अव्वल

मोदी सरकार जहाँ पुरानी व्यवस्थाओं को बदल रही है तो वहीं नई ट्रेन भी ला रही है। भारत में निर्मित वन्दे भारत अब देश के लोगों को तेजी से आवागमन में सहायता कर रही है। मोदी सरकार के दौरान देश को गतिमान एक्स्प्रेक्स और तेजस एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें भी मिली हैं। पुरानी सरकारों से अगर तुलना की जाए तो यह भी एक बड़ी उपलब्धि है। मोदी सरकार में शुरू हुई वन्दे भारत मात्र 4-5 वर्षों के भीतर ही 51 की संख्या में पहुँच गई हैं।

इसकी तुलना ऐसी ही पूर्ववर्ती ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस से जाए तो यह 1988 में शुरू होकर भी 2017 तक मात्र 21 सेवाओं तक ही पहुँची थी। यानी जहाँ 30 वर्षों में मात्र 34 शताब्दी चलाई गईं, वहीं देश में मात्र 5 वर्षों में 51 वन्दे भारत चल गईं। इन 51 में से भी 49 वन्दे भारत दो वर्ष के भीतर चलाई गई हैं। मोदी सरकार जल्द ही स्लीपर वन्दे भारत भी लाने वाली है।

रेल दुर्घटनाएँ हुईं एक तिहाई, सरकार ने सुरक्षा पर खर्चे ₹1 लाख करोड़

मोदी सरकार के काल में रेलवे सुरक्षा पर काफी जोर दिया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो मोदी सरकार में रेलवे दुर्घटनाओं की सँख्या में भी कमी आई है। 2004 से 2014 के दौरान देश में प्रति वर्ष औसतन 171 रेल दुर्घटनाएं हुई थी। मोदी सरकार के अंतर्गत 2014 से लेकर 2023 में यह सँख्या घट कर 70 दुर्घटना प्रति वर्ष हो गई। सरकार ने इस दौरान बड़ी धनराशि रेलवे में सुरक्षा बढ़ाने को खर्ची है। एक रिपोर्ट के अनुसार, मोदी सरकार ने 2017-18 से 2021-22 के बीच में रेल सुरक्षा पर ₹1.08 लाख करोड़ खर्चे।

इस धनराशि से मानवरहित फाटकों का उन्मूलन, नए सिग्नल, पटरियों को सुधारना एवं मरम्मत के काम किए गए। मोदी सरकार ने मानवरहित समपार फाटकों को भी देश में खत्म कर रहा है। देश के बड़ी लाइन के रूट पर वर्तमान में एक भी मानवरहित क्रासिंग नहीं है। देश के मुख्य रेलमार्गों पर कवच तकनीक लगाई जा रही है जिससे ट्रेनों के आपस में टकराने की समस्या को पूरी तरीके से खत्म किया जा सकेगा।

रेलवे का बजट बढ़ा, स्टेशनों का भी हो रहा पुनर्विकास

मोदी सरकार में रेलवे को बड़ी मात्रा में पैसा भी दिया गया है। 2014 में जहाँ रेलवे को लगभग ₹29,000 करोड़ का बजट दिया गया था। 2024-25 में यह बजट लगभग 8 गुना बढ़ कर ₹2.55 लाख करोड़ हो चुका है। मोदी सरकार रेलवे में नई लाइन और बिजलीकरण के अलावा स्टेशनों के पुनर्विकास पर भी काम कर रही है। हाल ही में पीएम मोदी देश के 550 से अधिक स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन के रूप में विकसित करने को लेकर हरी झंडी दिखाई दी थी।

(चित्र BG साभार: Trainwalebhaiya/X)

इन सबके अलावा मोदी सरकार अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन भी चलाने वाली है। इसका काफी काम पूरा हो गया है। जिस गति से काम हो रहा है, यदि यही गति बनी रहे तो अगले कुछ सालों में रेलवे का काफी बदला रूप दिखने वाला है।

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