लालू ने कॉन्ग्रेस को दिया धोखा, नहीं दी राज्यसभा सीट: चुनाव से पहले बड़ी टूट का दावा

वादा तेरा वादा: राजद सुप्रीमो लालू यादव के साथ कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गॉंधी (फाइल फोटो)

बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्य के सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। फिलहाल राज्य से राज्यसभा की पॉंच सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इसे विधानसभा चुनाव से पहले अपने-अपने खेमे को मजबूती देने के अवसर के तौर पर देखा जा रहा था। लेकिन, विपक्षी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस में बड़ी टूट का दावा कर सरगर्मियॉं और बढ़ा दी है। चौधरी पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे।

उन्होंने कहा है कि कॉन्ग्रेस का शीर्ष नेतृत्व लालू यादव के सामने नतमस्तक है। उसे वादे के हिसाब से राजद ने राज्यसभा की सीट भी नहीं दी। इससे प्रदेश के नेता खुद को लाचार महसूस कर रहे हैं और महागठबंधन में पार्टी और अपने नेताओं को अहमियत नहीं दिए जाने से नाराज हैं। असल में राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का ऐलान हो गया है। मौजूदा गणित के हिसाब से एनडीए के तीन और महागठबंधन के दो लोगों का उच्च सदन के लिए चुना जाना तय है। जदयू और राजद ने दो-दो और भाजपा ने एक उम्मीदवार का नाम घोषित किया है। इन सभी का राज्यसभा जाना तय है। इन सभी उम्मीदवारों को 13 मार्च तक अपना नॉमिनेशन दाखिल करना होगा। जदयू की तरफ से हरिवंश और रामनाथ ठाकुर फिर से राज्यसभा जाएँगे। वहीं भाजपा ने वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को टिकट दिया है। राजद ने प्रेमचंद गुप्ता और अमरेन्द्रधारी सिंह को उम्मीदवार बनाया है।

इस तरह राजद ने लोकसभा चुनाव के वक्त कॉन्ग्रेस से किया वादा पूरा नहीं किया है। उस समय महागठबंधन ने सार्वजनिक रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि कॉन्ग्रेस लोकसभा की नौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उसे राज्यसभा चुनाव के वक्त एक सीट राजद अपने कोटे से देगी। लेकिन, दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारकर राजद वादे से मुकर गई है। कहा जा रहा कि सब कुछ राजद सुप्रीमो लालू यादव ने तय किया है। चारा घोटाले में सजा भुगत रहे लालू फ़िलहाल राँची रिम्स में इलाजरत हैं।

ऐसा नहीं ​है कि कॉन्ग्रेस ने इस दौरान राजद को उसके वादे की याद नहीं दिलाई। पार्टी के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने बकायदा चिट्ठी लेखकर वादे की याद दिलाई थी और उम्मीद जताई थी कि राजद नेता अपने वचन का पालन करेंगे। जवाब में राजद ने कहा है कि वह वादा ‘विशेष परिस्थिति’ में किया गया था। राजद सांसद मनोज झा ने कहा:

“लोकसभा चुनावों के वक्त जब तेजस्वी यादव ने वादे किए थे, तब राजद लोकसभा की 40 में से 25 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और पार्टी के इतिहास में पहली बार हमें 20 से कम सीटों पर लड़ना पड़ा। यह याद रखा जाना चाहिए कि लालू प्रसाद यादव उस वक्त भी सोनिया गाँधी के साथ खड़े रहे हैं, जब उनकी ही पार्टी के नेता उनके साथ पूरी तरह से नहीं खड़े थे। पिछले साल वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी के निधन के बाद राजद के पास केवल चार राज्यसभा सदस्य ही बचे थे। उनके निधन के बाद खाली हुई सीट पर बीजेपी ने जदयू की मदद से कब्जा जमा लिया था। राज्यसभा में हमें 5 सीटों की आवश्यकता है। कॉन्ग्रेस हमारे संकट को समझे और साथ दे।

कॉन्ग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल ने राजद को लिखा पत्र

अब राजद नेता दावा कर रहे हैं कि उन्होंने कॉन्ग्रेस के साथ राय-विचार करने के बाद ही सीटों की घोषणा की है। जहाँ भाजपा-जदयू में राज्यसभा सीटों को लेकर कोई मतभेद नहीं है, कमज़ोर होती कॉन्ग्रेस और विधानसभा में संख्याबल ले बावजूद राज्य के सियासी पटल पर जूझती राजद के बीच विवाद से पता चलता है कि आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान सीट शेयरिंग का फार्मूला तय करना आसान नहीं होगा। वो भी तब, जब जीतन राम माँझी, मुकेश साहनी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता शरद यादव को चेहरा बनाने की बात कर के राजद पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया