क्या RSS के हॉस्पिटल में केवल हिंदुओं का ही इलाज होता है: रतन टाटा की ‘दुविधा’ जब गडकरी ने की दूर, बताया- यहाँ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं

नितिन गडकरी-रतन टाटा (फाइल फोटो/साभार: Indianexpress)

क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है? क्या RSS के अस्पताल केवल हिंदुओं के लिए होते हैं? ये सवाल हम आपसे इसलिए पूछ रहे क्योंकि कभी उद्योगपति रतन टाटा भी इनसे जूझे थे। उस समय उनकी दुविधा का समाधान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने किया था।

रतन टाटा से जुड़ा यह किस्सा गडकरी ने गुरुवार (14 अप्रैल 2022) को महाराष्ट्र के पुणे में स्थित सिंहगढ़ किला क्षेत्र में एक मल्टी स्पेशलिटी चैरिटेबल अस्पताल का उद्घाटन करते सुनाया। गडकरी ने कहा, “औरंगाबाद में RSS के दिवंगत प्रमुख केबी हेडगेवार के नाम पर एक अस्पताल का उद्घाटन किया जा रहा था। मैं तब राज्य सरकार में मंत्री था। आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इच्छा व्यक्त की कि अस्पताल का उद्घाटन रतन टाटा द्वारा किया जाए और मुझसे मदद करने के लिए कहा।” यह मामला तब का है जब गडकरी महाराष्ट्र की पहली शिवसेना-भाजपा सरकार में मंत्री हुआ करते थे।

संघ के पदाधिकारी की इच्छा से अवगत होने के बाद गडकरी ने रतन टाटा से संपर्क किया। उन्हें देश में गरीब कैंसर मरीजों के उपचार में टाटा कैंसर अस्पताल के योगदान का हवाला देते हुए उद्घाटन के लिए राजी किया। आगे गडकरी ने बताया, “अस्पताल पहुँचने पर टाटा ने पूछा कि क्या अस्पताल केवल हिंदू समुदाय के लोगों के लिए है। मैंने उनसे पूछा- आप ऐसा क्यों सोचते हैं। उन्होंने तुरंत जवाब दिया, क्योंकि यह आरएसएस का है। मैंने उनसे कहा कि अस्पताल सभी समुदायों के लिए है और आरएसएस में ऐसा कुछ (धर्म के आधार पर भेदभाव) नहीं होता है।” फिर उन्होंने टाटा को संघ से जुड़ी कई बातें बताईं और बाद में वह बहुत खुश हुए।

इसके साथ ही अस्पताल के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री ने कहा कि देश में स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिए और अधिक काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जरूरत के अनुसार सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। यदि शहरी क्षेत्र में सुविधाएँ हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति अच्छी नहीं है, खासकर शिक्षा की स्थिति। लेकिन सुविधाओं में सुधार हो रहा है। गडकरी ने यह भी कहा कि वह सिर्फ 10 प्रतिशत राजनीति और 90 प्रतिशत सामाजिक कार्य करते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया