कॉन्ग्रेस पार्टी को पाकिस्तान से राष्ट्रवाद के मायने सीखने चाहिए

एक बात पूछना चाहता हूँ कॉन्ग्रेसियों से कि तुमको मोदी से दुश्मनी है, भाजपा से दुश्मनी है, ये सब मान लेता हूँ लेकिन इतना तो बता दो कि तुमको प्रेम, मोहब्बत और लगाव किससे है, क्यों है, और किस हद तक है?

क्या तुमको सोनिया गाँधी से लगाव है, क्या तुमको राहुल गाँधी से प्रेम है, या फिर प्रियंका वाड्रा से मोहब्बत है? अगर ऐसा है भी तो उसका एक सपाट कारण बता दो कि इन लोगों का देश, समाज और अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है जो तुम इन पर अपनी जान न्यौछावर करते हो?

क्या तुम अपनी अंतरात्मा के हवाले से कह सकते हो कि 10 जनपथ की प्राइवेट लिमिटेड कॉन्ग्रेस पार्टी से तुम किसी भी वृहद और पवित्र उद्देश्य से जुड़े हो?

क्या कॉन्ग्रेस से जुड़ने के पीछे एकमात्र शांतिदूतों वाली वह सोच नहीं है कि ‘लूट’ यहाँ ‘जायज’ है, और उस लूट का बँटवारा पूरी ईमानदारी से किया जाता है! और कॉन्ग्रेस से जुड़ने वाला हर एक व्यक्ति ‘लूट’ की इसी एकमात्र ‘एकीकृत’ सोच के लिए पार्टी से जुड़ा रहता है, और जीवन पर्यन्त इसी सोच और मिशन के साथ में काम करता है, कि जिस दिन मौका मिलेगा दोनों हाथों से लूट डालेंगे!

क्या तुमको शर्म नहीं आती, जब तुम्हारे नेता देश के प्रधानमंत्री को आतंकी कहते हैं और उस पर पुलवामा में अपने ही जवानों को मार डालने का घिनौना इल्ज़ाम लगाते हैं ? क्या तुमको शर्म नहीं आती कि तुम्हारे नेताओं की वजह से पाकिस्तानी मीडिया को ज्यादा मेहनत ही नहीं करनी पड़ती; भारत के खिलाफ़ उसे जितना भी मसाला और प्रोपगेंडा चाहिए होता है, वह सब कॉन्ग्रेसी नेताओं के बयानों और हरकतों से हासिल हो जाता है ?

क्या तुमको शर्म नहीं आती कि तुम्हारे परम पूज्य नेता राजीव गाँधी के हजारों भाषण लिखने वाले, उनके दौर में प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करने वाला एक नेता पाकिस्तान जाकर मोदी के खिलाफ ज़हर उगलता है और वहाँ के नेशनल टीवी पर बैठकर पाकिस्तानी हुक्मरानों से मोदी सरकार का तख्ता पलट करने की अपील करता है ?

क्या तुमको शर्म नहीं आती कि आज तुम्हारी ही पार्टी के एक नेता सैम पित्रोदा ने पाकिस्तान के नेशनल डे के अवसर पर सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और पाकिस्तान को मुँहतोड़ जवाब देने की मोदी सरकार की नीति को ही एंटी-नेशनल साबित कर दिया है। वे कह रहे हैं कि पाकिस्तान से ऐसे हमले होते रहते हैं लेकिन हमें इस मैनर से जवाब नहीं देना चाहिए था!

ठीक है तुमको तब भी नहीं आती होगी, लेकिन आज तुम लोगों के ऊपर पूरे देश को आ रही है- शर्म। अगर तुम नेशनलिज्म भाजपा से नहीं सीख सकते तो पाकिस्तान से ही सीख लो, जहाँ का मीडिया और विपक्ष, बेशक अपनी सरकार और सेना को हर मोर्चे पर कठघरे में खड़ा करता है, लेकिन जब भारत के खिलाफ सेना के समर्थन और कड़े रुख की बात आती है, तो वहाँ का पूरा आवाम एक सुर में भारत के विरोध में खड़ा नज़र आता है।

लेकिन तुम लोगों को शर्म नहीं आएगी। क्योंकि उसकी वजह बड़ी वाज़िब सी है, अगर शर्म आ गई तो लूट के उस माल का क्या होगा जो अभी तक कॉन्ग्रेस का झंडा उठाने और इटली के खानदान की जय-जयकार से हासिल किया है, अगर शर्म आ गई तो उन संभावित लूटों में मिलने वाले हिस्से का क्या होगा, जो गाँधी परिवार के फिर सत्ता में आने पर कार्यान्वित होगी।

देश के संसाधनों की अंधाधुंध लूट ही वह एकमात्र एजेंडा, उद्देश्य और लक्ष्य है, जो किसी भी एक सामान्य इंसान को कांग्रेसी बनने पर प्रेरित करता है। अगर इसके अलावा भी, किसी के कांग्रेसी बनने और होने की कोई और वजह हो, तो मुझे जानकर बड़ी प्रसन्नता होगी और आश्चर्य भी।