गरीब है एक चौथाई सामान्य वर्ग, सबसे ज़्यादा सरकारी नौकरियाँ यादवों के पास: बिहार विधानसभा में रखे गए जाति जनगणना के आँकड़े, राज्य की महज 7% आबादी ग्रेजुएट

नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव व अन्य नेता (फोटो साभार: द इकोनॉमिक टाइम्स)

बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के आँकड़ों के बाद अब विधानसभा के पटल पर पूरे बिहार की शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति का आँकड़ा रखा है। ये आँकड़ा जातिवार है। बिहार में कुल 2 करोड़ 76 लाख 68 हजार 930 परिवार हैं, जिसमें से 94 लाख 42 हजार 786 परिवार गरीब हैं। ये कुल परिवारों का 34.13 प्रतिशत आँकड़ा है। इस गणना के हिसाब से बिहार में सामान्य वर्ग के कुल 43 लाख 28 हजार 282 परिवार हैं, जिसका 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा गरीबी में जीवन यापन कर रहा है।

बिहार में आर्थिक आधार पर जातीय आँकड़ा

बिहार विधानमंडल के पटल पर रखी गई रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में पिछड़ा वर्ग के कुल 33.16 प्रतिशत, सामान्य वर्ग के कुल 25.09 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग के 33.58 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के 42.93 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुल 42.7 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। यही नहीं, सामान्य वर्ग में भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत जैसे तीन सबसे समृद्ध बताई जाने वाली जातियों के करीब 25 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।

इसमें सबसे ज्यादा भूमिहार के 27.58 प्रतिशत परिवार गरीब हैं, तो ब्राह्मणों के 25.3 प्रतिशत और राजपूतों के 24.89 प्रतिशत और कायस्थों के कुल 13.83 प्रतिशत परिवार गरीब हैं।

अनुसूचित जातियों की स्थिति बदतर

बिहार में अनुसूचित जातियों की आर्थिक रूप से स्थिति बदतर हालत में है। अनुसूचित जातियों में मुसहरों के सबसे ज्यादा 54.64 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। अहिरवार के 42.06 प्रतिशत परिवार गरीब हैं, बिहार सरकार के आँकड़ों में बताया गया है कि ‘डोम’ जाति के 53.10 प्रतिशत परिवार गरीब हैं, तो 49.06 प्रतिशत नट परिवार गरीब हैं। दुसाध जाति के 39.36 प्रतिशत परिवार गरीब हैं, तो पासी जाति के 38.24 प्रतिशत, धोबी जाति के 35.82 प्रतिशत परिवार गरीब हैं।

ये है बिहार की शैक्षणिक स्थिति, महज 7 प्रतिशत ग्रेजुएट

बिहार में शिक्षा की हालत बेहद खराब है। पूरे बिहार की करीब एक चौथाई आबादी 5वीं तक भी नहीं पढ़ी है। बिहार की 22.67 प्रतिशत आबादी के पास वर्ग 1 से 5 तक की शिक्षा ही है। वहीं, कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा महज 14.33 प्रतिशत आबादी के पास है। पूरे बिहार के सिर्फ 14.71 लोग ही 9वीं से 10वीं तक की शिक्षा ले पाए हैं, तो 12वीं तक की शिक्षा सिर्फ 9.19 प्रतिशत आबादी के पास है। पूरे राज्य में महज 7 प्रतिशत लोग ही ग्रेजुएट हैं।

बिहार में सबसे ज्यादा नौकरियाँ यादवों के पास, सामान्य वर्ग का भी दबदबा

बिहार सरकार द्वारा सदन में रखे गए आँकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा नौकरियाँ बिहार में यादव जाति के पास है। बिहार में 2 लाख 89 हजार 538 नौकरियाँ अकेले यादवों के पास है। दूसरे नंबर पर भूमिहार लोग हैं। भूमिहारों के पास 1 लाख 87 हजार 256 नौकरियाँ हैं। बिहार में कुशवाहा के पास 1 लाख 12 हजार 106 नौकरियाँ हैं। कुशवाहा की कुल आबादी का 2.04 हिस्सा सरकारी नौकरी में है।

सबसे ज्यादा मजबूत कुर्मी हैं। संख्या बल में कम होने के बावजूद कुर्मियों की कुल आबादी का 3.11 प्रतिशत हिस्सा सरकारी नौकरियों में है। कुल 1 लाख 17 हजार 171 सरकारी नौकरियाँ कुर्मियों के पास है। इसके अलावा ब्राह्मणों के पास 1.72 लाख सरकारी नौकरियाँ, राजपूतों के पास 1.71 लाख सरकारी नौकरियाँ और कायस्थों के पास 52.49 हजार नौकरियाँ हैं। सबसे ज्यादा कायस्थों की 6.68 आबादी सरकारी नौकरी में है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया