ग्लोबल सिटीजन बनने के साथ छात्र अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें: राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर PM मोदी का सम्बोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई शिक्षा नीति पर सम्बोधन देते हुए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शुक्रवार (अगस्त 07, 2020) सुबह 11 बजे से ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर कॉन्क्लेव’ में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उद्घाटन भाषण देते हुए अपने विचार रखे।

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कार्यक्रम की शुरुआत में नई शिक्षा नीति-2020 पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि शिक्षा नीति पब्लिक डोमेन पर डालने के बाद जो सवा दो लाख से भी ज्यादा सुझाव आए हैं, उस एक-एक सुझाव का विश्लेषण करने के बाद जो अमृत निकला है वो आज आपके सामने है।

नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लंबे मंथन के बाद नई शिक्षा नीति बनाई गई, जिसे लागू करना बेहद आसान है। पीएम मोदी ने कहा कि आज हर जगह इसकी चर्चा हो रही है और किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का पूर्वग्रह है, या किसी एक ओर झुकी हुई है।

पीएम मोदी ने कहा – “हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपने राष्ट्रीय महत्व के साथ जोड़ते हुए, अपने राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुसार बदलाव करते हुए चलता है। जिसका मकसद ये होता है कि देश का एजुकेशन सिस्टम अपनी वर्तमान औऱ आने वाली पीढ़ियों को भविष्य के लिए तैयार रखें, ‘फ्यूचर रेडी’ करें।”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्बोधन की प्रमुख बातें –

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21 वीं सदी के भारत की नींव रखेगी। हमने इस राष्ट्रीय नीति को यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया है कि यह भारतीयों को अधिक सशक्त और अवसरों के लिए आसानी से आकर्षक बनाता है।
  • बीते अनेक वर्षों से हमारे शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में जिज्ञासा और कल्पना की नीति को प्रमोट करने के बजाए भेड़ चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था।
  • आज गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है। वो कहते थे – “उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।” निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है।
  • हमारे छात्रों में, हमारे युवाओं में क्रिटिकल थिंकिंग और इनोवेटिव थिंकिंग विकसित कैसे हो सकती है, जब तक हमारी शिक्षा में ललक न हो, फिलोसोफी ऑफ़ एजुकेशन, शिक्षा का उद्देश्य न हो।
  • इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। School Curriculum के 10+2 स्ट्रक्चर से आगे बढ़कर अब 5+3+3+4 करिकुलम का ढाँचा देना, इसी दिशा में एक कदम है।
  • हर विद्यार्थी को ये अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने Passion को फॉलो करे। वो अपनी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को फॉलो कर सके और अगर उसका मन करे, तो वो छोड़ भी सके।
  • इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है। ये एक बहुत बड़ी वजह है, जिसकी वजह से जहाँ तक संभव हो, पाँचवी कक्षा तक, बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है।
  • आज मुझे संतोष है कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बनाते समय, इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया। बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है।
  • हमें हमारे छात्रों को ग्लोबल सिटिजन तो बनाना है, इसका भी ध्यान रखना है कि वो इसके साथ अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें। जड़ से जग तक, मनुज से मानवता तक, अतीत से आधुनिकता तक, सभी बिंदुओं का समावेश करते हुए, इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप तय किया गया है।
  • जब एक शिक्षक सीखता है तो देश अग्रणी बनता है। हम सबको एकसाथ संकल्पबद्ध होकर काम करना है।
ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया