आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार का जन-कल्याणकारी योजनाओं को रफ़्तार देने पर फोकस नहीं दिख रहा। वह लोगों को मुफ़्त में चीजें देने की नीति पर ज़्यादा जोर दे रही है। आंध्र प्रदेश सरकार के इस रुख के कारण न सिर्फ़ सार्वजनिक संपत्ति को भारी क्षति पहुँच रही है, बल्कि राज्य में धर्मांतरण को भी बढ़ावा मिल रहा है। आरोप लग रहे हैं कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार लोगों को धर्मान्तरण के लिए प्रोत्साहित कर रही है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्मान्तरण ने जोर पकड़ लिया है और जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई नहीं की गई तो यह हिंसक भी हो सकता है।
विपक्ष पहले से ही आरोप लगता रहता है कि वाईएसआर कॉन्ग्रेस के सत्ता में आने के साथ ही राज्य का सरकारी खजाना ईसाइयों के लिए खोल दिया गया है। विपक्षी पार्टियों के इस आरोप के बाद कई हिंदूवादी संगठनों ने भी इस तरफ ध्यान दिलाया है। बता दें कि जगन मोहन रेड्डी और उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म का अनुसरण करता है। पिछले महीने जगन सरकार ने यरुशलम जाने वाले ईसाई तीर्थयात्रियों को 40,000 रुपए की जगह 60,000 रुपए देने का निर्णय लिया था। ये योजना उन ईसाई धर्मावलम्बियों के लिए है, जिनकी वार्षिक आय 3 लाख रुपए से कम है।
इससे ऊपर की आय वालों के लिए पहले 20,000 रुपए दिए जाते थे, जिसे बढ़ा कर अब 30,000 रुपए कर दिया गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि ईसाई पादरियों को 5000 रुपए प्रति महीने दिए जाएँगे। इसके अलावा ईसाई धर्म के लोगों को आवास देने के अलावा अन्य वित्तीय सहायता देने पर भी विचार किया जा रहा है। भाजपा नेता चंद्र मोहन ने भी इन आरोपों की पुष्टि करते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ईसाई धर्मान्तरण के लिए सार्वजनिक खजाने को खाली कर रही है। उन्होंने कहा कि आंध्र सरकार हिंदू विरोधी योजनाओं के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने आशंका जताई कि अगर इसे रोका नहीं गया तो बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच संघर्ष बढ़ सकता है।
इस सम्बन्ध में ‘संडे गार्डियन’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। अख़बार ने राज्य के अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय से भी संपर्क किया, लेकिन वहाँ से कोई जवाब नहीं मिला। कई विशेषज्ञों ने बताया कि धर्मान्तरण के बाद लोगों को उसका मजहब छिपा कर रखने को कहा जाता है। 2011 के जनगणना आँकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश में 1.4% ईसाई हैं। अब धर्मान्तरण का अभियान आक्रामक होने के कारण इस जनसंख्या में भारी बढ़ोतरी होने की आशंका है। कई ऐसे लोग हैं, जो धर्मान्तरण कर चुके हैं लेकिन उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपना नाम नहीं बदला है।
https://twitter.com/InfidelApostate/status/1210650070435037184?ref_src=twsrc%5Etfwलंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में 2 दशक तक राजनीतिक विज्ञान पढ़ाने वाले गौतम सेन कहते हैं कि धर्मान्तरण के अल्वा ‘चर्च प्लांटिंग’ भी एक अहम मुद्दा है, जिस पर सबका ध्यान नहीं जाता। इसके तहत राज्य के कई गाँवों में मंदिरों की संख्या से ज़्यादा चर्च बना दिए गए है। ईसाइयत का प्रभाव जताने के लिए ऐसा किया जाता है। ईसाइयत को बढ़ावा देने में लगी जगन सरकार ने न सिर्फ़ कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को ठन्डे बस्ते में डाल दिया है, बल्कि कई चालू प्रोजेक्ट्स को भी रोक दिया है। इससे निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ा है।