महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बावजूद सियासी घमासान अभी थमा नहीं है। शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक हुए तमाम ड्रामे के बाद शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में रविवार (नवंबर 24, 2019) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कल फैसला सुनाएगा।
इस बीच, राज्य के सियासी घटनाक्रमों के बहाने कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पवार परिवार की अंदरूनी राजनीति पर तंज कसा है। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, “NCP के 54 में से 53 विधायक शरद पवार जी के साथ रहेंगे। अजित पवार अकेले रह जाएँगे। शरद पवार के उत्तराधिकारी की समस्या भी हल हो गई। बधाई सुप्रिया!!”
इससे पहले सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, “राज्यपाल द्वारा संविधान का मजाक बनाया जा रहा है। गोवा और मेघालय में भी ऐसा ही हुआ था। NCP का कोई भी विधायक भाजपा का समर्थन नहीं करेगा।”
https://twitter.com/digvijaya_28/status/1198099621148381184?ref_src=twsrc%5Etfwमहाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच दिग्विजय सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक के बाद एक कई ट्वीट किए। एक ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, “शिवसेना, NCP और कॉन्ग्रेस को अपनी ताक़त ज़मीन पर दिखने के लिए सड़कों पर उतरना चाहिए। देखते हैं मुंबई और महाराष्ट्र की जनता किसके साथ है? तीनों पार्टियों के लिए यह अस्तित्व का सवाल है। विशेष कर उद्धव और ठाकरे परिवार के लिए यह प्रतिष्ठा का प्रश्न है।”
एक अन्य ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने लिखा, “महाराष्ट्र के नए उप-मुख्यमंत्री दो आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। अजित पवार का एनसीपी छोड़ भाजपा का पल्ला पकड़ने का कारण समझे? अमित शाह/मोदी के सबसे ताकतवर हथियार प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई, आईटी हैं। भाजपा पारस पत्थर है उसके छूने से भ्रष्ट भी ईमानदार हो जाता है।”
इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर मोहन भागवत जी की कोई टिप्पणी नहीं आई। देश उनसे जानना चाहता है कि जिन अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस जी ने जेल भेजने का जनता से वादा किया था अब उन्हें उप-मुख्य मंत्री बनाया, क्या यह अनैतिक नहीं है? क्या इसी रास्ते से संघ राष्ट्र निर्माण करना चाहता है?