‘आलू+तेलंगाना’ के कारण UP चुनाव में फँस गए ओवैसी: जिन किसानों के पेट पर मारी लात, उन्हीं से माँग रहे वोट

ओवैसी से UP के किसान हैं नाराज

असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) को आलू से संभल कर रहना चाहिए। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओवैसी के लिए आलू भारी पड़ सकता है। चौंकिए मत। यही जमीनी हकीकत है। मोहम्मद आलमगीर इन दिनों AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से नाराज हैं। कारण है आलू। आलू और मोहम्मद आलमगीर यूपी के लिए छोटी बात नहीं।

मोहम्मद आलमगीर उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित खंडौली में छह एकड़ जमीन पर आलू उपजाते हैं। जगह-जगह बेचते हैं। तेलंगाना में भी बेचते थे, अब नहीं। क्यों? क्योंकि तेलंगाना ने उत्तर प्रदेश से आलू की खरीद पर रोक लगा दी है। तेलंगाना की सरकार को ओवैसी की पार्टी का समर्थन है। अब उनकी यही पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के आलू उपजाने वाले किसान ओवैसी को वोट क्यों देंगे?

यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए ओवैसी ताबड़तोड़ रैलियाँ कर रहे हैं। इसके बावजूद वह किसानों के हितों को अनदेखा करके तेलंगाना सरकार का समर्थन कर रहे हैं। इस आधार पर आलू उत्पादक किसान समिति आगरा के महासचिव आलमगीर ने सवाल उठाया है कि तेलंगाना सरकार और उसके फैसले का समर्थन करने वाले ओवैसी यूपी में किस हक से प्रचार कर सकते हैं और वोट माँग सकते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, आलमगीर का अनुमान है कि उत्तर प्रदेश से रोज करीब 100 ट्रक आलू तेलंगाना जाता है। एक ट्रक में 50-50 किलो आलू के लगभग 500 बोरे होते हैं। आलमगीर ने यह भी बताया कि इनमें में भी करीब 50-60 ट्रक तो आगरा से ही जाते हैं। यूपी से विभिन्न राज्यों में रोजाना जाने वाले 700-800 ट्रकों में से लगभग तीन-चौथाई महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जाते हैं।

उन्होंने कहा कि आलू उपजाने वाले लोग ओवैसी से नाराज हैं, क्योंकि वह उस सरकार का समर्थन करते हैं, जिस सरकार ने आलू की सप्लाई पर रोक लगा दी है। आलमगीर ने कहा कि वो इस फैसले का समर्थन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इस कारण से उनके पेट पर लात पड़ी है।

इस मामले पर तेलंगाना के कृषि मंत्री एस निरंजन रेड्डी ने अपनी सरकार का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसान जो आलू भेज रहे थे, वह कोल्ड स्टोरेज में रखा हुआ पिछले साल का आलू है। उन्होंने तर्क दिया कि जब तेलंगाना के किसानों द्वारा उगाए गए ताजा आलू बाजार में उपलब्ध हैं, तो पुराना आलू क्यों लें?

बता दें कि यूपी के किसान अक्टूबर के मध्य से नवंबर की शुरुआत तक आलू बोते हैं और 20 फरवरी से 10 मार्च तक आलू तैयार हो जाती है। वे आम तौर पर आलू का लगभग पाँचवा हिस्सा ही बेचते हैं और शेष उपज को कोल्ड स्टोर में जमा करते हैं, ताकि नवंबर तक उसकी बिक्री हो सके।

वैद्यजी शीटग्रह प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डूंगर सिंह चौधरी कहते हैं, “पिछले साल हमारी बंपर फसल हुई थी, जिसके कारण कुल उपज का 4-5% (50-60 लाख बैग) अभी भी हमारे कोल्ड स्टोर में पड़ा है। अगर तेलंगाना और अन्य लोग इसे खरीदना बंद कर देते हैं, तो हमें फरवरी के अंत से नए आलूओं की जगह बनाने के लिए पुराने आलू को सड़कों पर फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया