तेलंगाना में केसीआर का परचम, ओवैसी ने मजबूत किया अपना किला

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तेलंगाना के ताजा चुनाव परिणामों के अनुसार केसीआर (क्ल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव) ने राज्य में अपना दबदबा कायम रखा है। 119 सीटों वाले तेलंगाना विधानसभा में बहुमत के लिए 60 सीटों पर जीत चाहिए होती है लेकिन केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने 88 सीटों पर जीत का परचम लहरा कर एकतरफा जीत दर्ज किया। 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में टीआरएस को 63 सीटें मिली थी। उस हिसाब से देखें तो उसे कुल 25 सीटों का भारी फायदा हुआ है। 2014 का चुनाव राज्य के गठन के बाद हुआ पहला विधानसभा चुनाव भी था जिसे उस समय आम चुनावों के साथ ही आयोजित किया गया था।

इस चुनाव में कांग्रेस चन्द्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ गठबंधन बना कर उतरी थी जबकि पिछले चुनावों में टीडीपी का गठबंधन भाजपा के साथ था। दोनों ही पार्टियां कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पाई। जहां कांग्रेस को 19 सीटें मिली तो वहीं टीडीपी को सिर्फ दो सीटों से संतोष करना पड़ा। अगर वोट शेयर की बात करें तो उस मामले में भी टीआरएस ने बांकी पार्टियों को काफी पीछे छोड़ दिया। टीआरएस को कुल 46.9% मत मिले जबकि कांग्रेस 28.4% मतों के साथ दूसरे स्थान पर रही। भाजपा ने 7% वोट शेयर के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया।

यहाँ हैदराबाद के सीटों की बात करना जरूरी है क्योंकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने हैदराबाद की आठ में से सात सीटों पर दर्ज की है। ये वही सात सीटें हैं जिनपर उन्होंने 2009 और 2014 में हुए चुनावों में भी जीत दर्ज की थी। एआईएमआईएम ने इन सातों सीटों पर पिछली विधानसभा में जीते विधायकों को ही टिकट दिया था। पार्टी ने आठ सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे से जिसमे से उसे सिर्फ एक पर हार का सामना करना पड़ा। बांकी सभी सीटों पर एआइएमआईएम ने टीआरएस को समर्थन दिया था। वहीं पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के भाई और अपने विवादित बयानों के लिए कुख्यात अकबरुद्दीन ओवैसी चंद्रयानगुट्टा से लगातार पांचवी बार निर्वाचित हुए।

चुनाव परिणामों पर बोलते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केसीआर को प्रधानमंत्री पद के योग्य बता दिया। उन्होंने कहा कि मैं यह जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि आगामी लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर राव के पास वह क्षमता है कि वह देश का नेतृत्व करें। उन्होंने कहा कि अब इस देश को कांग्रेस और भाजपा के अलावा एक तीसरे नेतृत्व की जरूरत है और यह क्षमता के चंद्रशेखर राव में है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया