सबसे ज्यादा वैक्सीन मिली-5 लाख बर्बाद किया, अब केंद्र से रार: उद्धव सरकार का कोरोना कुप्रबंधन, विरोध में कारोबारी भी

महाराष्ट्र में कोरोना के खिलाफ कुछ यूँ लड़ी जा रही है लड़ाई

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने केंद्र से कोरोना वैक्सीन की खेप की माँग की है और इन सबके बीच उस पर वैक्सीन की बर्बादी के भी आरोप लग रहे हैं। राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो बैठक हुई, उसमें उद्धव ठाकरे फोन पर व्यस्त दिखे। ‘महा विकास अघाड़ी (MVA)’ गठबंधन के सूत्रधार NCP सुप्रीमो शरद पवार कह चुके हैं कि केंद्र सरकार की तरफ से कोई दिक्क्त नहीं है और पूर्ण सहयोग मिल रहा है।

सबसे पहले आँकड़ों की जुबानी राज्य के मौजूदा हालात की बात कर लेते हैं। महाराष्ट्र में फ़िलहाल कोरोना के 5,21,317 सक्रिय मरीज हैं, जो देश के कुल सक्रिय कोरोना संक्रमितों का 53.32% है। पिछले 1 दिन में राज्य में 56,286 नए केस सामने आए हैं। मृतकों की संख्या 57,028 पहुँच गई है, जो देश का 34% है। भारत में पिछले 1 दिन में कोरोना के 1,31,878 नए मामले सामने आए। जैसा कि आप देख सकते हैं, उनमें से 43.44% अकेले महाराष्ट्र से आए।

महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड आने वाली ट्रेनों में जगह नहीं है। नाइट कर्फ्यू व लॉकडाउन लगने के कारण वहाँ उन्हें काम नहीं मिल रहा है। ये प्रवासी मजदूर जब लौटेंगे तो वे यूपी-बिहार में भी संक्रमण का कैरियर बन सकते हैं। इन राज्यों में भी मेडिकल सलाहों को दरकिनार कर लोग मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग नहीं कर रहे हैं।

अब रमजान का महीना भी आने वाला है। मुस्लिम नेताओं ने सीएम को पत्र लिख कर कहा है कि उन्हें इस महीने में ढील दी जाए, ताकि वो मजहबी गतिविधियाँ पूरी कर सकें। रमजान ख़त्म होने के बाद ईद आएगा और बाजारों में चहल-पहल इतनी बढ़ जाएगी कि उसे नियंत्रित करना मुश्किल होगा, खासकर एक ‘सेक्युलर’ सरकार के लिए। पिछली बार भी ईद के दौरान मुंबई के बाजारों की स्थिति बदतर हो गई थी।

राज्य में कोरोना के दौरान दी जाने वाली Ramdesivir इंजेक्शन की भी ब्लैक मार्केटिंग चालू है। मुंबई पुलिस ने अँधेरी की एक दुकान से ऐसे 272 इंजेक्शन जब्त किए। इन्हें ब्लैक मार्केटिंग के लिए रखा गया था। इसी तरह अँधेरी ईस्ट के सरफराज हुसैन नामक युवक को ऐसे 12 शीशी के साथ धरा गया था। सरकार ने चेताया है कि ब्लैक मार्केटिंग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे पता चलता है कि राज्य में ऐसी गतिविधियाँ धड़ल्ले से चालू हैं।

महाराष्ट्र में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी

एक समय था जब विपक्षी पार्टियाँ वैक्सीन को लेकर अफवाह फैला रही थी। तरह-तरह के ऐसे बयान आ रहे थे, जिससे जनता के मन में भी शंका हो जाए। दुनिया के 70 से अधिक देशों ने भारत की वैक्सीन लगवाई और अब जब देश में टीकाकरण की रफ़्तार तेज़ करने के लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं, तब ये नेता कह रहे हैं कि देश के लोगों को वैक्सीन में प्राथमिकता नहीं दी गई। जिन राज्यों में इन दलों की सरकारें हैं, वहाँ स्थिति और बदतर है।

राजधानी मुंबई में 51 वैक्सीनेशन सेंटर बंद कर दिए गए हैं। उनका कहना है कि वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि उनके राज्य को हर सप्ताह 40 लाख वैक्सीन की डोज चाहिए। पुणे में भी 100 वैक्सीन सेंटरों को बंद कर दिया गया है। उनका कहना है कि 7 लाख से बढ़ा कर राज्य को 17 लाख डोज दी जा रही है, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है और आधी जनसंख्या वाले गुजरात को कहीं अधिक डोज मिले हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि राज्य की सरकार कोरोना के कुप्रबंधन को छिपाने के लिए भटका रही है। महाराष्ट्र सरकार के नेता अमेरिका की तर्ज पर 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लेने की अनुमति देने को कह रही है। वहीं केंद्र सरकार का कहाँ है कि कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में 5 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि महाराष्ट्र को अब तक कोरोना वैक्सीन की 1,06,19,190 डोज सप्लाई की गई है, जिसमें से 90,53,523 का प्रयोग किया गया और 5 लाख बर्बाद हो गए। उन्होंने कहा कि 7,43,280 डोज पाइपलाइन में हैं और 23 लाख अभी भी उपलब्ध हैं, जो एक सप्ताह चल सकता है। उन्होंने कहा कि योजना के अभाव में वैक्सीन की बर्बादी हुई। अब इसे लेकर राज्य में सत्ता पक्ष और विपक्ष में बयानबाजी तेज़ है।

महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान को कोरोना वैक्सीन की सबसे अधिक डोज

अब तक जिन राज्यों को सबसे ज्यादा वैक्सीन दी गई गई है, उनमें महाराष्ट्र नंबर एक पर है। दूसरे नंबर पर गुजरात है, जिसे 1,05,19,330 वैक्सीन की डोज दी गई, जबकि तीसरे नंबर पर राजस्थान को कोरोना वैक्सीन की 1,04,95,860 डोज दी गई। महाराष्ट्र और राजस्थान में भाजपा विरोधी दलों की सत्ता है। वैक्सीन की डोज देने का राष्ट्रीय औसत 37,11,856 है। इन राज्यों को इससे लगभग 3 गुना अधिक दिया गया।

कारोबारी कर रहे हैं लॉकडाउन का विरोध

महाराष्ट्र के कारोबारी अब वहाँ फिर से लगाए गए कड़े लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं। व्यापारियों और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लोगों ने इस लॉकडाउन का विरोध किया है। ये सभी उन क्षेत्रों के लोग हैं, जिनका कारोबार देश भर में चले लंबे लॉकडाउन के बाद हुए अनलॉक के कारण अभी फिर से चालू होना शुरू ही हुआ था, लेकिन फिर से बंदी की मार ने इन्हें बेहाल कर दिया है। महाराष्ट्र के इस लॉकडाउन से न सिर्फ 40,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा, बल्कि भारत का GVA (Gross Value Added) विकास भी 0.32% गिरेगा।

इसका असर देश पर ज़रूर पड़ेगा, क्योंकि महाराष्ट्र GSDP (Gross State Domestic Product ) के मामले में देश में सबसे ज्यादा योगदान देता है। सरकार ने प्राइवेट सेक्टर पर फिर से तमाम तरह की पाबंदियाँ लगा दी हैं। व्यापारियों की कई संस्थाओं ने सड़क पर आकर विरोध-प्रदर्शन किया। इसी तरह की एक ‘बोरीवली ईस्ट व्यापारी एसोसिएशन’ के दुकानदारों ने ‘मत छीनो हमारा कारोबार, हमारा भी है घर-बाड़’ लिखे पोस्टर लगाए।

उन्होंने ‘लॉकडाउन को हटाओ, व्यापारियों को बचाओ’ और ‘कोरोना से मरेंगे कम, लॉकडाउन से मरेंगे हम’ लिखे पोस्टर्स भी लगवाए। मुंबई के रेस्टॉरेंट्स, बार और कैफे ने इंस्टाग्राम पर ‘मिशन रोजी-रोटी’ ट्रेंड चलाया। उनका पूछना है कि IPL से लेकर फिल्म शूट और चुनावी रैलियाँ तक जारी हैं, फिर उन्हें ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है? मुंबई के 100 से अधिक ऐसे प्रतिष्ठानों ने इसमें हिस्सा लिया।

स्थिति इतनी खराब हो गई है कि क्षेत्र में 20% से अधिक रेस्टॉरेंट्स हमेशा के लिए बंद हो गए हैं, क्योंकि उन्हें भारी हानि हुई है। deGustibus हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के CEO और नेशनल रेस्टॉरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के अध्यक्ष अनुराग कटरियार का कहना है कि नाइट कर्फ्यू से रेस्टॉरेंट्स पर भारी मार पड़ रही है, क्योंकि 8 बजे के बाद या यही वो समय है, जब डिनर टाइम होता है और उनका 75% कारोबार यहीं से आता है।

अस्पतालों का हाल बेहाल, चिता जलाने के लिए लकड़ी नसीब नहीं

महाराष्ट्र की सरकार ने हड़बड़ी में राज्य की प्राइवेट अस्पतालों को अपने ICU को कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखने का आदेश दे दिया, जिससे त्वरित मेडिकल आवश्यकताओं वाले अन्य मरीजों को दिक्कत आ गई। कोरोना के कारण स्थिति इतनी खराब है कि औरंगाबाद में 8 हिन्दुओं के शवों को एक ही चिता पर जला डाला गया। चिता जलाने के लिए अस्थायी श्मशानों में जुगाड़ लगाया जा रहा है। सूखी लकड़ियाँ तक नहीं मिल रही।

अस्पतलों को 80% बेड्स कोरोना मरीजों के लिए ही खाली रखने का आदेश दिया गया है। कोविड सेंटर में शराब-गाँजा की पार्टी का वीडियो वायरल होने से भी किरकिरी हुई है। महाराष्ट्र के अस्पतालों की स्थिति का अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि वहाँ के मरीज हैदराबाद जाकर इलाज करा रहे हैं। हैदराबाद के हर अस्पताल में 20-30% तक बेड्स पर महाराष्ट्र के मरीज हैं।

इतना ही नहीं, महाराष्ट्र के अस्पतालों में कोरोना के नाम पर कई टेस्ट्स करा कर रुपए भी वसूले जा रहे हैं। खुद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने इस बात को स्वीकार किया है। उन्हें अस्पतालों को चेतावनी देनी पड़ी है। एक-एक कोरोना मरीज का बिल 50 हजार से 1 लाख रुपए या उससे भी ज्यादा बना दिया जा रहा है। Remdesivir इन्जेक्शन के ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं। सरकार द्वारा सेलिंग प्राइस कम करने के बावजूद ऐसा किया जा रहा है।

सरकार के भीतर भी आपाधापी

जून 2020 में जब भारत में कोरोना की लहर तेज़ हो रही थी, तभी सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने सभी को चौंका दिया। इस ‘आत्महत्या’ को लेकर कई सवाल खड़े हुए और तब CBI जाँच का विरोध करते हुए इसी महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस की तुलना ‘स्कॉटलैंड यार्ड’ से की और अब इसी पुलिस के अधिकारी उसके दावों की पोल खोल रहे हैं। खुलासों के बाद राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा।

सुशांत वाले मामले के बाद इस साल एंटीलिया के बाहर कार में बम रख कर खड़े करने का मामला सामने आया। पुलिस अधिकारी व पूर्व शिवसेना नेता सचिन वाजे इस प्रकरण में गिरफ्तार हुआ। मनसुख हिरेन की हत्या में भी उसका ही नाम आ रहा। IPS संजय पांडे और मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह के पत्रों के बाद ट्रांसफर-पोस्टिंग में दलाली व रैकेट की बात पता चली। अब पुलिस अधिकारी और सरकार कोर्ट में आमने-सामने हैं।

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पिछले साल खबर आई थी कि उद्धव ठाकरे से कोरोना प्रबंधन नहीं सँभलने के कारण अनुभवी शरद पवार ने मामला अपने हाथ में ले लिया है और बैठकें की हैं। यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस भी अब शिवसेना और NCP को निशाना बना रही है, जिनके साथ वो सत्ता में साझीदार है। पार्टी ने पूछा कि अहमदाबाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उनसे क्या बात हुई, इसका खुलासा हो। कॉन्ग्रेस के एक नेता ने आदित्य ठाकरे की आलोचना की, जिन्होंने शिवसेना पार्षदों के बंगलों के लिए फंड्स जारी किए थे।

ऐसे में कोरोना पर चर्चा तो एकदम गौण ही है। सीएम उद्धव ठाकरे राज्य को सम्बोधित करते हैं, सोशल मीडिया पर कुछ सेलेब्रिटीज उसे कोट कर के वाहवाही करते हैं और ‘सामना’ में भाजपा को गाली देते हुए एक लेख आ जाता है- हो गई कोरोना के खिलाफ लड़ाई। कोरोना को लेकर केंद्र सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार की बातें पहले ही उठ चुकी हैं। सवाल पूछने वालों को सुनैना होली और समित ठक्कर की तरह पुलिस उठा ले जाती है।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.