पीठ में छुरा घोंपने वाले Pak को भारत का जवाब पूरी दुनिया ने देखा: ‘मन की बात’ में PM मोदी ने किया अटल को याद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल युद्ध विजय को याद करते हुए पूर्व पीएम अटल को याद किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कारगिल विजय दिवस के मौके पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया और पाकिस्तान की करतूतों की याद दिलाई। पीएम मोदी ने याद दिलाया कि कैसे पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मनसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहाँ चल रहे आन्तरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था। पीएम ने कहा कि भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी।

बकौल पीएम मोदी, उसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, भारत ने अपनी जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा। ‘मन की बात’ में रविवार (जुलाई 26, 2020) को बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ऊँचे पहाडों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएँ, हमारे वीर जवान, लेकिन, जीत पहाड़ की ऊँचाई की नहीं – भारत की सेनाओं के ऊँचे हौंसले और सच्ची वीरता की हुई।

PM मोदी ने यह भी कहा कि कारगिल जाने और हमारे जवानों की वीरता के दर्शन का सौभाग्य उन्हें मिला और वो दिन, उनके जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि आज देश भर में लोग कारगिल विजय को याद कर रहे हैं। उन्होंने ट्विटर की चर्चा करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर एक हैशटैग ‘Courage In Kargil’ के साथ लोग अपने वीरों को नमन कर रहें हैं, जो शहीद हुए हैं, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

पीएम मोदी ने इस दौरान वेबसाइट ‘गलेंटरी अवॉर्ड्स‘ की चर्चा करते हुए लोगों को बताया कि वहाँ हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं के बारे में, उनके पराक्रम के बारे में, बहुत सारी जानकारियाँ प्राप्त होगी और वो जानकारियाँ, जब आप अपने साथियों के साथ चर्चा करेंगे तो उनके लिए भी प्रेरणा का कारण बनेगी। पीएम मोदी ने लोगों को सलाह दी कि वो ज़रूर इस वेबसाइट को विजिट करें, बार-बार करें। पीएम मोदी ने कहा:

“कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लाल किले से जो कहा था, वो, आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रासंगिक है। अटल जी ने तब देश को गाँधी जी के एक मंत्र की याद दिलाई थी। महात्मा गाँधी का मंत्र था कि यदि किसी को कभी कोई दुविधा हो कि उसे क्या करना, क्या न करना, तो उसे भारत के सबसे गरीब और असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए। उसे ये सोचना चाहिए कि जो वो करने जा रहा है, उससे उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं होगी। गाँधी जी के इस विचार से आगे बढ़कर अटल जी ने कहा था कि कारगिल युद्ध ने हमें एक दूसरा मंत्र दिया है- ये मंत्र था कि कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले हम ये सोचें कि क्या हमारा ये कदम उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है, जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी।

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‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर, उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। ये बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए और इसीलिए हमारा आचार, हमारा व्यवहार, हमारी वाणी, हमारे बयान, हमारी मर्यादा, हमारे लक्ष्य, सभी, कसौटी में ये जरूर रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं, उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े।

उन्होंने ध्यान दिलाया कि कभी-कभी हम इस बात को समझे बिना सोशल मीडिया पर ऐसी चीजों को बढ़ावा दे देते हैं, जो हमारे देश का बहुत नुकसान करती है। पीएम मोदी ने कहा कि ऐसी सामग्रियाँ हम कभी-कभी जिज्ञासावश फॉरवर्ड करते रहते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि आजकल युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते हैं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है, और हर एक देशवासी को उसमें अपनी भूमिका तय करनी होती है।

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त्योहारों की चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अभी कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का पावन पर्व आ रहा है और मैं इन दिनों देख रहा हूँ कि कई लोग और संस्थाएँ इस बार रक्षाबंधन को अलग तरीके से मनाने का अभियान चला रहें हैं। कई लोग इसे ‘Vocal for local’ से भी जोड़ रहे हैं और बात भी सही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पर्व, हमारे समाज के, हमारे घर के पास ही किसी व्यक्ति का व्यापार बढ़े, उसका भी पर्व खुशहाल हो, तब, पर्व का आनंद, कुछ और ही हो जाता है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया