PM मोदी के मुरीद हुए सभी देश: कोरोना की चपेट में आए ईरान, इजरायल, ऑस्ट्रेलिया देख रहे भारत की ओर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संकट की स्थिति में बढ़-चढ़ कर नेतृत्व कर रहे हैं

पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खतरों से जूझ रही है। चीन, इटली और ईरान में स्थिति भयवाह है। भौगोलिक रूप से चीन से नजदीक दक्षिण देश भी इसकी चपेट में है लेकिन भारत ने समय पर तैयारियाँ कर के कुशल प्रबंधन का परिचय दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ख़ुद सारी तैयारियों पर नज़र रख रहे हैं। ईरान और इजरायल जैसे देशों ने मदद के लिए भारत को लिखा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निष्क्रिय पड़े दक्षिण एशियाई संगठन सार्क को पुनर्जीवित कर इसका सकारात्मक इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जॉइंट जी-20 रणनीति की पेशकश की है।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी जी-20 के बीच लिंक-अप को बढ़ावा देते हुए कोरोना के खतरे से निपटने की पहल कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने कहा कि ये काफ़ी सराहनीय उपक्रम है। मॉरिसन ने कहा कि वो इस मामले में पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं। वो उनके इस क़दम का समर्थन करते हैं। कुछ ही दिनों बाद जी-20 की वित्तीय समिति की बैठक होने वाली है।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि ये भले ही एक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो लेकिन आर्थिक जगत पर इसके गहरे असर होंगे। इधर प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन से बातचीत की। मोदी और बोरिस ने अपने-अपने देशों में कोरोना से उपजे खतरे और उससे निपटने की तैयारियों को एक-दूसरे से साझा किया। यूके के स्वास्थ्य मंत्री नदिने डोर्रिस भी कोरोना वायरस से पीड़ित हैं, जिसके लिए पीएम मोदी ने सहानुभूति जताई। उन्होंने उनके जल्दी ठीक होने की कामना की।

इससे पता चलता है कि पीएम मोदी दो स्तर पर इस ख़तरे से निपटने में लगे हुए हैं। एक तो सार्क देशों के संगठन माध्यम से, जिसमें पाकिस्तानी पीएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, पीएम मोदी आज ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी दक्षिण एशियाई देशों को सम्बोधित कर रहे। दूसरे स्तर पर पीएम मोदी जी-20 के मंच का सकारात्मक उपयोग करना चाहते हैं क्योंकि इस समूह में विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ और कई विकसित राष्ट्र हैं, जिनके अनुभवों से भारत को सीख मिलेगी और भारत अपनी प्रबंधन क्षमता के बारे में उन्हें बताएगा।

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भारत लौटने वाले सभी नागरिकों का कहना है कि जितनी तेज़ी से यहाँ पर सावधानी बरतने और मेडिकल टेस्ट वगैरह की योजना बना कर उसका कार्यान्वयन किया गया, उतनी तेज़ी से शायद ही किसी देश में काम हुआ।अब देखना ये है कि सार्क देशों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद क्या निकल कर सामने आता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया