POK से आए 5300 परिवारों को मिलेगा ₹5.5 लाख, 370 के कारण जीना था दुश्वार

POK रिफ्यूजी (Daily Excelsior से साभार)

पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (POK) छोड़ कर हिंदुस्तान में ‘रिफ्यूजी’ की ज़िंदगी बसर करने को मजबूर 5,300 परिवारों को भारत सरकार ₹5.5 लाख प्रति परिवार का मुआवजा देगी। इन परिवारों को सालों से कश्मीर में रहने के बावजूद पीओके से भारत आए शरणार्थियों को मिलने वाली सामान्य धनराशि इसलिए उपलब्ध नहीं हो पा रही थी, क्योंकि 370 के तहत उनको कश्मीर के ‘डोमिसाइल’ का सर्टिफ़िकेट नहीं मिला हुआ था। अब 370 हटने के बाद इस सर्टिफ़िकेट का कोई औचित्य ही नहीं है।

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज (बुधवार, 9 अक्टूबर 2019) प्रेस को सम्बोधित करते हुए केंद्र सरकार के इस कदम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन परिवारों को यह आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, वे POK से आने के बाद पहले तो जम्मू-कश्मीर के बाहर देश के दूसरे हिस्सों में बसे। बाद में वे जम्मू-कश्मीर चले गए।

उनकी शोचनीय स्थिति और आर्थिक तंगी के बारे में अनुच्छेद 370 हटने के तुरंत बाद 13 अगस्त 2019 को इकोनॉमिक टाइम्स में भी एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। उस रिपोर्ट के अनुसार करीब 1.5 लाख परिवार, यानी 10 लाख शरणार्थी आज भी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लिखित था कि नवंबर, 2015 में केंद्र ने ₹2,000 करोड़ के एक “वन-टाइम सेटेलमेंट” पैकेज की घोषणा की थी। उसे भी यह शरणार्थी इसलिए नहीं ले पाए क्योंकि उनके पास डोमिसाइल सर्टिफ़िकेट नहीं था।

विधानसभा सीटों की भी माँग

उस समय एक और महत्वपूर्ण माँग थी, जिस पर अभी भी केंद्र का निर्णय लंबित है। वह माँग थी कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में खाली छोड़ी जा रहीं POK के हिस्से की 24 सीटों में से कम-से-कम एक-तिहाई POK के शरणार्थियों से भरीं जाएँ। 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटने के बाद से यह माँग कई बार विभिन्न मौकों पर की जा चुकी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया