पटना में नहीं मिला ‘फाॅर्मूला’, अब शिमला में होगी विपक्ष की बैठक: ज्वाइंट प्रेस काॅन्फ्रेंस से केजरीवाल का किनारा, BRS को काॅन्ग्रेस नहीं कबूल

पटना में विपक्षी दलों की बैठक (साभार: सोशल मीडिया)

केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 15 विपक्षी दलों की पटना में बैठक हुई। हालाँकि, इस बैठक में बसपा, बीजद, बीआरएस और वाईएसआर कॉन्ग्रेस इसका हिस्सा नहीं रहीं। बैठक के बाद नीतीश कुमार, राहुल गाँधी, ममता बनर्जी, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला आदि ने कहा कि मीटिंग शानदार रही और सभी साथ मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।

इस बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सांसद, संजय सिंह और राघव चड्ढा भी पहुँचे थे। हालाँकि, बैठक में सहमति बनने से पहले असहमति साफ दिख गई। बैठक में शामिल होने से पहले AAP ने दिल्ली के अध्यादेश पर कॉन्ग्रेस से समर्थन माँगा।

AAP ने कहा कि अगर कॉन्ग्रेस उसे समर्थन नहीं देती है तो माना जाएगा कि वह भाजपा के साथ है। कहा जा रहा है कि मीटिंग में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान आदि शामिल तो हुए, लेकिन बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्ग्रेस में दोनों नदारत रहे। बैठक में अध्यादेश पर उन्हें उद्धव ठाकरे और शरद पवार का समर्थन मिला।

बैठक के बाद सभी नेताओं ने एकजुटता प्रदर्शित करने पर सहमति दी। बंगाल की मुुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जो पटना से शुरू होता है, वह जन आंदोलन बन जाता है। उन्होंने सत्ताधारी भाजपा को तानाशाह बताया। लालू यादव ने कहा कि वे अब फिट हो गए हैं और मोदी जी को भी फिट कर देना है।

इस दौरान लालू यादव ने मजाकिया अंदाज में राहुल गाँधी की शादी की चर्चा भी की। उन्होंने कहा, आप शादी कीजिए। बात मानिए मेरी। शादी कीजिए और हम सब को बाराती ले चलिए। आपको शादी करना पड़ेगा। बात मानिए।” उन्होंने कहा कि हनुमान अब उन लोगों की तरफ हैं और बजरंग बली का गदा अब भाजपा को पड़ गई है।

इस बीच भारत राष्ट्र समिति ने इस महाबैठक पर तंज कसा है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री केटीआर राव ने कहा, “आज राजनीतिक दलों की एकता उतनी महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि देश में व्याप्त मुद्दों पर लोगों को एकजुट करना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने भाजपा और कॉन्ग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा, “आज हमारा देश जिन समस्याओं से जूझ रहा है उसके लिए कॉन्ग्रेस और भाजपा जिम्मेदार हैं। अगर राजनीतिक दल भाजपा या कॉन्ग्रेस को साथ लेकर एकजुट हो जाएँगे तो इससे देश का कोई भला नहीं होगा।”

इस संबंध में अगली बैठक 12 जुलाई को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में होगी। इसकी घोषणा बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई। जाहिर सी बात ही पटना की बैठक में कोई सर्वमान्य फॉर्मूला नहीं मिला है।

इसके पहले बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने गुरुवार (21 जून 2023) को कई ट्वीट किए। इनमें उन्होंने लिखा, “महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि परमपूज्य बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कॉन्ग्रेस-बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नहीं है।”

उन्होंने अगले ट्वीट में नीतीश कुमार की अगुवाई में विपक्षी दलों की बैठक को लेकर लिखा, “अब लोकसभा आम चुनाव के पूर्व विपक्षी पार्टियाँ जिन मुद्दों को मिलकर उठा रही हैं और ऐसे में श्री नीतीश कुमार द्वारा कल 23 जून की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ’दिल मिले न मिले हांथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करता है।”

बताते चलें कि इस बैठक में जदयू, आरजेडी, कॉन्ग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, शिवसेना-यूबीटी, झामुमो, पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीआई, सीपीएम, डीएमके, सपा के नेता शामिल हुए। बता दें कि विपक्षी एकता में बसपा का जिक्र नहीं है। यही कारण है कि मायावती इस बैठक को लेकर सवाल उठा रही हैं।

बैठक में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और केसी वेणुगोपाल शामिल रहे। वहीं, AAP के अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, संजय सिंह और राघव चड्ढा, TMC से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी, NCP से शरद पवार एवं सुप्रिया सुले, शिवसेना (UBT) से उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे एवं संजय राउत, जदयू से नीतीश कुमार और ललन सिंह, राजद से तेजस्वी यादव और लालू यादव, झामुमो से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, PDP से महबूबा मुफ्ती, NC से उमर अबदुल्ला, सपा के अखिलेश यादव, डीएमके से एमके स्टालिन, भाकपा महासचिव डी.राजा, भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य नेता भी शामिल रहे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया