लालू, राबड़ी, तेजस्वी… सब बने यहाँ से MLA, पर एक पुल न बना: 1975 में नाव से गए थे नीतीश कुमार, 2022 में भी नाव ने ही लगाया पार

नाव पर गाड़ियाँ और स्टीमर पर नीतीश-तेजस्वी, ऐसे पहुँचे राघोपुर (फोटो साभार: ABP News)

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मंगलवार (30 अगस्त, 2022) को पूर्व मंत्री भोला राय को श्रद्धांजलि देने के लिए दियारा क्षेत्र में स्थित राघोपुर पहुँचे। लेकिन, इस यात्रा में कथित ‘सुशासन बाबू’ के सरकार की पोल भी खुल गई। राघोपुर किस कदर राज्य से कटा हुआ है, इसका खुलासा हो गया। असल में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव स्टीमर पर सवार होकर वहाँ पहुँचे, वहीं उनकी गाड़ियाँ दूसरे नाव से। कारण, वहाँ जाने के लिए एक अदद पुल तक नहीं है।

‘Zee Hindustan’ के मैनेजिंग एडिटर शमशेर सिंह ने बताया कि 1975 में भी नीतीश कुमार हाजीपुर के राघोपुर जाने लिए नाव का ही इस्तेमाल करते थे, क्योंकि तब भी यहाँ पक्का पुल नहीं था। उन्होंने याद दिलाया कि अब 17 वर्ष सत्ता में रहने के बाद भी नीतीश कुमार उसी तरह से राघोपुर जा रहे हैं। आपको बता दें कि वैशाली में स्थित राघोपुर लालू यादव के परिवार का गढ़ रहा है। उनके बिहार पर 15 साल लगातार राज करने के बावजूद यहाँ एक अदद पुल तक नहीं बना।

1995 में राजद सुप्रीमो लालू यादव यहाँ से विधायक चुने गए थे, जो तब मुख्यमंत्री भी थे। 2000 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी और तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी यहाँ से चुन कर MLA बनीं। उसी साल हुए चुनाव में लालू फिर यहीं से जीत कर विधानसभा पहुँचे। 2000 में राबड़ी फिर जीतीं। 2005 में हुए 2 चुनावों में भी उन्होंने इस सीट पर कब्ज़ा बरकरार रखा। 2015 और 2020 में तेजस्वी यादव यहाँ से विधायक हैं।

इस सीट से एक ही परिवार के दो मुख्यमंत्री और एक उप-मुख्यमंत्री विधायक रहे, लेकिन एक पुल का सपना भी साकार न हो सका। वहीं मोदी सरकार ने गंगा पर पुल बनवाने का निर्णय लिया। ये एक रेल सह सड़क पुल होगा। यह पुल महात्मा गाँधी सेतु से लगभग 10 किलोमीटर पूरब गंगा नदी पर कच्ची दरगाह और बिदुपुर के बीच बन रहा है। इससे दियारा अंचल और राघोपुर को फायदा मिलेगा। राघोपुर की स्थिति ये है कि क्लास जाने वाले बच्चे भी पूरे सप्ताह स्कूल नहीं कर पाते।

रसोई गैस जैसी वस्तुओं की सप्लाई के लिए भी नदी पार करना पड़ता है। पटना से राघोपुर पहुँचने के लिए गाँधी सेतु और जेपी सेतु तो है, लेकिन इसके बावजूद अधिकतर रास्ता नाव से तय करना पड़ता है और पूरे साल भर दोनों पुलों से संपर्क नहीं रहता। लोजपा (राम विलास) सुप्रीमो चिराग पासवान भी भोला राय को श्रद्धांजलि देने नाव से ही पहुँचे थे। आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण की सभा भी राघोपुर में हुई थी। उसी दौर में नीतीश कुमार और उदय नारायण उर्फ़ भोला राय का परिचय हुआ था। राय ने 1980, 85 और 90 में बतौर विधायक यहाँ से हैट्रिक भी लगाई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया