सोनिया गाँधी ने किया था वादा, लेकिन पार्टी में चुनाव का अब तक कुछ पता नहीं: कपिल सिब्बल

कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल (फाइल फोटो)

कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव को लेकर पार्टी नेताओं का एक खेमा लगातार आवाज उठा रहा है। पिछले महीने सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की माँग को लेकर पार्टी के 23 नेताओं ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखा था। लेकिन, अब एक माह बाद भी उस विषय पर स्पष्ट जवाब न मिलने के कारण पार्टी के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने दोबारा सवाल उठाए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से मैं उस बैठक में नहीं था। मैं कहीं जा रहा था। लेकिन मुझे लगता है कि हमने खुली बातचीत की थी, और जाहिर है, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि चुनाव होगा। हालाँकि, अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि ये चुनाव कब और कैसे होंगे। हमारा मानना है कि पार्टी के आंतरिक चुनाव संविधान के प्रावधानों के हिसाब से ही कराए जाएँगे।”

वह बोले, “जिन लोगों को लगता है कि वह पहले से ही एक राजनीतिक शक्ति हैं और बहुत मजबूत राजनीतिक ताकत हैं और वह सब कर रहे हैं या यह पुनरुद्धार की प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो मुझे लगता है, विभिन्न राज्यों में क्या हो रहा है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। पार्टी को लेकर लोग मायूस हैं। नेताओं का पार्टी से मोहभंग हो रहा है। मैं दिल्ली के बारे में बात कर सकता हूँ। कई नेता मेरे पास आए हैं और दिल्ली में प्रक्रियाओं के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है और चाहते हैं कि पार्टी तेजी से कार्य करे। लेकिन अभी तक हमें उस तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसकी हम उम्मीद कर रहे थे।”

राहुल गाँधी के दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा वाले सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा, “हम चर्चाओं-अटकलों का जवाब नहीं देते, हम वास्तविकाता का जवाब देते हैं। जब चर्चा के टेबल पर यह बात आएगी, तो हम इसका जवाब देंगे।”

इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या राहुल गाँधी की वापसी से पार्टी में बदलाव की संभावना है। इस पर सिब्बल ने कहा, “मुझे लगता है कि यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि पार्टी में किस तरह से संविधान की प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। इसमें कॉन्ग्रेस के सभी महत्वपूर्ण लोगों के साथ विचार विमर्श भी काफी अहम है।”

अपने साक्षात्कार में उन्होंने किसान आंदोलन पर बात की। सिब्बल ने कहा कि इन सबसे बचने का एक ही उपाय है कि किसान को उसकी उपज के लिए सही एमएसपी दी जाए। वह बोले कि ऐसे वक्त में जब इंडस्ट्री को मैक्सिमम सपोर्ट मिल रहा है, किसान न्यूनतम समर्थन की मूल्य की माँग के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

सिब्बल ने हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने जो कुछ भी किया है, वह बिना सोचे समझे किया है। चाहे फिर वह नोटबंदी हो, जीएसटी या फिर कृषि कानून हो। मुद्दों को भटकाना इस सरकार के डीएनए में है। यह एक सल्तनत के निर्णयों की तरह है। हम मध्यकालीन भारत के दिनों में वापस भेज दिए गए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया