ऑक्सीजन चाहिए केंद्र सरकार से लेकिन उसका ऑडिट नहीं: केजरीवाल सरकार ने SC में किया विरोध

केजरीवाल सरकार ने ऑक्सीजन ऑडिट का किया विरोध

कोरोना वायरस के कहर के बीच दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र सरकार की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में गुरुवार को सुनवाई हुई। इस दौरान केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में केंद्र सरकार के ऑक्सीजन के उपयोग की ऑडिट करने पर आपत्ति जताई है।

खबरों के मुताबिक, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र पहले ही बुधवार को दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति कर चुका है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अधिक था। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दिल्ली को प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए कहा था। एसजी मेहता ने जोर देकर कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन के उपयोग की ऑडिट करने की जरूरत है।

दिल्ली में ऑक्सीजन की वास्तविक माँग को जानने के लिए ऑडिट किए जाने का अनुरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली 500-600 मीट्रिक टन ऑक्सीजन में सही प्रबंधन के जरिए स्थिति को नियंत्रित कर सकता है, जिस तरह से मुंबई कर रही है। उन्होंने दिल्ली सरकार पर टैंकरों से ऑक्सीजन उतारने और उन्हें फिर से भरने के लिए वापस भेजने में कछुआ चाल अपनाने का आरोप भी लगाया है।

एसजी तुषार मेहता ने कहा, “दिल्ली में अधिक आपूर्ति होने के बाद भी लोडिंग में बहुत अधिक समय लग रहा है। इससे ताजा ऑक्सीजन की आपूर्ति में देरी हो रही है। कोई भी योजना तभी सफल होगी जब टैंकर और कंटेनर अधिकतम आठ घंटे में लोडिंग कर पाएँगे, ताकि वे पूर्वी भारत या गुजरात वापस जा सकें और स्टॉक को फिर से भरने के बाद आपूर्ति कर सकें।”

दिल्ली सरकार पर गैरजरूरी तौर पर ऑक्सीजन माँगने का आरोप लगाते हुए एसजी ने कहा, “बुधवार को दिल्ली से स्टॉक खत्म होने की एक भी शिकायत नहीं मिली। इस पर ध्यान दिया जा सकता है कि दिल्ली में 4 मई को 585 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई थी।”

मेहता ने कोर्ट को बताया कि SC ने केंद्र को सोमवार तक दिल्ली में 700 MT ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखने का निर्देश दिया था, लेकिन गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को आपूर्ति 560 मीट्रिक टन तक गिर जाएगी।

दिल्ली सरकार का ऑक्सीजन ऑडिट पर आपत्ति

सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन ऑडिट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह दिल्ली और अन्य राज्यों में ऑक्सीजन परिवहन और आवंटन के सेंट्रलाइज़्ड कुप्रबंधन को देखने के लिए ऑडिट का आदेश दे। कोर्ट में दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि दिल्ली को ऑक्सीजन का आवंटन जमीनी हकीकत से परे है। यह केवल कागजी कार्रवाई थी और अगर ऑडिट की जरूरत थी, तो केंद्र सरकार के आवंटन का ऑडिट होना चाहिए।

दिल्ली सरकार के आरोपों का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली के 56 बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन स्टॉक और 11 ऑक्सीजन रिफिलर्स के बारे में बुधवार शाम एक सर्वेक्षण किया गया था।

मेहता ने कहा, “सर्वेक्षण के निष्कर्षों से यह पता चलता है कि दिल्ली के अस्पतालों में स्टॉक है। जबकि, ऑक्सीजन की बड़ी मात्रा जो कल शाम (730 एमटी) दिल्ली पहुँची थी, उसे अभी तक अस्पतालों को बाँटा नहीं गया है। इससे स्टॉक में और सुधार होगा।”

दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने दावा किया कि केंद्र सरकार मुश्किल की इस घड़ी में दिल्ली सरकार के खिलाफ “विच हंट” कर रही है। कोर्ट की बेंच ने कहा कि वह अदालतों को दिल्ली सरकार के खिलाफ आक्रोश या “विच हंट” के एक मंच के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा।

दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा कि 200 मीट्रिक टन के हिसाब से दिल्ली के लिए ऑक्सीजन के आवंटन में बढ़ोतरी से अन्य राज्यों के लिए 2-3% आवंटन में कटौती होगी। मेहरा ने कहा, “केंद्र ने दोहराया है कि दिल्ली के आवंटन में वृद्धि से अन्य राज्यों में कमी आएगी। केंद्र को झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि अभी तक किसी भी राज्य ने शिकायत नहीं की है। केंद्र 700 मीट्रिक टन की माँग को पूरा नहीं कर पाया है और अब अगले तीन दिनों के लिए इसे घटाकर 560 मीट्रिक टन करने जा रहा है। यह केंद्र का उद्दंड आचरण है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया