तुष्टिकरण की यात्रा पर राहुल गाँधी: पहले पादरी से पढ़ा ईसाइयत का पाठ, अब मुस्लिमों ने विक्टिम कार्ड से वक्फ बचाओ तक पर दी समझाइश

हैदराबाद में 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान राहुल गाँधी (फोटो साभार: Telugu Stop)

भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) पर निकले कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) तुष्टिकरण की राजनीति को नया मुकाम दे रहे हैं। पहले उन्होंने भारत माता को लेकर घृणा दिखाने वाले पादरी से ईसाइयत का पाठ पढ़ा था। अब कथित मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है।

7 सितंबर 2022 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 3750 किमी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू हुई थी। अभी यह यात्रा तेलंगाना में है। तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक से गुजरते हुए राहुल गाँधी तेलंगाना पहुँचे हैं। इस दौरान उन्होंने एआईएमआईएम (AIMIM) के गढ़ हैदराबाद की चार मीनार मस्जिद के सामने भाषण भी दिया था।

इसके अलावा तेलंगाना के हनुमाननगर में राहुल गाँधी ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, सेवानिवृत्त नौकरशाहों, सामुदायिक संगठनों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों, कर्मचारी प्रतिनिधियों और विभिन्न क्षेत्र से जुड़े लोगों सहित मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की। इन मुस्लिम ‘बुद्धिजीवियों’ ने राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस पार्टी पर अपना विश्वास जताया।

डेक्कन क्रॉनिकल की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम बुद्धिजीवियों और राहुल गाँधी के बीच मुस्लिम समुदाय के कथित उत्पीड़न से लेकर वक्फ संपत्तियों के संरक्षण सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। फरहाना खान नाम की एक शिक्षाविद ने मीडिया को बताया, “राहुल गाँधी ने हमें कई आश्वासन दिए हैं, जो हमें वास्तविक लगे। हमने वक्फ संपत्तियों के संरक्षण सहित कई मुद्दों पर उनसे चर्चा की है, जिन्हें नेताओं द्वारा लूटा जा रहा है।”

एक सामाजिक कार्यकर्ता सबा कादरी ने कहा, “मुस्लिमों पर हमेशा से हमले होते रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या कॉन्ग्रेस सत्ता में आने पर मुस्लिमों की रक्षा करेगी। इस पर उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस हमेशा से एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी रही है और मैं इस विचारधारा के साथ खड़ा रहूँगा।” राहुल से चर्चा करने वालों में पूर्व अधिकारी शफीकुज्जमां और तेलंगाना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कुदसिया तबस्सुम भी शामिल थे।

तबस्सुम ने राहुल गाँधी से यूएपीए (UAPA) के दुरुपयोग के बारे में बात की, जिसके तहत कथित तौर पर मुस्लिमों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूएपीए की धाराओं का इस्तेमाल मुस्लिमों को बुनियादी मौलिक अधिकारों से वंचित करने के लिए किया जा रहा है। वहीं शफीकुज्जमां ने पुलिस के हमले में मुस्लिमों को निशाने के बारे में चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि कॉन्ग्रेस के पास बेहतर मुस्लिम प्रतिनिधित्व और स्थानीय नेतृत्व होना चाहिए।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गाँधी ने इन सभी बातों को धैर्यपूर्वक सुना। ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) ने मुस्लिम नेताओं की माँगों के अनुरूप यूएपीए कानून के विरोध में उनका समर्थन किया। कथित तौर पर, राहुल ने सहमति व्यक्त की कि समाज के कुछ वर्गों को निशाना बनाने के लिए यूएपीए और अन्य कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस मुस्लिम समुदाय के नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान करेगी।

दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने एक सिटिजन रिपार्ट जारी की थी, जिसमें यूएपीए कानून को कमजोर करने की माँग को लेकर दिल्ली हिंदू विरोधी दंगों की जाँच को गलत तरीके से पेश किया गया था।

इससे पहले राहुल गाँधी ने 9 सितंबर 2022 को हिंदू विरोधी टिप्पणियों के लिए कुख्यात पादरी जॉर्ज पोन्नैया से मुलाकात की थी। इस मुलाकात का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें जीसस के बारे में चर्चा हो रही थी। पादरी राहुल गाँधी को समझा रहे थे कि यीशु ही असल में ईश्वर हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया