कॉन्ग्रेस के सोशल मीडिया ट्विटर हैंडल के ज़रिए 6 नवंबर को समाचार चैनल ‘भारत संचार’ की न्यूज़ क्लिप शेयर की गई थी। इसे शेयर करते हुए लिखा गया था, “यूपी में हर तरफ सिर चढ़कर बोल रहा है जंगलराज। क़ानून का उड़ रहा माखौल, फेल हुआ अजय बिस्ट का राज।” साथ ही कहा गया था कि गवाही देने पर निमर्मता से पिटाई का ये वीडियो भाजपा सरकार की नाकामी का गवाही दे रहा है।
वीडियो के कुछ हिस्सों की आवाज़ बीप कर दी गई थी, जिससे पीड़ितों के साथ-साथ अपराधियों का विवरण स्पष्ट सुनाई नहीं पड़ता। कॉन्ग्रेस महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गाँधी वाड्रा ने इसे शेयर करते हुए ट्विटर पर दावा किया कि वीडियो में जो लोग पिटते नजर आ रहे हैं वे दलित हैं।
उन्होंने अपने ट्वीट में दावा किया कि दबंगों ने गवाही देने के लिए भयावह तरीके से दलित भाइयों की पिटाई की।
साथ ही कहा कि राज्य में हर रोज दलित-आदिवासियों पर दबंग-अपराधी खुलेआम हमले कर रहे हैं और भाजपा सरकार मूकदर्शक बनी देख रही है।
असल में, यह वीडियो भूमि विवाद के कारण से 4 नवंबर को दो समूहों के बीच हुई भिड़ंत से जुड़ी थी। एक पक्ष द्वारा दूसरों पक्ष को पीटने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। दोनों पक्षों के पाँच लोगों को अब गिरफ़्तार कर लिया गया है और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत 26 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार, इन गुटों का नेतृत्व अर्जुन सिंह और करणपाल सिंह ने किया था। दो घायलों जिनमें नरेश और सोनू शामिल हैं उन्हें सैफई अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मैनपुरी पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ने प्रियंका गाँधी वाड्रा द्वारा फैलाई गई फ़र्ज़ी ख़बर का खंडन करते हुए बताया है कि उन्होंने इस मुद्दे को जातिवादी रंग दे दिया। दरअसल, दो पक्षों के बीच जो झड़प हुई थी वो राजपूत परिवार के बीच हुई थी।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रियंका गाँधी के दावों का खंडन करते हुए मैनपुरी पुलिस के एक अधिकारी का वीडियो भी जारी किया।
मैनपुरी के पुलिस अधिकारी ने कहा कि दो समूह फसल काटने को लेकर आपस में भिड़ गए थे और दोनों समूह ठाकुर समुदाय के थे। दोनों समूह एक दूसरे के साथ लड़े और हिंसक हो गए। इस बीच दोनों समूह के लोग घायल भी हो गए। दोनों समूहों ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ क्रॉस FIR भी दर्ज कराई है। मैनपुरी पुलिस ने सोशल मीडिया के ज़रिए ऐसी फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने की निंदा भी की है।
इस ख़बर के लिखे जाने तक, न तो कॉन्ग्रेस और न ही प्रियंका गाँधी वाड्रा ने झूठे दावों को वापस लिया और न ही उन्होंने फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने के लिए माफ़ी माँगी है।