पाकिस्तान से आए हिंदुओं की एकमात्र गुहार- एक बार फिर मोदी सरकार!

पाकिस्तानी हिंदू अप्रवासी करेंगें मोदी सरकार को वोट (बाईं तस्वीर साभार: Indian Express)

गुजरात में लगभग 600 से अधिक पाकिस्तानी हिंदू अप्रवासी ऐसे हैं, जो 2019 के लोकसभा चुनावों में पहली बार मतदान करेंगे। साल 2015 में मोदी सरकार द्वारा भारत की नागरिकता दिए जाने के बाद अब ये लोग मोदी सरकार को वोट डालने के लिए तैयार हैं।

2007 तक कराची में रहने वाले धनजी बागरा अब राजकोट(गुजरात) के निवासी हैं। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वो कहते हैं, “मुझे नरेंद्र मोदी को समर्थन देना है, उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। उन्होंने हमें यहाँ रहने की मँजूरी दी, भारतीय नागरिकता दी, और इस लायक बनाया कि हमें रोजगार मिल सके।”

बागरा ने राहुल गाँधी को समर्थन देने की बात को नकारते हुए कहा, “हम राहुल गाँधी का साथ नहीं दे सकते। उन्होंने हमारे लिए किया ही क्या है?” बागरा कहते हैं कि जब कॉन्ग्रेस सत्ता में थी, तो उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा था, और उन्हें उस दौरान लगभग पाकिस्तान भेजने के लिए मज़बूर भी कर दिया गया था।

बागरा पेशे से मोची हैं। साल 2007 में वे अपनी पत्नी (भानबाई)और दो बच्चे (मेघबाई जीवा और आकाश) के साथ राजकोट आए थे। लेकिन भारतीय नागरिकता इन्हें 2015 में मिल पाई। मार्च 2019 में उन्हें वोटर आईडी कार्ड भी मिल गया है, जिसकी मदद से वह 23 अप्रैल को अपना मतदान दे पाएँगे।

बागरा की मानें तो वह कराची में रह सकते थे लेकिन परिवार की सुरक्षा और सम्मान की चिंता उन्हें हमेशा घेरे रहती थी। महिलाएँ वहाँ अकेले नहीं निकल सकती थीं, और चोरी वहाँ पर बेहद आम थी।

रिपोर्ट के मुताबिक बागरा बताते हैं कि उनके घर पर चोरी होने के बाद उनकी माँ जो गुजरात के कच्छ में पैदा हुई थीं, उन्होंने उन्हे भारत जाने की नसीहत दी। बागरा ने उनकी सलाह को मान लिया। बागरा रोज भगवतीपारा में रेलवे ओवरब्रिज के नीचे जूता-चप्पल ठीक करने के लिए अपनी दुकान लगाते हैं। उनकी दुकान से उनका घर 2 किलोमीटर की दूरी पर है। बागरा के दोनों लड़के भी काम करते हैं। उनके परिवार में उनकी बहु और कृष्णा-रूही नाम के पोते-पोती भी हैं।

शुरुआत में उन्हें राजकोट में गुजर-बसर करने में काफ़ी दिक्कत हुई। पहली कक्षा तक पढ़े बागरा कहते हैं कि वे यहाँ लॉन्ग टर्म वीज़ा पर भारत आए थे। एक ओर जहाँ उन्हें काम की सख्त जरूरत थी, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान का नाम सुनते ही कोई उन्हें काम देने को तैयार नहीं होता था। बागरा बताते हैं कि उनके पास भारतीय होने की कोई पहचान नहीं थी, बावजूद इस सच्चाई के कि वे कच्छ के मूल निवासी महेश्वरी में से एक हैं।

वो कहते हैं कि उन्होंने दिन में पुराने जूते-चप्पलों को ठीक करने से काम की शुरुआत की और रात में गैराज में चौकीदार की नौकरी की। पुराने दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं कि हमें एक दिन खाना मिलता था और अगले दो दिन हमें खाली पेट गुज़ारने पड़ते था। इस दौरान उन्होंने अपने एक साथी (पाकिस्तानी अप्रवासी) से झोपड़ी किराए पर ली थी।

महेश्वरी समुदाय के नेताओं की यदि मानें तो बागरा जैसे लोगों के दिन तब बदले जब एनडीए की सरकार सत्ता में आई। पाकिस्तान से आए हिंदू अप्रवासियों के समर्थक केजी कनार कहते हैं कि मोदी सरकार ने लंबे समय से वीजा पर आए पाकिस्तानी हिंदू अल्पसंख्यकों को आधार कार्ड बनवाने का, बैंक खाता खुलवाने का और संपत्ति खरीदने का मौका दिया, जिससे वह अपना जीवनयापन बिना किसी परेशानी के कर सकें।

बागरा की पत्नी भानबाई का कहना है कि वह भी मोदी सरकार के लिए ही वोट करेंगी। भानबाई की मानें तो वह कराची के हर चुनाव में मतदान करती थीं, लेकिन इस बार वह मोदी को वोट करेंगी, क्योंकि यहाँ (भारत) में सब कुछ मोदी के कारण ही है।

बागरा की तरह, शंकर पटारिया नाम के एक रिक्शा चालक भी 2007 में भारत आए था। उनकी मानें तो उन्होंने भी अप्रत्यक्ष रूप से बताया है कि वो मोदी सरकार को ही वोट करेंगे। पटारिया अपने परिवार के साथ राजकोट घूमने आए थे, लेकिन जगह पसंद आने के कारण उन्होंने यही रुकना ठीक समझा।

बागरा और शंकर के अलावा धनजी भुचिया को भी पिछले वर्ष भारत की नागरिकता मिली है। वो कहते हैं कि आज से 7 साल पहले वीज़ा का समय बढ़वाना बहुत मुश्किल काम हुआ करता था, लेकिन अब सभी सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध हैं। राजकोट में इस समय कर सलाहकार के रूप में कार्यरत धणजी का कहना है कि वोटर आईडी कार्ड मिलने से उनमें जोश आया है, वह अब खुलेआम कह सकते हैं कि वह इस देश के नागरिक हैं।

भुचिया की मानें तो वह अपने जीवन में पहली बार मतदान करेंगे। उन्होंने पाकिस्तान में कभी भी वोट नहीं किया क्योंकि उन्हें लगता था कि वहाँ के दूसरे समुदाय वाले हिंदुओं से नफरत करते हैं। भुचिया बताते हैं कि पाकिस्तान में बाबरी मस्जिद के बाद माहौल और भी अधिक खराब हो गया था। वो वहाँ से जल्द से जल्द निकलना चाहते थे, लेकिन ऐसा करने के लिए उनके पास कोई संसाधन नहीं था।

राजकोट में महेश्वरी समुदाय के नेता भवन फुफल (Bhavan Fufal) की मानें तो वहाँ कुछ अप्रवासी 1990 के समय से हैं, जबकि कुछ 2007-2009 के बीच में आए हैं। उनकी मानें तो महेश्वरी समुदाय के अधिकतर अप्रवासी राजकोट और अहमदाबाद में बसे हुए हैं, जबकि कुछ परिवार राजस्थान चले गए हैं।

फुफल की मानें तो पहले उनके लिए भारतीय नागरिकता पाना लगभग मुश्किल हुआ करता था, लेकिन अटल बिहारी के नेतृत्व वाली सरकार में दिक्कतों में कमी आई और नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया। और इसके बाद जब मोदी सरकार आई तो केंद्र ने गुजरात की सरकार को हिंदू अप्रवासियों को नागरिकता देने का अधिकार दे दिया।

इसके बाद गुजरात सरकार ने अहमदाबाद और गाँधीनगर के कलेक्टरों को यह अधिकार सौंप दिए। जिसके कारण नागरिकता मिलने की प्रक्रिया में और तेजी आई। यही कारण है कि उनके समुदाय से मोदी को ही वोट जाएगा, इसमें कोई शक नहीं है।

गौरतलब है कि साल 2015 में 490 पाकिस्तानी हिंदू अप्रवासियों को अहमदाबाद में, कुच में 89 में लोगों को और राजकोट में 20 लोगों को नागरिकता प्राप्त हुई।

बता दें कि इन्हीं अप्रवासियों में से एक 52 वर्षीय नंदलाल मेघानी जो 2002 में अहमदाबाद के घटलोदिया में बसे थे। वो स्पष्ट कहते हैं कि उनका वोट सिर्फ़ भाजपा को जाएगा। उनकी मानें तो उन्हें यहाँ की नागरिकता पाने के लिए 15-20 वर्ष लगे हैं। उनके मुताबिक मोदी सरकार उनकी आवाज सुनती है। वो कहते हैं कि अगर वो अपने लिए नहीं तो अपनों बच्चों के लिए वोट देंगे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया