रात भर शिवसैनिकों ने मुंबई की सड़कों पर चलाया सर्च ऑपरेशन, पर उद्धव के बागी मंत्री को रोक नहीं पाए: जानिए कैसे एकनाथ शिंदे के कैंप में पहुँचे गुलाबराव पाटिल

शिवसेना को चकमा देकर एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हुए गुलाबराव पाटिल

महाराष्ट्र में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे से लेकर उद्धव ठाकरे के खास मानें जाने वाले एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे का सारा खेल बिगाड़ दिया है। विधायकों के पाला बदलने से शिवसेना प्रमुख एक तरफ छटपटा रहे हैं और विधायकों की तलाश में मुंबई का चप्पा-चप्पा छान मार रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अपने मुख पत्र ‘सामना’ के जरिए विधायकों को चेतावनी भी दे रहे हैं कि तुम्हे कचरे में फेंक दिया जाएगा। यह सब देखने के बाद अगर हम यह कहें कि एंटरटेनमेंट के मामले में महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा बॉलीवुड की फिल्मों से भी आगे निकल गया है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। अपनी कुर्सी बचाने और शिवसैनिकों को बागी खेमे में जाने से रोकने के लिए उद्धव ठाकरे अपनी पूरी ताकत झोंक दे रहे हैं, लेकिन विधायकों के पाला बदलने की खबरें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।

उद्धव ठाकरे की नाक के नीचे से निकल बागी नेता एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो रहे हैं, लेकिन शिवसेना प्रमुख को इसकी भनक भी नहीं लग पा रही है। इस बौखलाहट में शिवसेना को समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें और क्या बोले? शिवसेना ने अपने मुख पत्र ‘सामना’ के संपादकीय में मौजूदा सियासी तूफान को ‘स्वप्न दोष’ की तरह बताया है। पार्टी ने अपने बागियों को चेताया है कि समय रहते सावधान हो जाएँ, वरना उन्हें कचरे में फेंक दिया जाएगा।

खैर, शिवसेना बागियों के लिए सार्वजनिक तौर पर भले ही कड़े तेवर दिखा रही हो, लेकिन जमीनी तौर पर वह मुंबई की गलियों में इन्हें तलाश रही है। मंगलवार (21 जून 2022) की रात को एक ऐसी ही रोमांचक घटना सामने आई। शिवसैनिक पूरी रात शिकारियों की तरह महाराष्ट्र के मंत्री और वरिष्ठ शिवसेना नेता गुलाबराव पाटिल (Gulabrao Patil) को ढ़ूंढते रहे। लेकिन वह उन्हें चकमा देकर एकनाथ शिंदे तक पहुँचने में कामयाब रहे, जो इस वक्त असम के गुवाहाटी में रेडिसन ब्लू होटल में डेरा जमाए हुए हैं। खुद शिंदे 46 विधायकों के समर्थन का दावा कर चुके हैं। इनमें 6-7 निर्दलीय भी हैं।

खबरों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे खेमे के एक वरिष्ठ नेता ने दक्षिण मुंबई में अपने कार्यकर्ताओं को किसी भी कीमत पर पाटिल का पता लगाने का आदेश दिया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शाखा प्रमुख पांडुरंग सकपाल (Shakha Pramukh Pandurang Sakpal) के नेतृत्व में दक्षिण मुंबई के शिवसैनिक तुरंत हरकत में आए और पाटिल को ट्रैक करने के लिए रात भर बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया।

21 जून को शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने पाटिल को पकड़ने में अपनी पूरी ताकत लगा दी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। शिवसैनिक पहले उस होटल में गए, जहाँ विधायक ठहरे हुए थे, लेकिन उन्हें वहाँ कोई नहीं मिला। फिर भी आलाकमान के दबाव में पार्टी के कार्यकर्ता पूरी रात दक्षिण मुंबई की सड़कों पर घूमते रहे, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने उन्हें आदेश दिया था कि वे किसी भी कीमत पर पाटिल को पकड़कर ले आए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने दक्षिण मुंबई में पाटिल के बंगले के बाहर डेरा डालने का फैसला किया। वहाँ आखिरकार बुधवार (22 जून 2022) की सुबह ही उन्हें पकड़ लिया गया।

पार्टी के कार्यकर्ता ने बताया “हमें रात 11 बजे फोन आया और कहा गया कि पाटिल की तलाश करें। हमने लोअर परेल में सेंट रेजिस होटल सहित हर जगह उनको ढ़ूंढा, लेकिन वह नहीं मिले। इसके बाद हमने सुबह उनके घर के बाहर डेरा डालने का फैसला किया। हम बुधवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे उन्हें पकड़ने में सफल रहे।” जैसे ही सकपाल ने पाटिल को देखा, उन्होंने जोर देकर कहा कि आप उद्धव ठाकरे से बात करें।

पाटिल भी डेढ़ शाड़े ठहरे, उन्होंने शिवसैनिकों को गुमराह करते हुए कहा, “पार्टी प्रमुख के साथ मेरी पहले ही बात हो चुकी है। उन्हें मंत्रालय में कुछ काम है। उसके बाद वह मुख्यमंत्री से मिलने वर्षा बंगले जाएँगे।” इसके बाद शिवसैनिकों को भी यकीन हो गया कि वह जल्द ही उद्धव ठाकरे से मिलने उनके सरकारी आवास वर्षा बंगले पर जाएँगे। हालाँकि, पाटिल वर्षा की ओर जाने के बजाय शिवसैनिकों को चकमा दे कर अपनी पर्सनल कार से भाग गए। शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने उनका पीछा किया, लेकिन तब तक वह गायब हो गए। बाद में पाटिल को गुवाहाटी में शिवसेना के अन्य बागी विधायकों के साथ देखा गया।

बता दें कि शिवसेना में पैदा यह संकट अब केवल विधायकों तक ही सीमित नहीं है। उद्धव की कार्यशैली से पार्टी के कुछ सांसद भी नाराज बताए जा रहे हैं। पार्टी के 19 सांसद हैं। इनमें से 9 नाराज बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये भी शिवसेना को अलविदा भी कह सकते हैं। हालाँकि, इनमें से कोई भी सांसद अभी खुलकर अपनी बात नहीं कह रहे हैं और वक्त का इंतजार कर रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया