राजस्थान में कॉन्ग्रेस के दो शीर्ष नेताओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है। जहाँ सोमवार (जुलाई 13, 2020) को कॉन्ग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाई हुई है, उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट का दावा है कि मुख्यमंत्री आशिक गहलोत की सरकार अब बहुमत में है ही नहीं। राजस्थान में सरकार गिराने की साजिश को लेकर एफआईआर भी दर्ज की गई है।
इस मामले में राजस्थान कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट को भी तलब किया गया है। अब उन्होंने इस पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि अशोक गहलोत अब बहुमत खो चुके हैं और 30 कॉन्ग्रेस व निर्दलीय विधायक उनके साथ हैं। सचिन पायलट पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं और कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी मुलाकात की है।
हालाँकि, अब तक सचिन पायलट और भाजपा के बीच किसी समझौते की कोई ख़बर नहीं है लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी कुछ वैसा ही हो सकता है लेकिन सचिन पायलट को भाजपा मुख्यमंत्री का पद ऑफर नहीं करेगी। अब सबकी नज़रें अशोक गहलोत द्वारा सोमवार को बुलाई गई बैठक में पहुँचने वाले विधायकों की संख्या पर टिकी हुई है।
राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से बहुमत के लिए 101 विधायकों का समर्थन होना चाहिए। मौजूदा कॉन्ग्रेस सरकार 107 विधायकों और निर्दलीयों के समर्थन से है। बता दें कि कॉन्ग्रेस के 107 विधायकों में से 6 वो हैं, जो बसपा तोड़ कर पार्टी में आए थे। अब जब सचिन पायलट को स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप का नोटिस मिला है, उन्होंने अपने बगावती तेवर को आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया है।
गहलोत गुट का कहना है कि पायलट सबसे पहले कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दें लेकिन पायलट अड़े हुए हैं। दो भाजपा नेताओं की गिरफ़्तारी के बाद माना जा रहा है कि गहलोत अब सरकार बचाने के लिए हर क़दम उठा रहे हैं। आज सोमवार को ही सचिन पायलट का विस्तृत बयान आने की उम्मीद भी है। कॉन्ग्रेस ने प्रभारी अविनाश पांडेय, CWC सदस्य रणदीप सुरजेवाला और वरिष्ठ नेता अजय माकन को राजस्थान भेजा है।
https://twitter.com/ANI/status/1282426579948208129?ref_src=twsrc%5Etfwवहीं कॉन्ग्रेस पार्टी ने आधी रात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के जानकारी दी कि सभी विधायकों को व्हिप जारी कर के मुख्यमंत्री की बैठक में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है। राजस्थान कॉन्ग्रेस के प्रभारी ने धमकाया है कि जो भी विधायक व्हिप का उल्लंघन करेंगे, उनके खिलाफ पार्टी कार्रवाई करेगी। पार्टी अब भी 109 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है। कॉन्ग्रेस ने कहा कि विधायकों ने सोनिया गाँधी और गहलोत में विश्वास जताया है।
सचिन पायलट ने स्पष्ट कर दिया है कि वो विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने वाले हैं। मध्य प्रदेश में जिस तरह से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को झटका लगा है, उसी तरह राजस्थान में ऐसा न हो इसके लिए पार्टी प्रयास कर रही है। कई ख़बरों में आज पायलट के भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात की सम्भावना भी जताई जा रही है। आरोप लगाया जा रहा है कि गहलोत ने पायलट को हाशिए पर धकेल दिया था।
गौरतलब है कि करीब पौने दो साल पहले राजस्थान में सत्ता में आई कॉन्ग्रेस 23 दिन पहले राज्यसभा चुनाव के बाद पूरी तरह सुरक्षित नजर आ रही थी। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी आलाकमान आश्वस्त थे कि उनकी सरकार के पास पूरा बहुमत है और पाँच साल कोई मुश्किल होने वाली नहीं है, लेकिन गहलोत सरकार अब संकट से घिरती नजर आ रही है। रविवार को दिनभर जयपुर से लेकर दिल्ली तक कॉन्ग्रेस की गतिविधियाँ तेज रहीं।