दिल्ली की हवा और पानी दोनों ही फ़िलहाल ख़राब हैं। केंद्र सरकार ने देश भर में 21 शहरों के नमूनों की जाँच की। जाँच में पता चला कि मुंबई का पानी सबसे अव्वल है, तो दिल्ली का पानी सबसे ख़राब। इसमें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 11 इलाक़ो से नमूने लिए गए थे। इसमें केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान के 12 जनपथ स्थित सरकारी आवास और लुटियन की दिल्ली में कृषि भवन, नंदनगरी, सोनिया विहार, पीतमपुरा, अशोक नगर और बुराड़ी जैसे इलाक़े शामिल हैं।
दिल्ली सरकार ने नमूना परीक्षण का दावा करने वाली रिपोर्ट का खंडन किया। भारतीय मानक ब्यूरो, भारतीय मानक अधिनियम, 1986 द्वारा स्थापित BIS भारत का राष्ट्रीय मानकीकरण निकाय है। दिल्ली में एकत्र किए गए 11 नमूने पानी की गुणवत्ता के लिए BIS द्वारा निर्धारित सभी 19 मापदंडों में विफल रहे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सितंबर 2017 से दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अध्यक्ष हैं।
इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने चुनौती दी है कि पानी की गुणवत्ता की तुलना अन्य भाजपा शासित राज्यों से ‘निष्पक्ष’ तरीके से की जाए और इसे जाँच के लिए न्यूट्रल एजेंसी को भेजा जाए। ग़ौर करने वाली बात यह है कि मुंबई में नल के पानी की गुणवत्ता 10 में से 10 नमूनों में निर्धारित मानकों का अनुपालन करती पाई गई। मुंबई, महाराष्ट्र की राजधानी है, जो पिछले महीने तक भाजपा शासित राज्य था। सरकार गठन को लेकर चल रहे राजनीतिक घमासान के चलते वर्तमान में वहाँ राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।
BIS, डीजेबी के उपाध्यक्ष और AAP नेता दिनेश मोहनिया ने कहा कि वो जानना चाहते हैं कि कोलकाता, चेन्नई और जयपुर जैसे राजधानी शहरों में पानी की जाँच करने के लिए कौन से मापदंडों का इस्तेमाल किया गया था। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि BIS एक स्वतंत्र निकाय है और उन्होंने निष्पक्ष तरीके से पानी के नमूने की जाँच की है।
पासवान ने कहा कि अगर दिल्ली जल बोर्ड पानी की गुणवत्ता के बारे में आश्वस्त है, तो उन्हें BIS या WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) मानकों के तहत अनिवार्य परीक्षण करने में संकोच नहीं करना चाहिए। पासवान ने कहा कि 3 अक्टूबर को डीजेबी के सीईओ (अरविंद केजरीवाल), भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक और एनडीएमसी (नई दिल्ली नगर निगम) के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी जहाँ यह सुझाव दिया गया था कि पानी के नमूनों का परीक्षण करने के लिए एक टीम गठित की जाए। उन्होंने कहा कि पहले दिल्ली सरकार ने इसका परीक्षण करवाने के लिए सहमति दी थी, लेकिन बाद में इसके माध्यम से इसका पालन करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
पासवान ने यह भी सुझाव दिया कि यदि वे चाहें तो डीजेबी और टीम, BIS के साथ मिलकर पानी के नमूनों का परीक्षण किसी अन्य प्रयोगशाला में करवाएँ।