IUML ने नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ SC का किया रुख़, इसे ‘अवैध’ घोषित करने की उठाई माँग

IUML नेताओं के साथ कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को चुनौती दी है। इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा मंज़ूरी दे दी गई है। क़ानून बनने से पहले इस पर अब केवल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने बाक़ी हैं। 

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का केस कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल लड़ेंगे। IUML, जो केरल राज्य में कॉन्ग्रेस की सहयोगी है, उसने अपनी याचिका में SC से नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को अवैध और शून्य घोषित करने का अनुरोध किया क्योंकि उन्होंने आरोप लगाया है कि यह विधेयक संविधान के मौलिक अधिकार समानता का उल्लंघन करता है।

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ख़बर के अनुसार, भारतीय संघ मुस्लिम लीग ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए संसद के चार अन्य सदस्यों, जिनमें पीके कुन्हालीकुट्टी (केरल का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा IUML सांसद), ET मोहम्मद बशीर (केरल का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक सभा IUML सांसद), अब्दुल वहाब (केरल से राज्यसभा IUML सांसद) और के नवीस कानी (तमिलनाडु से लोकसभा IUML सांसद) शामिल हैं, उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ शीर्ष अदालत में एक याचिका भी दायर की है। इस याचिका का आधार यह है कि यह विधेयक  संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

बता दें कि लोकसभा के बाद बुधवार (11 दिसंबर) को राज्यसभा में लंबी बहस के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पास हो गया है। इस विधेयक की वोटिंग में कुछ 230 वोट पड़े। जिसमें विधेयक के पक्ष में 125 और विरोध में 105 वोट पड़े थे।

कॉन्ग्रेस के दिग्गज़ नेता कपिल सिब्बल और ज़मानत पर बाहर आए नेता पी चिदंबरम, दोनों उच्च सदन के सदस्यों ने संसद में चर्चा के दौरान विधेयक की क़ानूनी वैधता पर मोदी सरकार से सवाल किए थे। ऐतिहासिक नागरिकता संशोधन विधेयक, राज्यसभा और लोकसभा दोनों द्वारा पारित होने के बाद, पिछले कई वर्षों से भारत में निवास कर रहे तीन पड़ोसी देशों के सैकड़ों और हज़ारों सताए गए अल्पसंख्यकों के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।

कॉन्ग्रेस और समान विचारधारा वाले दलों ने इस विधेयक के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था। शिवसेना, जो एक हिन्दुत्व पार्टी होने का दावा करती है, उसने लोकसभा में बिल के पक्ष में मतदान करने के बाद, यू-टर्न लेते हुए राज्यसभा में वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहने का फ़ैसला लिया। अब नागरिकता विधेयक को संसद के दोनों सदनों से मंज़ूरी मिल गई है।

कुछ लोग इस विधेयक को मुस्लिम-विरोधी मानते हैं, हालाँकि इस विधेयक का भारत के मजहब विशेष से कोई लेना-देना नहीं था। वहीं, सोशल मीडिया पर विधेयक के पेश होने और अंतत: लोकसभा में पारित होने के बाद लिबरल गैंग लगभग नदारद ही था। आख़िरकार, विधेयक के ऐसे निराधार विरोध को संसद के दोनों सदनों ने ख़ारिज कर दिया है और राष्ट्रपति कोविंद जल्द ही ऐतिहासिक विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके बाद यह विधेयक क़ानून बन जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया