नेशनल हेराल्ड को 1981 में लीज पर दी गई थी 1.14 एकड़ जमीन, कॉन्ग्रेस ने बना डाले बड़े-बड़े शोरूम: दिल्ली के बाद अब भोपाल में भी सील होगी बिल्डिंग

दिल्ली के बाद भोपाल में सील होगी नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग! (फोटो साभार: Republic)

नेशनल हेराल्ड मामले में कॉन्ग्रेस की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। बुधवार (3 जुलाई 2022) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग के अंदर मौजूद यंग इंडिया के ऑफिस को सील कर दिया था। अब भोपाल में नेशनल हेराल्ड की प्रॉपर्टी को लेकर मध्य प्रदेश सरकार एक्शन मोड में आ गई है। भोपाल में भी नेशनल हेराल्ड के ऑफिस पर कार्रवाई हो सकती है। शिवराज सरकार में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने ये बड़ा दावा किया है।

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कोर्ट में मामला होने के चलते अभी तक कार्रवाई नहीं हो पाई है। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार अदालत में मामले की बारीकी से निगरानी कर रही है और साथ ही सरकार ने भी जाँच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जाँच कराने के बाद जो रिपोर्ट सामने आएगी, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जाँच रिपोर्ट 1 महीने में देने के लिए कहा गया है। भूपेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो जाँच पूरी होने के बाद परिसर को सील कर दिया जाएगा। 

इसके अलावा जो लोग भी कामर्शियल उपयोग कर रहे हैं या जिन्होंने किया है उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कॉन्ग्रेसी नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर जगह ली गई और कॉन्ग्रेस नेताओं ने उसे अपने नाम पर करा लिया।

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि देश में आजादी के बाद कॉन्ग्रेस नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर जमीन ली उसके बाद संपत्ति अपने नाम करा ली। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में नेशनल हेराल्ड के दफ्तर में विशाल मेगा मार्ट समेत कई कमर्शियल दफ्तर संचालित है।

उन्होंने कहा कि भोपाल के एमपी नगर में नेशनल हेराल्ड को अलॉट हुई जमीन का लैंड यूज चेंज कराने वाले तत्कालीन अधिकारियों की भी जाँच मध्य प्रदेश सरकार कराएगी। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर जमीन ली और उसके बाद संपत्ति अपने नाम करा ली। ऐसे लोगों की भी जाँच होगी।

भोपाल के नेशनल हेराल्ड की कहानी

भोपाल के प्रेस कॉम्प्लेक्स में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को 1981 में 1.14 एकड़ जमीन महज 1 लाख रुपए में 30 साल के लिए लीज पर आवंटित की गई थी। AJL ने उस समय अंग्रेजी दैनिक नेशनल हेराल्ड, हिंदी दैनिक नवजीवन और उर्दू दैनिक कौमी आवाज प्रकाशित की थी। 2011 में लीज समाप्त होने के बाद भोपाल विकास प्राधिकरण (BDA) यहाँ मालिकाना हक लेने पहुँचा तो पाया कि इसका इस्तेमाल समाचार पत्रों के प्रकाशन के बजाय व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था। समाचार पत्रों का प्रकाशन तो 1992 में ही बंद हो चुका था और उसके बाद से इसका कॉमर्शियल इस्तेमाल हो रहा था।

प्रेस को दिए गए प्लॉट पर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स बनने का पता चलने के बाद भोपाल विकास प्राधिकरण ने इसे अपने कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू की लेकिन इसी बीच कई खरीददार सामने आ गए और मामला अदालत पहुँच गया। इस वजह से कार्रवाई बीच में ही अटक गई। हालाँकि, 2012 में भोपाल विकास प्राधिकरण ने इस प्लॉट की लीज को रद्द कर दिया था लेकिन तब से लेकर अब तक इस प्लॉट के अलग-अलग खरीददार और भोपाल विकास प्राधिकरण के बीच मालिकाना हक को लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सबसे पहले 2012 में नेशनल हेराल्ड केस का मुद्दा उठाया। इसके बाद 2014 में ईडी ने संज्ञान लेते हुए मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। इस केस में सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस के ही मोतीलाल वोरा समेत अन्य को आरोपित बनाया। मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए ईडी ने दिल्ली की नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग में स्थित यंग इंडिया कंपनी के ऑफिस को सील कर दिया। इस कार्रवाई से एक दिन पहले ED ने इस मामले में 11 जगहों पर छापेमारी की थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया