नगालैंड में शांति की राह में रोड़ा बन रहे गुट में बगावत, अलग निशान और अलग विधान की मॉंग से किनारा

प्रतीकात्मक तस्वीर

ईसाई बहुल नगालैंड के अलग संविधान और झंडे के लिए ज़िद पर अड़े नगा अलगाववादी संगठन एनएससीएन (आईएम) को बड़ा झटका लगा है। उसकी इस माँग से किनारा करते हुए उसके 17 सदस्य नगा नेशनल पोलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) में शामिल हो गए हैं। यह विभिन्न नगा राजनीतिक संगठनों का एक समूह है। एनएससीएन (आईएम) छोड़ने वालों में हुकावी येपुतोमि भी हैं। एनएससीएन (आईएम) छोड़ने वालों में हुकावी येपुतोमि भी हैं। वे एनएससीएन (आईएम) की समानांतर सरकार में गृह मंत्री रहे हैं। केंद्र सरकार और गवर्नर आरएन रवि से शांति वार्ता करने वाली टीम में भी वे शामिल थे।

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कल (शुक्रवार, 26 अक्टूबर, 2019 को) रात जारी किए गए बयान में हुकावी येपुतोमि ने कहा कि एनएनपीजी की वर्किंग कमेटी केंद्र सरकार के साथ अपनी वार्ता और लेनदेन में “वास्तविक और यथार्थवादी” है। “बिना अपने इतिहास और साझा पहचान से समझौता किए, मैं, हुकावी येपुतोमि, एनएससीएन (आईएम) का भूतपूर्व किलो किलोनसर (गृह मंत्री) और वर्तमान में एनएससीएन (आईएम) की वार्ता टीम का सदस्य, अपने 16 साथियों के साथ अपनी इच्छा और स्वच्छ अंतःकरण से, डब्लूसी एनएनपीजी की सदस्यता ग्रहण करता हूँ।”

येपुतोमि ने कहा कि भूराजनीतिक परिस्थितियों की माँग है कि नगा इस मोड़ पर यथार्थवादी रुख अख्तियार करें। उन्होंने एनएससीएन (आईएम) के चेयरमैन क्यू तुक्कु और ‘अतो किलोनसर’ (प्रधान मंत्री) टी मुइवाह पर आरोप लगाया कि वे नगा लोगों की एक सम्मानजनक समझौते और हल की याचनाओं को लेकर असंवेदनशील हैं।

उन्होंने कहा, “हम इस को लेकर आश्वस्त हैं कि नगाओं की भविष्य की पीढ़ियों के हित और सम्भावनाएँ के आड़े अनसुलझे प्रतीकात्मक मुद्दों को नहीं आने देना चाहिए, जब वार्ता कर रहे पक्ष इस नतीजे पर बहुत समय पहले ही पहुँच गए हैं कि सम्प्रभुता और विलय वर्तमान में सम्भव नहीं हैं।” साथ ही जोड़ा, “मेरा निर्णय हमारे लोगों की शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की इच्छा पर आधारित है। हम किसी के लिए दिल में वैर भाव नहीं रखते हैं और उम्मीद है कि हमारे निर्णय का सम्मान किया जाएगा।”

गौरतलब है कि सरकार की शांति वार्ता सात नगा संगठनों के साथ चल रही है और NSCN (IM) के अलावा बाकी सभी 22 साल से खिंच रही वार्ता खत्म कर शांति समझौते पर हस्ताक्षर के पक्ष में बताए जा रहे हैं। NSCN (IM) के नेता भी सरकार के साथ पहले ही ‘Framework Agreement’ पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। जहाँ सरकार ‘Framework Agreement’ के दायरे में झंडा और संविधान के मुद्दों के न आने की बात कर रही है, वहीं NSCN (IM) ‘Framework Agreement’ में इन दोनों का वादा किए जाने की बात कह रही है। सरकार ने वार्ता के लिए अंतिम तिथि 31 अक्टूबर, 2019 को तय करते हुए इसे आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया