₹5 लाख की आय वालों के लिए कोई टैक्स नहीं, मिडिल क्लास के लिए बचत का शानदार बजट

इनकम टैक्स को लेकर वित्त मंत्री की बड़ी घोषणा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (फरवरी 1, 2020) को अपना दूसरा पूर्ण बजट पेश किया। इनकम टैक्स का क्षेत्र ऐसा है, जिससे मध्यम वर्ग सीधे तौर पर प्रभावित होता है और नौकरीपेशा लोग भी बजट के इसी भाग का सबसे ज्यादा इन्तजार कर रहे थे। जब अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है, ऐसे में कॉर्पोरेट टैक्स के साथसाथ इनकम टैक्स में भी बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही थी। सरकार के पास उद्योग जगत और आम नौकरीपेशा लोग, दोनों को ही ख़ुश करने की जिम्मेदारी थी।

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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार घोषणा करते हुए कहा कि आज के दौर में व्यापार के लिए सभी देशों में बड़ी प्रतिस्पर्द्धा चल रही है, ऐसे में कॉर्पोरेट टैक्स रेट को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की नई कंपनियों के लिए 15% घटाया गया है जबकि पहले से मौजूद कंपनियों के लिए इसे 22% घटाया गया। वित्तमंत्री ने बताया कि ये ऐतेहासिक निर्णय है, जिससे कॉर्पोरेट टैक्स भारत में दुनिया में सबसे कम हो गया है। इस दौरान वित्तमंत्री ने महाकवि कालिदास के रघुवंशम की पंक्तियाँ भी पढ़ीं।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि टैक्स कलेक्शन जनता के लिए ही होता है और इसे विभिन्न रूपों में जनता के लिए ख़र्च किया जाता है। नए टैक्स स्लैब:
5 से 7.5 लाख की कमाई पर 10% टैक्स
7.5 से 10 लाख तक कमाई पर 15% टैक्स
10-12.5 लाख कमाई पर 20% टैक्स
12.5-15 लाख की कमाई पर 25% टैक्स
15 लाख से ऊपर वाले को 30% टैक्स

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आईटी टैक्स को सिम्प्लीफाई करने और जनता पर बोझ घटाने के लिए वित्तमंत्री ने ये घोषणाएँ की। हालाँकि, 15 लाख रुपए से ऊपर तक की आय वालों के लिए 30% टैक्स रेट जारी रहेगा। इसके साथ ही करदाताओं को भारी राहत दी गई है। सरकार करदाताओं को और राहत देते हुए ‘टैक्स एक्सेम्पशन’ के 100 तरीकों में से 70 को हटा देगी, इससे टैक्स व्यवस्था का सरलीकरण होगा।

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लोकसभा चुनाव 2019 से पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में इनकम टैक्स में मिली छूट से मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत मिली थी। मोदी सरकार की दोबारा प्रचंड जीत के पीछे इसे भी बड़ा फैक्टर माना गया था। तत्कालीन कार्यकारी केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख रुपए प्रतिवर्ष तक की आय वालों के लिए फुल टैक्स रिबेट की घोषणा की थी। इससे फायदा ये हुआ था कि 6.5 लाख रुपए तक की ग्रॉस वार्षिक आय वालों को प्रोविडेंट फंड या इक्विटीज में निवेश करने पर इनकम टैक्स भरने से राहत मिल गई थी। इस निर्णय से 3 करोड़ करदाताओं को सीधा लाभ पहुँचा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया