उद्धव ठाकरे के 6 महीने होने वाले हैं खत्म, राज्यपाल नहीं दे रहे विधान परिषद में एंट्री

उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद पर मँडराया ख़तरा, राज्यपाल ने साधी चुप्पी

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में भेजने की कोशिश जारी है लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी मन बना चुके हैं कि वो कैबिनेट की सिफारिश पर अमल नहीं करेंगे। बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट ने फिर से ठाकरे को विधान परिषद में नॉमिनेट करने की सिफारिश राज्यपाल से की है। शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस की सत्ताधारी तिकड़ी लगातार राज्यपाल पर दबाव बनाने में लगी हुई है ताकि उद्धव की सीएम की कुर्सी बची रहे।

उद्धव ठाकरे ने जब मुख्यमंत्री की कमान सँभाली थी, तब वो किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। ऐसे में उन्हें 6 महीने के भीतर दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य बनना था। अब जब उनके कार्यकाल के 5 महीने पूरे हो चुके हैं, अगर अगले महीने भी वो किसी सदन के सदस्य नहीं बने तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी जा सकती है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि सीएम उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में नामित करने के लिए राज्यपाल कोश्यारी को एक बार फिर सिफारिश की जाएगी। 

इस महीने की शुरुआत में भी ऐसी सिफारिश की गई थी लेकिन राज्यपाल ने हरी झंडी नहीं दी। हालाँकि, कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे विधानसभा चुनाव जीत कर विधान मंडल का सदस्य बनना चाहते थे लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण आपदा के बीच सभी प्रकार के छोटे-बड़े चुनावों को स्थगित कर दिया गया। ऐसे में सत्ताधारी तीनों दलों के बड़े नेताओं ने फिर से राज्यपाल से मिल कर सिफारिश सम्बन्धी आवेदन सौंपा।

वहीं शिवसेना इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रही है। संजय राउत ने शिवसेना मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे अपने कॉलम में दावा किया कि राज्यपाल ने भले ही उद्धव ठाकरे को विधानमंडल में नामित करने वाली कागज़ात पर हस्ताक्षर करने का फैसला ले लिया हो लेकिन उन्हें इसके लिए भी दिल्ली से पूछना पड़ेगा। एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने बताया कि कोश्यारी इस बार भी उद्धव को नामित करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।

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विधान परिषद में दो सीटें खाली हैं, जिनके लिए कैबिनेट को राज्यपाल से सिफारिश करनी होती है। राजभवन ने तकनिकी खामियों की बात करते हुए फैसले में रुकावट की बात की है। एक कैबिनेट मंत्री ने बताया कि चुनाव आयोग के पास शक्ति है कि वो अगले 6 महीने तक चुनाव न होने वाली नोटिस में कुछ बदलाव कर सकता है, ताकि सरकार स्थिर बनी रहे। शिवसेना सुप्रीम कोर्ट जाने पर भी विचार कर रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया