‘आवारगी बढ़ेगी, गलत रास्ते पर जाएँगी, आजादी छीनने की कोशिश’: लड़कियों की 21 साल में शादी से बिफरे सपा नेता से लेकर मौलाना तक

अबू आजमी, शफीकुर्रहमान बर्क और मौलाना इश्तियाक कादरी

केंद्र की मोदी सरकार ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 से 21 साल किए जाने का प्रस्ताव पास किया है। इसके लिए बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन किया जाएगा। लेकिन, एक वर्ग को यह फैसला रास नहीं आ रहा है। इनमें समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क से लेकर मौलाना इश्तियाक कादरी जैसे लोग शामिल हैं।

अक्सर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में रहने वाले SP नेता अबू आजमी ने तो इस फैसले को बिल्कुल गलत बताया है। उनका कहना है कि इससे लड़कियाँ गलत राह पर जा सकती हैं। इसके पीछे का तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से किसी अपने की मृत्यु के बाद हम उसका दाह-संस्कार कर देते हैं, ठीक उसी तरह लड़की के एडल्ट होने पर उसकी शादी कर देनी चाहिए। जब तक शादी के लिए सुटेबल मैच नहीं मिलता है, इंतजार करना चाहिए, लेकिन जोड़ा मिलते ही शादी कर देनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “शादी का जोड़ा मिलने के बावजूद अगर किसी और कारणों से लेट करोगे तो उस लड़की या लड़के ने कोई गुनाह किया, किसी और के संपर्क में आकर कोई पाप किया तो वो पूरा पाप माँ-बाप के सिर पर होगा, क्योंकि उन्होंने शादी के लिए देर किया, उन्होंने इंतजार किया।” आजमी ने आगे कहा, “अगर मेरी बेटी, मेरी बहन घर में अकेले है तो मेरे संस्कार में बताया गया है कि अकेली बेटी के साथ मत रहो। शैतान कभी भी सवार हो सकता है।”

इतना ही नहीं उन्होंने यह तक कह दिया कि जो यह बदलाव ला रहे हैं, उनके लड़का-लड़की हैं ही नहीं, क्या करेंगे बेचारे। इस पर जब एंकर ने उन्हें टोका कि क्या वो प्रधानमंत्री की बात कर रहे हैं, तो उन्होंने टालमटोल करते हुए कुतर्क करने शुरू कर दिए।

वहीं सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे आवारगी का मौका मिलेगा। संभल से सपा सांसद बर्क ने कहा, “लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने से हालात बिगड़ेंगे। पहले जो 18 साल की उम्र थी वह भी काफी थी। लंबे समय से यही उम्र थी, वरना इससे ज्यादा आवारगी का मौका मिलेगा।” हालॉंकि बाद में सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उनके कहने का यह मतलब नहीं था। उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।

उन्होंने कहा, “भारत एक गरीब देश है और हर कोई चाहता है कि बेटी की शादी जल्दी से हो जाए। मैं संसद में इस विधेयक का समर्थन नहीं करूँगा। रही बात लड़की की पढ़ाई की तो वह अपनी ससुराल में भी पढ़ सकती है। बेटियाँ हम सबकी होती हैं। मेरी बेटी हो आपकी बेटी हो, बेटियों के लिए सोच अच्छी होनी चाहिए। मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया। मैंने कहा था कि माहौल खराब है।”

वहीं लखनऊ के मौलाना इश्तियाक कादरी का कहना है कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल ही रहने दी जानी चाहिए। सरकार ने इस बदलाव से नौजवानों की आजादी छीन ली है। मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के सचिव गुलजार आजमी ने कहा कि वे इसे नहीं मानेंगे। इससे लड़किया गलत राह पर जाएँगी। उनके अनुसार यह बिलकुल गलत है। उनके मजहब में लड़का-लड़की 14-15 साल में ही बालिग हो जाते हैं।