72 मौत पर तकलीफ नहीं… बम ब्लास्ट से जुड़े आतंकियों के लिए कॉन्ग्रेसी मुस्लिम नेता दुखी, अपने ही सीनियर सचिन पायलट से पूछा सवाल

कॉन्ग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने रोका सचिन पायलट का काफिला (फोटो साभार: वायरल वीडियो का स्क्रीनग्रैब)

साल 2008 में जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट के सभी आरोपितों को राजस्थान हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसको लेकर सूबे के कॉन्ग्रेस नेता अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। कॉन्ग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने सचिन पायलट का काफिला रोक कर उनसे सवाल-जवाब किए।

दरअसल, सचिन पायलट विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। इसको लेकर वह अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक के दौरे पर थे। इस दौरान भीड़ ने उनका काफिला रोक कर अपनी समस्याएँ बतानी शुरू कर दी। इस दौरान कॉन्ग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव मोहसिन रशीद ने सचिन पायलट से जयपुर ब्लास्ट के आरोपितों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने को लेकर सवाल किए। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में मोहसिन रशीद कह रहे हैं, “सर मुस्लिम खुश नहीं हैं इस शहर के।”

इस पर सचिन पायलट मजहब की बात नहीं करने और पार्टी का काम करते रहने की नसीहत देते दिखाई दे रहे हैं। वहीं, नासिर-जुनैद के मुद्दे पर न बोलने के लिए मोहसिन रशीद ने सचिन पायलट को घेरा। भीड़ को देखते हुए इसके बाद सचिन पायलट उसे अपना भाई बताते हुए साथ मिल काम करने की बात कह रहे हैं। वहीं मोहसिन रशीद कहते हैं, “सर, उम्मीद थी न हमें, जिन लोगों को हाई कोर्ट ने बरी कर दिया। आपने उनके लिए कह दिया सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।” इसके बाद सचिन पायलट उसे गलतफहमी फैलाने की बात कह कर कार में बैठ वहाँ से चले जाते हैं।

यह वीडियो मोहसिन रशीद ने ही अपने फेसबुक अकाउंट से शेयर किया। इसके बाद BJP नेता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने भी इस वीडियो का एक क्लिप शेयर किया। इसके साथ उन्होंने लिखा है, “2 दिन पहले सचिन पायलट टोंक गए थे, तो शान्तिप्रिय समुदाय के लोग उन्हें घेर कर पूछ रहे हैं कि जब जयपुर बम धमाकों के आतंकियों को हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया तो उसके खिलाफ आपकी सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों गई?”

उन्होंने आगे लिखा, “कॉन्ग्रेस राज में इन लोगों की कितनी हिम्मत हो जाती है, जयपुर बम धमाकों में 72 लोग मारे गए थे, 200 से ज्यादा घायल थे। तो सुनो कॉन्ग्रेस सरकार तो तुम्हारी ही है। उसने तो हाईकोर्ट में भी इनके खिलाफ पैरवी के लिए AAG नहीं भेजा था। सुप्रीम कोर्ट भी पहले नहीं गई, जिन लोगों ने इन आतंकियों की वजह से अपने परिवारजन खोए वो सुप्रीम कोर्ट गए, जन दबाव में कॉन्ग्रेस सरकार बाद में गई।”

दरअसल, जयपुर ब्लास्ट के सभी 4 आरोपितों को निचली अदालत ने साल 2019 में फाँसी की सजा सुनाई थी। लेकिन इसी साल मार्च में हाई कोर्ट ने फैसला पलटते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। इस मामले में कई हिंदू संगठनों व भाजपा ने गहलोत सरकार पर कमजोर पैरवी करने का आरोप लगाया था। यहाँ तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कह चुके हैं कि राजस्थान सरकार के एडवोकेट जनरल के पास सुनवाई के लिए समय नहीं था। इसलिए जयपुर ब्लास्ट के आरोपित छूट गए। कुल मिलाकर देखें तो इस मामले में राजस्थान सरकार लगातार लोगों के निशाने पर रही है।

यहाँ तक कि आरोपितों के बरी होने के बाद करीब 40 दिन बाद राजस्थान सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं, हाई कोर्ट का फैसला आने के करीब 15 दिन के भीतर ही पीड़ित परिवार सुप्रीम कोर्ट पहुँचकर आरोपितों को बरी करने के फैसले को चुनौती दे दी थी। शुरुआत में राजनीतिक हल्कों में इस बात की चर्चा थी कि राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी। हालाँकि लगातार बढ़ते विरोध के बाद गहलोत सरकार को मजबूरन सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा था।

जयपुर ब्लास्ट के आरोपितों को पहले फाँसी की सजा… फिर हुए बरी

18 मई साल 2008 को जयपुर में सिलसिलेवार तरीके से 8 ब्लास्ट हुए थे। इन सीरियल ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 185 लोग घायल हुए थे। इस मामले में जाँच और ट्रायल के बाद साल 2019 में जयपुर की जिला कोर्ट ने 4 आरोपितों को दोषी ठहराते हुए फाँसी की सजा दे दी थी। लेकिन फिर 29 मार्च 2023 को राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला पलटते हुए आरोपितों को बरी कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया